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आम Mango के औषधीय प्रयोग

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आम्र, रसाल, सहकार, अतिसौरभ, कामांग, मघुदूत, माकन्द, पिकवल्लभ, कामशर, किरेष्ट, पिकबंधू, प्रियाम्बु, वसंतदूत आदि आम के संस्कृत नाम है। यह वृक्ष भारत का ही है इसलिए इसका लैटिन नाम मैंगीफेरा इंडिका है। पूरी दुनिया में मीठे रसीले पके आम भारत से ही निर्यात किये जाते हैं। आम के फल से अचार, चटनी, मुरब्बा, शरबत से लेकर अनेकों भोज्य पदार्थ बनाए जाते हैं। कच्चे आम से बनी चटनी, पन्ना, दाल में उबाल कर, अचार रूप में, सभी कुछ स्वादिष्ट है। पके आम के तो कहने ही क्या।

Mango health benefits

आम के वृक्ष पूरे भारतवर्ष में पाए जाते हैं। इसके पत्ते लम्बे होते हैं व पतझड़ में गिर जाते हैं। वसंत के मौसम में लाल रंग के नए पत्ते व मंजरिया निकलती हैं। यह लाल पत्ते बाद में हरे हो जाते हैं।

आम के कई भेद हैं। कुछ प्राकृतिक हैं और कुछ को बनाया गया है। कलमी और बीजू (कन) आम के दो मुख्य भेद हैं। जो आम के वृक्ष बीज बो कर प्राप्त होते हैं उन्हें बीजू और जो अच्छी जाती के आम पर कलम बाँध कर तैयार किये जाते हैं उन्हें कलमी आम कहते हैं।

देसी आम में रेशा अधिक और रस कम होता है जबकि कलमी आम के फल में गूदा अधिक होता है। कलमी आमों में लंग्दम अल्फांजो आदि बहुत लोकप्रिय हैं। दवा के रूप में प्रयोग हेतु बीजू आम को अधिक गुणकारी माना गया है।

आम के वृक्ष के प्रत्येक हिस्से को आयुर्वेद में औषधीय रूप से प्रयोग किया जाता है। छाल, पत्ते, गुठली, समेत जड़, फल आदि सभी गुणकारी हैं।

पत्ते: आम के नए पत्ते, रूचिकारी, कफ-पित्त नाशक हैं। इन पत्तों को सुखाकर चूर्ण बनाकर मधुमेह में खाया जाता है।

फूल: पुष्प शीतल, रुचिकारी, ग्राही, वातकारक हैं व कफ-पित्त, प्रमेह, और दुष्ट रुधिर नाशक हैं।

फल: आम के कच्चे फल जिन्हें अमिया या टिकोरा भी कहते हैं, कसैले, खट्टे, रुचिकारक, वात और पित्त को बढ़ाने वाले हैं। थोड़े बड़े होने पर यह खट्टे, त्रिदोष तथा रक्त विकार करने वाले हो जाते हैं।

अमचूर, जो की कच्चे सुखाये हुए फलों को पीस कर बनाया जाता है, उसे आम्रपेशी भी कहते हैं। यह स्वाद में खट्टा, स्वादिष्ट, कसैला, मलभेदक, दस्त लाने वाला और कफ-वात को दूर करने वाला होता है।

पका हुआ आम मधुर, वीर्यवर्धक, स्निग्ध, बल वर्धक, सुखदायक, भारी, वातनाशक, हृदय को प्रिय, रंग सुधारने वाला, शीतल, पित्त न बढ़ाने वाला, व विरेचक होता है।

कृत्रिम रूप से पकाया गया आम पित्त नाशक, मधुर और भारी होता है।

आम का रस बलदायक, भारी, वातनाशक, दस्तावार, हृदय को अप्रिय, तृप्तिदायक, पुष्टिकारक और कफ बढ़ाने वाला है। पके आम के सेवन से रक्त, मांस और बल बढ़ता है। यह शुक्रवर्धक लेकिन अजीर्णकारक भी माने गए हैं। यह तृप्तिकारक, कान्ति और धातु वर्धक है।

दूध के साथ खाया जाने वाला आम, वात-पित्त नाशक, रुचिकारक, पुष्टिकारक, बलदायक, वीर्यवर्धक, रंगत को उत्तम करने वाला, भरी, मधुर, व शीतल होता है।

आम का खंड, भारी, रुचिकारक, देर से पचे वाला, मधुर, पुष्टिकारक, बलदायक। शीतल और वात नाशक है।

अमावट: किसी कपड़े पर आम के रस को धूप में सुखाकर जब जमाते हैं तो अमावट बनती है। यह अमावट दस्तावार, रुचिकारक, हल्का, तृषा, वमन तथा वात-पित्तनाशक है।

गिरी: आम की गुठली, जो की आम का बीज है, भी बहुत गुणकारी है। आम की गुठली के अन्दर जो मज्जा या गिरी होती है उससे बहुत सी दवाएं बनाई जाती है।

डायबिटीज में इसके सेवन से रक्त में शर्करा का स्तर घटता है। गुठली की मज्जा में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, की काफी अच्छी मात्रा होती है। गुठली से गिरी को निकाल कर उसे सुखा कर पीस करके रख लेना चाहिए। गिरी का चूर्ण दस्त, पेचिश, पाचन रोगों और मधुमेह में बहुत अच्छी औषध के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इसे 2-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 3-4 बार खाया जा सकता है।

सामान्य जानकारी

  1. वानस्पतिक नाम: Mangifera indica
  2. कुल (Family): ऐनाकारडीएसए
  3. औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पत्ते, पुष्प, टहनी, फल, जड़, छाल
  4. पौधे का प्रकार: बढ़ा वृक्ष
  5. वितरण: भारतवर्ष के गर्म प्रदेश

आम के स्थानीय नाम / Synonyms

  1. संस्कृत: आम्र
  2. हिन्दी: आम
  3. अंग्रेजी: Mango
  4. गुजराती: Aambaro, Ambanoo, Aambo, Keri
  5. कन्नड़: Amavina
  6. मलयालम: Manga
  7. मराठी: Aamba
  8. उड़िया: Amkoili, Ambakoiti
  9. पंजाबी: Amb
  10. तमिल: Mangottai Paruppu, Maangottai
  11. तेलुगु: Mamidi-Jeedi
  12. उर्दू: Aam

आम का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  1. किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  2. सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  3. सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  4. डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  5. क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
  6. सबक्लास Subclass: रोसीडए Rosidae
  7. आर्डर Order: सेपिन्डेल्स  Sapindales
  8. परिवार Family: ऐनाकारडीएसए Anacardiaceae
  9. जीनस Genus: मैंगीफेरा एल Mangifera L
  10. प्रजाति Species: मैंगीफेरा इंडिका Mangifera indica

आम्र बीजमज्जा व वृक्ष की छाल के आयुर्वेदिक गुण और कर्म

स्वाद में यह मधुर और कषाय है, व गुण में रूक्ष है। स्वभाव से यह शीत है और कटु विपाक है।

यह शीत वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। शीत वीर्य औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।

  1. रस (taste on tongue): मधुर, कषाय
  2. गुण (Pharmacological Action): रुक्ष
  3. वीर्य (Potency):शीत
  4. विपाक (transformed state after digestion):कटु

विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। कटु विपाक, द्रव्य आमतौर पर वातवर्धक, मल-मूत्र को बांधने वाले होते हैं। यह शुक्रनाशक माने जाते हैं।

प्रधान कर्म

  • वातकर: द्रव्य जो वातदोष बढ़ाए।
  • कृमिघ्न: कृमिनाशक।
  • संग्राही: मल को बाँधने वाला।
  • कफशामक: कफ दोष को संतुलित करना।
  • पित्तशामक: पित्त दोष को संतुलित करना।

आयुर्वेदिक दवाएं जिनमें आम के बीज की मज्जा है:

  1. पुष्यनुग चूर्ण
  2. बृहत् गंगाधर चूर्ण
  3. अशोकारिष्ट

आयुर्वेदिक दवाएं जिनमें आम के वृक्ष की छाल है:

  1. न्याग्रोधादि चूर्ण
  2. चंदनासव
  3. मूत्रसंग्रहनीय चूर्ण

आम की पौष्टिकता (प्रति 100 ग्राम में)

100 ग्राम पके आम के फल में लगभग 60 किलोकैलोरी होती है। इसमें आम तौर पर पानी सबसे अधिक प्रतिशत में होता है। कच्चे आम में पानी की मात्रा कम होती है। पके आम में सुक्रोज, ग्लूकोज, और फ्रुक्टोज मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट का प्रमुख घटक होते हैं। कैरोटीनॉइड जैसे कि बीटा-कैरोटीन, बीओ-क्रिप्टोक्सैथिन, ज़ेक्सैथिन, ल्यूटॉक्सैथिन आइसोमर्स, वायलएक्सैथीन, और नेक्सैथीन, सभी प्रो-विटामिन ए हैं जो कि आम में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। आम को पीला रंग इन्हीं कैरोनोएनोड्स से मिलता है।

आम में मौजूद विटामिन ए दृष्टि, विकास, सेल्स, और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक है। पके आम में कच्चे आम की तुलना में बीटा-कैरोटीन की दस गुना अधिक मात्रा होती है। विटामिन सी की मात्रा आम के पकने पर काफी कम हो जाती है। इसके अलावा, आम में विटामिन बी 1 (थायामिन), बी 2 (राइबोफ्लैविविन) और विटामिन ई भी मौजूद हैं।

कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम और सोडियम जैसे खनिज, कई प्रकार के एंटीऑक्सिडेंट्स और फियोथेकैमिकल्स, विटामिन्स आदि सब मिल कर आम को सुपरफ्रूट बनाते हैं। अपने स्वाद, रस और पौष्टिकता के कारण ही आम फलों का राजा है।

  1. पानी 83.46 ग्राम
  2. ऊर्जा 60 किलोग्राम
  3. प्रोटीन 0.82 ग्राम
  4. कार्बोहाइड्रेट 14.98 ग्राम
  5. फाइबर 1.6 ग्राम

विटामिन

  1. थायामिन 0.028 मिलीग्राम
  2. रिबोफेलाविन 0.038 मिलीग्राम
  3. विटामिन ए 1082 आईयू
  4. विटामिन सी 6.4 मिलीग्राम
  5. विटामिन ई 0.90 मिलीग्राम

खनिज पदार्थ

  1. कैल्शियम 11 मिलीग्राम
  2. आयरन मिलीग्राम 0.16 मिलीग्राम
  3. मैगनीशियम एमजी 10 मिलीग्राम
  4. फास्फोरस पी 14 मिलीग्राम
  5. पोटेशियम के 168 मिलीग्राम
  6. सोडियम 1 मिलीग्राम

आम के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Mango in Hindi

औषधीय प्रयोगों के लिए आम के पत्तों, गिरी, तथा छाल का अधिक प्रयोग होता है। आम की गुठली की मज्जा को आयुर्वेद में मुख्य रूप से प्रमेह, मधुमेह, अतिसार, प्रवाहिका, छर्दी, जलन, व त्वचारोग में प्रयोग किया जाता है। वृक्ष की छाल को अतिसार, व्रण, अग्निमांद्य, ग्रहणी, प्रमेह व योनि रोग में औषधि की तरह प्रयोग किया जाता है।

संकोचक, संग्राही और पित्त शामक होने के कारण पाचन के रोगों में यह विशेष रूप से उपयोगी है। रक्त शर्करा को कम करने के गुण से यह मधुमेह में बहुत लाभप्रद है। आम के पत्ते में शक्तिशाली मधुमेह विरोधी गुण पाए जाते हैं और यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है। यह टाइप 1 डायबिटीज में अधिक प्रभावी है।

पत्तों का किसी प्रकार से किया गया सेवन अग्न्याशय में पायी जाने वाली β- कोशिकाओं को अधिक इंसुलिन स्राव को प्रेरित करता है । इसके अतिरिक्त यह आंतों में ग्लूकोज़ के अवशोषण को भी कम करता है।

डायबिटीज, प्रमेह, सूजाक

  • आम के पत्तों को छाया में सुखा लें। छः ग्राम की मात्रा में लेकर एक गिलास पानी में उबाल लें। पानी जब एक कप रह जाए तो छान कर पियें।
  • अथवा आम के पत्तों को छाया में सुखा कर चूर्ण बना लें। इसे 5 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन पर पानी के साथ लें।

अतिसार diarrhea

  1. आम की गुठली की मज्जा + बेल गिरी + मिश्री को समान भाग में मिला लें। इसे तीन से छः ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार लें। अथवा
  2. आम की छाल छः ग्राम + शहद छः ग्राम + बकरी का दूध 1 कप, दिन में तीन बार लें। अथवा
  3. आम के पत्तों का रस + जामुन के पत्तों का रस + आमला रस, को 15 – 30 ml की मात्रा में बकरी के दूध के साथ लें।

खूनी पेचिश

आम के पत्तों का रस 25 ml +  शहद + दूध, को मिलाकर पियें।

रक्तार्श bleeding piles

  • आम की गुठली का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करें। अथवा
  • आम की कोमल पत्तियों को पानी के साथ पीस लें। इसे पानी में मिलाकर छान ले और शक्कर मिला कर पियें।

आंव

गंगाधर चूर्ण को 3-6 ग्राम की मात्रा में सौंफ के अर्क के साथ लें।

रक्तप्रदर

आम की छाल को 20 ग्राम की मात्रा में पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें और दिन में दो बार पियें।

संग्रहणी रोग अथवा ग्रहणी (IBS)

मीठे आम का रस 20-25 ml + मीठा दही 20-25 ml + सोंठ 1चम्मच, को दिन में 2-3 बार सेवन करें।

तृष्णा / अधिक प्यास लगना

ताज़ा पत्तों का 7-14 ml रस अथवा सूखी पत्तियों से बना काढ़ा 14-28 ml की मात्रा में पियें।

दाद

दाद पर आम के फल की चोप लगाने से लाभ होता है।

हिक्का रोग hiccups

आम के पत्तों + धनिया को दो-चार ग्राम की मात्रा में कूट कर गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।

हैजा विसूचिका Cholera, आवाज बैठ जाना या गला बैठना या स्वरभंग hoarseness of voice

आम के पत्तों को चालीस ग्राम की मात्रा में लेकर 400 ml पानी में उबालें जब तक की पानी चौथाई न हो जाए। इसे छान कर थोड़ा शहद मिलाकर पियें।

यकृत की कमजोरी liver weakness

आम के पत्तों को छाया में सुखा लें। छः ग्राम की मात्रा में लेकर एक गिलास पानी में उबाल लें। पानी जब एक कप रह जाए तो छान कर थोड़ा दूध मिलाकर पियें।

नकसीर

आम के पुष्पों का नस्य लें।

काम शक्ति और स्तम्भन बढ़ाने के लिए

आम के पुष्पों का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करें।

मसूड़ों की कमजोरी

आम के पत्तों + छाल को पीसकर पानी में उबाल कर कुल्ला करें।

दातुन

आम की मुलायम टहनी से दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं।

सूजाक

आम की छाल 25 ग्राम को कूट कर एक गिलास पानी में भिगो दें और सुबह छान कर पियें।

बल, पुष्टि

आम का सेवन करें। दूध में छुहारा और सोंठ डाल कर पका कर पियें।

वीर्य को गाढ़ा करने के लिए

आम की गुठली की गिरी का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करें।

आम की औषधीय मात्रा

  1. आम के वृक्ष की छाल को 3-6 ग्राम की मात्रा में चूर्ण रूप में लिया जाता है। 20-50 ग्राम की मात्रा में लेकर इसका काढ़ा भी बनाया जा सकता है।
  2. आम्रबीज मज्जा के बारीक चूर्ण को लेने की औषधीय मात्रा 2-3 ग्राम है।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. कच्चे आमों को अधिक में नहीं खाया जाना चाहिए। केवल एक या दो छोटे कच्चे आम ही खाए जा सकते हैं।
  2. कच्चे -खट्टे आम को बहुत अधिक मात्रा में खाने से मन्दाग्नि, विषम ज्वर, रक्त के दोष, विबंध, गले में जलन, अपच, पेचिश और व नेत्र रोग throat irritation, indigestion, dysentery and abdominal colic  होते हैं, ऐसा आयुर्वेद में कहा गया है।
  3. अधिक आम खाने के दुष्प्रभाव को ठीक करने के लिए सोंठ के चूर्ण को पानी के साथ अथवा जीरा को काले नमक के साथ खाना चाहिये।
  4. आम खाने के बाद दूध का सेवन किया जाता है। यह शरीर को बल, कान्ति और ताकत देता है।
  5. आम खाने के बाद पानी न पियें।
  6. आम की चोपी को खाने से पहले हटा दें। चोपी के सेवन से जलन mouth, throat and gastro intestinal irritations होती है।
  7. बहुत अधिक आम खाने से कुछ बच्चों में मौसमी त्वचा रोग हो सकते हैं।

एवोकाडो Avocado (Persea americana) पौष्टिकता, लाभ और सावधानियां

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एवोकाडो से आप जरुर परिचित होंगे। यह नाशपाती के आकार का यह एक एक्सोटिक फल है जो की आजकल भारत में भी मिलने लगा है। इसका लैटिन नाम पर्सिआ अमेरिकाना Persea americana है। यह मध्य और दक्षिण अमेरिका का मूल निवासी है और अब पूरी दुनिया के ट्रॉपिकल और सबट्रॉपिकल प्रदेशों में उगाया जाना लगा है। भारत में एवोकाडो बैंगलोर, नंदी हिल्स, पुणे और नीलगिरी में उगाया जा रहा है। तमिलनाडु के कल्लार और बुर्लिअर में इसकी आठ किस्में और बैंगलोर में चौदह किस्में उगाई जा रही है।

avocados

एवाकाडो फल स्वाद में कसैला और कुछ मीठा होता है। यह एक पौष्टिक और गुणकारी फल है। ओलिव को छोड़ किसी भी फल में इतना फैट नहीं है जितना की एवोकाडो में। एवोकाडो की पौष्टिकता में उगाई जाने वाली जगह के अनुसार कुछ भिन्नता हो सकती है।

नीलगिरी से मिलने वाले एवाकाडो में करीब 23 प्रतिशत वसा, 2 प्रतिशत प्रोटीन के साथ-साथ बहुत से खनिज और विटामिन पाए हैं। जो एवोकाडो मेक्सिको के हैं उनमें तेल की मात्रा काफी अधिक है (30 g/100 g)। फल के अन्दर केवल एक ही बीज होता है जो की वसा युक्त गूदे से घिरा होता है।

एवोकाडो के पेड़ के भिन्न हिस्सों का मध्य-दक्षिण अमेरिका के देशों में विविध रूप से प्रयोग होता है। इसके फल, बीज, पत्ते, तेल आदि को भोजन-दवा और सौदर्य बढ़ाने के लिए प्रयोग प्राचीन समय से होता आ रहा है। इसे आंतरिक-बाह्य सभी तरह से इस्तेमाल हैं। इसके अतिरिक्त पहले के समय में एवोकाडो बीज के दूधिया फ्लूइड से एक भूरी-काली स्याही भी प्राप्त की जाती थी जिसे कागज पर लिखने और कपड़ों को रंगने में प्रयोग करते थे। पत्तों को सुखा कर तेज पत्ता की ही तरह भोजन में प्रयोग किया जाता है।

सामान्य जानकारी

पर्सिया अमेरिकाना एक बड़ा वृक्ष है जिसकी उंचाई 15-18 मीटर हो सकती है। यह मध्य अमेरिका में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इसके पत्ते लम्बगोल – भालकार, चालीस सेंटीमीटर लम्बे हो सकते हैं। फूल हरे छोटे और फल बड़े नाशपाती के आकार के होते हैं। यह देखने में कुछ लम्बे और अंडाकार होते हैं। फलों का रंग पीला-हरा, लाल-भूरा या जामुनी सा होता है। फल का गूदा मक्खन जैसा मुलायम या सख्त हो सकता है। फल में केवल एक बीज होता है।

  • वानस्पतिक नाम: पर्सिया अमेरिकाना Persea gratissima Gaertn
  • अन्य अंग्रेजी नाम: Alligator Pear, Butter Fruit
  • भारतीय नाम: Kulu Naspati or Makhanphal
  • पौधे का प्रकार: वृक्ष

एवोकाडो का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  1. किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  2. सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  3. सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  4. डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  5. क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
  6. सबक्लास Subclass: Magnoliidae
  7. आर्डर Order: लौरेल्स Laurales
  8. परिवार Family: लौरेसेऐइ  – लौरेल फॅमिली (दालचीनी, तेजपत्ता परिवार)
  9. जीनस Genus: पर्सिआ Persea Mill। – bay P
  10. प्रजाति Species: पर्सिआ अमेरिकाना

एवोकाडो फल में पोषण (प्रति 30 ग्राम)

  • कैलोरी 50
  • कोलेस्ट्रोल नहीं
  • सोडियम 2 मिलीग्राम
  • पोटैशियम 150 मिलीग्राम
  • डाइटरी फाइबर 2 ग्राम
  • प्रोटीन 1 ग्राम
  • टोटल फैट 4.5 ग्राम
  • – पूफा (पीयूएफए-पॉली अनसेच्युरेटेड फैटी एसिड) 0.5 ग्राम
  • – मूफा (एमयूएफए-मोनो सेच्युरेटेड फैटी एसिड) 3 ग्राम
  • विटामिन A 1%
  • विटामिन C 4%
  • आयरन 1 %
  • खनिज 1.1 प्रतिशत

एवोकाडो के औषधीय प्रयोग

एवोकाडो में गर्भस्रावकारी, गर्भनिरोधी, एंटीसेप्टिक, कामोद्दीपक, कसैला, मूत्रवर्धक, परजीवीनिरोधी, आदि गुण हैं। फल के गूदे को कामोत्तेजक aphrodisiac और emmenagogue के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह मेक्सिको में काफी पुराने समय से बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं के प्राकृतिक इलाज़ में प्रयोग किया जाता रहा है। मेक्सिको निवासी इसे लीवर की समस्या में इसके हिपेटोप्रोटेक्टिव गुण hepatoprotective के कारण प्रयोग करते आ रहे हैं।

मेक्सिको में फल के गूदे को ट्यूमर के लिए व कुटे हुए बीजों को रूबेफिएन्ट rubefacient के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बीजों का काढ़ा, दांत दर्द को दूर करने के लिए स्थानीय रूप से उपयोग किया जाता है।

एवेकाडो के फल के पेरिकार्प से तेल बनाया जाता हैं जिसे Avocado oil कहते हैं। इसमें विटामिन ई, ओलिक एसिड, पामिटिक एसिड, लिनोलिक एसिड और पालमिटोलिक एसिड मुख्य रूप से पाए जाते हैं। इसे प्राकृतिक सौन्दर्य प्रसाधनों natural cosmetics क्रीम, आदि में काफी प्रयोग किया जा रहा है।

  1. एवेकाडो फल को बाहरी रूप से त्वचा पर भी लगा सकते हैं। यह त्वचा को ठंडक देता है और मुलायम बनाता है।
  2. बीज के पाउडर का रूसी के लिए प्रयोग किया जाता है।
  3. त्वचा पर फोड़े-फुंसी के लिए बीज का तेल प्रयोग किया जाता है ।
  4. एवकाडो के बीजों से बने काढ़े के सेवन से पेट के कीड़े दूर होते हैं।
  5. इसके बीजों की पुल्टिस को बाहरी रूप से लागने से बाल का झड़ना रुकता है।
  6. पत्तों से बनी चाय को मासिक लाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  7. पायरिया में पत्तों को चबाने से लाभ होता है।
  8. पत्तों से बनी पुल्टिस को घाव पर लगाया जाता है।
  9. इसकी मुलायम टहनी का काढा कफ में दिया जाता है।
  10. पत्तों का काढ़ा दस्त, गले में खराश, हेमरेज, तथा मासिक धर्म की अनियमितता को दूर करने के लिए देते हैं।

एवोकाडो खाने के लाभ Health Benefits of Avocado Fruits in Hindi

एवोकाडो फल बहुत अधिक पौष्टिक होते हैं। यह फलों में सबसे अधिक एनर्जी देने वाले फल हैं। फलों को ताज़ा, नमक के साथ, काली मिर्च छिड़क कर, चीनी और नींबू रस के आदि के साथ खाया जा सकता है। इसे आइस क्रीम, सलाद, सैंडविच, सूप, टोरटीला आदि में भी डाला जाता है।

फलों के गूदे में 3–30% तेल होता है जो की त्वचा की नमी बनाये रखने वाले जेलों, फेस क्रीम, हैण्ड लोशन आदि में एक इनग्रेडीयेंट की तरह डाला जाता है। यह तेल एलर्जी नहीं करता और सूर्य की त्वचा को काली करने वाली किरणों को रोकता है।

एवोकाडो में प्रोटीन बहुत होता है। इसमें MUFA, Mono-unsaturated Fatty Acid (up to 69% oleic-हेल्थी फैट, की काफी अधिक मात्रा होती है। इस प्रकार के फैट पूरी सेहत और विशेषकर हृदय की रक्षा के लिए अत्यंत ज़रूरी हैं। यह शरीर में बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करने में सहयोगी है और अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है। इसलिए यदि आपको हाई कोलेस्ट्रोल है तो निश्चित ही एवोकाडो को अपनी डाइट में शामिल करें।

इसमें विटामिन E हैं जो की एक उत्तम एंटीऑक्सीडेंट है और शरीर की सेल्स को फ्री सेल डैमेज से बचाता है। इसमें फोलेट होता है जो की होमोसिस्टीन लेवल को कम करता है।

इसमें पाया जाने वाले कैरोटीनोइड्स के कारण यह आँखों के लिए अच्छा है और कैटरेक्ट और मेकुलर डीजनरेशन से आँखों को बचाता है।

  1. यह लीवर, फेफड़ों, त्वचा, और हृदय को पोषण देता है।
  2. यह टॉनिक है और शरीर को काम करने के लिए ताकत देता है।
  3. इसमें फैट में घुलनशील विटामिन A, D, E पाए जाते हैं।
  4. इसमें खनिज विशेष रूप से कॉपर और आयरन की अच्छी मात्रा होती है।
  5. इसमें फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सोडियम, मैंगनीज़ होता है।
  6. इसमें पोटैशियम की मात्रा केलों की तुलना में अधिक है। पोटैशियम शरीर में रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहयोगी है।
  7. यह मांसपेशियों को ताकत देता है, त्वचा का पोषण करता है और अन्य फलों की अपेक्षा में अधिक पौष्टिक है।
  8. इसके सेवन से शरीर में वात कम होता है, इसलिए वात रोगों में इसका सेवन लाभप्रद है।
  9. इसके फल में काफी फाइबर होता है जिस कारण यह कब्ज़ और कोलेस्ट्रोल को दूर करता है।
  10. एवोकाडो का सेवन डायबिटीज में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में लाभप्रद है। यह ट्राइग्लिसराइड, बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करता है और साथ ही इन्सुलिन के सही से काम करने में मदद करता है।
  11. जोड़ों के दर्द, स्टिफनेस, आर्थराइटिस तथा अन्य वातरोगों में एवोकाडो का सेवन लाभप्रद हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन्स, कैरोटीनोइड्स carotenoid lutein, सूजन और दर्द में आराम देते हैं।
  12. यह एंटीएजिंग है। यह वज़न को बढ़ाने में लाभप्रद है। इसके सेवन से इम्युनिटी बढ़ती है। इसमें मौजूद वसा के कारण इसके सेवन से किसी अन्य फल की तुलना में अधिक एनर्जी, फैट सोल्यूबल विटामिन और अच्छा फैट मिलता है। यह फैट बालों और त्वचा को चिकनाई देता है और ड्राईनेस दूर करता है।

सावधनियाँ

जो लोग डिप्रेशन के लिए Monoamine oxidase inhibitors (MAOIs) दवाओं का सेवन करते हैं, उन्हें अवकेडो का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि इसमें tyramine होता है।

  1. एवाकाडो में पोटैशियम की प्रचुर मात्रा होती है।
  2. जिन्हें पोटैशियम कम लेने की सलाह हो, वे इसका सेवन सावधानी से करें।
  3. पत्तों का काढ़ा गर्भवस्था में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  4. अवाकेडो वात और पित्त को कम करता है लेकिन कफ को बढ़ाता है।
  5. कफ की अधिक प्रवृति हो तो इसका सेवन सावधानी से करें।
  6. अवाकेडो से यदि कोई दुष्प्रभाव हो तो हल्दी, नींबू और काली मिर्च का सेवन करें।
  7. कच्चा फल न खाएं।
  8. इसे बहुत लम्बे समय तक स्टोर न करें।
  9. इसे फ्रिज में न रखें।
  10. इस फल में कैलोरी की मात्रा काफी होती है।
  11. अधिक मात्रा में सेवन वज़न बढ़ा सकता है।

अंजीर Common Figs जानकारी, फायदे प्रयोग और सावधानियां

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अंजीर का उत्पत्ति स्थान एशिया माइनर, फिलिस्तीन और फारस है। भारत के लिए यह विलायती फल है तथा अब इसे कश्मीर, बैंगलोर, नासिक, मैसूर आदि में उगाया जाता है। बलूचिस्तान और अफगानिस्तान (काबुल) में यह प्रचुरता से पायी जाती है। अफगानिस्तान की अंजीर को अच्छी गुणवत्ता का माना जाता है।

अंजीर गूलर जाति के वृक्ष से प्राप्त एक फल है। इसके पेड़ चार-पांच मीटर ऊँचे होते हैं। पत्ते और शाखाएं रोयें युक्त होती हैं। शुरू में फल हरे और पकने पर भूरे-आसमानी से हो जाते हैं। । अंजीर के पके फल मीठे, स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं। फलों को ताज़ा व सुखा कर प्रयोग किया जाता है।

fig

सूखे अंजीर मेवे की तरह खाए जातें हैं और यह हमेशा उपलब्ध होते हैं जबकि ताज़े फल केवल मौसम में ही उपलब्ध होते हैं। सुखा दिए जाने पर इसमें से पानी की मात्रा काफी कम और शर्करा की मात्रा अधिक हो जाती है। सूखे हुए फल में शर्करा, वसा, पेक्टोज़, अल्ब्युमिन, खनिज और विटामिन होते हैं। इसके बीजों से तेल भी निकाला जाता है। अंजीर के सेवन के अनेकों लाभ हैं।

अंजीर को एक औषधी की तरह भी प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में इसे शीत वीर्य लेकिन यूनानी में इसे पहले दर्जे का गर्म और दूसरे दर्जे का तर माना गया है। यूनानी दवा माजून इन्जीर MAJUN INJEER, में यह प्रमुख घटक है। इस दवा को पुराने कब्ज़ (एक्शन Mulaiyin / Aperient) में दिया जाता है। माजून इन्जीर को सोने से पहले एक चम्मच की मात्रा में पानी के साथ लेते हैं।

अंजीर शक्तिवर्धक, वाजीकारक, स्वास्थ्यवर्धक, पाचन और आँतों के लिए हितकारी व पौष्टिकता से भरपूर है। इस पेज पर अंजीर के बारे जानकारी देने की कोशिश की गई है। कृपया इसे पढ़ें, ज्ञान वर्धन करें एवम इसे अपने आहार में शामिल करके स्वास्थ्य ठीक रखें और रोगों को दूर करें।

सामान्य जानकारी

  • वानस्पतिक नाम: फाईकस केरिका
  • कुल (Family): मोरेसिएई
  • औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पत्ते और फल
  • पौधे का प्रकार: वृक्ष
  • जलवायु: सूखी और गर्म

अंजीर के स्थानीय नाम / Synonyms

  • हिन्दी: अंजीर
  • अंग्रेजी: Figs
  • अरब: तीन
  • फ़ारसी: अंजीर विलायती

अंजीर का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  1. किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  2. सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  3. सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  4. डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  5. क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
  6. सबक्लास Subclass: हेमेमेलीडिडेइ Hamamelididae
  7. आर्डर Order: अरटीकेल्स Urticales
  8. परिवार Family: मोरेसिएई Moraceae
  9. जीनस Genus: फाईकस Ficus
  10. प्रजाति Species: फाईकस केरिका Ficus carica

अंजीर मेवा (सूखी अंजीर) के हर 100 ग्राम की पौष्टिकता

  1. कुल कैलोरी: 250
  2. कार्बोहाइड्रेट: 64 ग्राम
  3. आहार फाइबर: 10 ग्राम
  4. शर्करा: 48 ग्राम
  5. प्रोटीन: 3 ग्राम
  6. कुल वसा: 1 ग्राम
  7. संतृप्त फैट: 0.3 ग्राम
  8. मोनोअनसैचुरेटेड फैट: 0.3 ग्राम
  9. विटामिन ए: 10 आईयू
  10. विटामिन सी: 1.2 मिलीग्राम
  11. विटामिन ई: 0.4 मिलीग्राम
  12. विटामिन के: 15.6 माइक्रोग्राम
  13. फोलिक एसिड: 9 ग्राम
  14. नियासिन: 0.6 मिलीग्राम
  15. पैंटोफेनीक एसिड: 0.4 मिलीग्राम
  16. विटामिन बी 6: 0.1 मिलीग्राम
  17. रिबोफैक्विइन: 0.1 मिलीग्राम
  18. थियामीन: 0.1 मिलीग्राम
  19. चोलिन: 15.8 मिलीग्राम
  20. बेटेन: 0.7 मिलीग्राम
  21. कैल्शियम: 162 मिलीग्राम
  22. कॉपर: 0.3 मिलीग्राम
  23. लोहा: 2 मिलीग्राम
  24. मैग्नीशियम: 68 मिलीग्राम
  25. मैंगनीज: 0.5 मिलीग्राम
  26. फास्फोरस: 67 मिलीग्राम
  27. पोटेशियम: 680 मिलीग्राम
  28. सोडियम: 10 मिलीग्राम
  29. सेलेनियम: 0.6 माइक्रोग्राम
  30. जस्ता / जिंक: 0.5 मिलीग्राम

ताजे अंजीर के फल का हर 100 ग्राम का पौष्टिकता

  1. कैलोरीज़: 74
  2. कार्बोहाइड्रेट: 1 9 ग्राम
  3. आहार फाइबर: 2. 9 ग्राम
  4. शर्करा: 16 ग्राम
  5. प्रोटीन: 0.75 ग्राम
  6. कुल वसा: 0.3 ग्राम
  7. संतृप्त फैट: 0.1 ग्राम
  8. पूफा/पोलीअनसैचुरेटेड फैट: 0.1 ग्राम
  9. मूफा/मोनोअनसैचुरेटेड फैट: 0.1 ग्राम
  10. विटामिन ए: 140 आईयू
  11. विटामिन सी: 2 मिलीग्राम
  12. विटामिन ई: 0.11 मिलीग्राम
  13. विटामिन के: 4.7 माइक्रोग्राम
  14. फोलिक एसिड: 6 माइक्रोग्राम
  15. नियासिन: 0.4 मिलीग्राम
  16. पैंटोफेनीक एसिड: 0.3 मिलीग्राम
  17. पाइरिडोक्सीन: 0.12 मिलीग्राम
  18. रिबोफ़्लिविन: 0.05 मिलीग्राम
  19. थियामीन: 0.06 मिलीग्राम
  20. पोटेशियम: 232 मिलीग्राम
  21. सोडियम: 1 मिलीग्राम
  22. कैल्शियम: 35 मिलीग्राम
  23. कॉपर: 0.07 मिलीग्राम
  24. लोहा: 0.37 मिलीग्राम
  25. मैग्नीशियम: 17 मिलीग्राम
  26. मैंगनीज: 0.13 मिलीग्राम
  27. सेलेनियम: 0.2 माइक्रोग्राम
  28. जस्ता: 0.15 मिलीग्राम

कर्म Principle Action

  1. अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
  2. कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  3. कफनिःसारक / छेदन: द्रव्य जो श्वासनलिका, फेफड़ों, गले से लगे कफ को बलपूर्वक बाहर निकाल दे।
  4. मूत्रल : द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये। diuretics
  5. मूत्रकृच्छघ्न: द्रव्य जो मूत्रकृच्छ strangury को दूर करे।
  6. वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  7. दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  8. वृष्य: द्रव्य जो बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक हो।
  9. हृदय: द्रव्य जो हृदय के लिए लाभप्रद है।
  10. विरेचन: द्रव्य जो पक्व अथवा अपक्व मल को पतला बनाकर अधोमार्ग से बाहर निकाल दे।
  11. बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  12. स्वेदल: द्रव्य जो स्वेद / पसीना लाये।
  13. श्वासकासहर: द्रव्य जो श्वशन में सहयोग करे और कफदोष दूर करे।

अंजीर खाने के लाभ और औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Figs in Hindi

सभी जानते हैं की सूखी हुई अंजीर को एक मेवे की तरह प्रयोग किया जाता है। यह मार्किट में पूरे साल उपलब्ध होते हैं। मेवे की तरह खाने से हमे कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, खनिज, अम्ल, लोहा, विटमिन A, पोटैशियम, सोडियम, गंधक व फोस्फोरिक एसिड मिलते हैं। अंजीर खाने से मन प्रसन्न होता है व कमजोरी दूर होती है। यह कब्ज़नाशक, पित्त नाशक, रक्त-रोग निवारक तथा वायु विकार दूर करने वाली है। इसके सेवन से पुराने कब्ज़, सदैव थकावट-सी महसूस कोना, नींद-सी बनी रहना, किसी कार्य में मन नहीं लगना, गैस, लीवर की समस्या, में लाभ होता है।

अंजीर में वसा होती हैं जिससे यह त्वचा और बालों को चिकनाई देता है। कम मात्रा में लेने पर इसे लीवर और स्प्लीन के लिए इसे लाभकारी माना गया है। किन्तु अधिक मात्रा में किया गया सेवन हानिप्रद है। अंजीर विरेचक, मूत्रल, स्वेदक, और कफनिस्सारक होने से शरीर से विजातीय पदार्थों को विभिन्न माध्यमों से बाहर करती है। इसे न केवल मेवे बल्कि एक औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

अंजीर के फायदे

  1. अंजीर को सोने से पहले लेने से कब्ज़ दूर होती है और कोष्ठ साफ़ होता है।
  2. अंजीर दीपन – पाचन, स्वेदन, कफ शामक और मूत्रल है।
  3. यह अत्यंत पुष्टिकर और जीवनीय मेवा है।
  4. इसके सेवन से शरीर से गन्दगी दूर होती है व रंग निखरता है।
  5. यह श्वास-कास, अधिक कफ आदि में लाभप्रद है।
  6. अपने स्वेदन के गुणों के कारण यह शरीर से पसीना ला कर विजातीय पदार्थों को दूर करने में सहायक है।
  7. अखरोट के साथ इसका सेवन वाजीकारक है और कामेच्छा को बढ़ाता है।
  8. यह शरीर को वसा देता है।
  9. यह अनुलोमिक है और गैस, पेट फूलना, आनाह में सूखे अंजीर खाने से आराम होता है।
  10. यह रक्त पित्त और वात रोगों में लाभप्रद है।
  11. अंजीर में आयरन और कैल्सियम भरपूर मात्रा में होते हैं।

अंजीर के दवा की तरह प्रयोग

कब्ज़, बवासीर

अंजीर में सेल्यूलोज़, चिकनाई पायी जाती है इस कारण यह कब्ज़, बवासीर और कब्ज़ के कारण होने वाली अन्य दिक्कतों में अत्यंत लाभकारी है। इसमें सेवन से आँतों में जमा मल दूर हो जाता है। इसको कब्ज़ में लेने से किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं है अपितु इसकी पौष्टिकता के कारण यह अत्यंत लाभप्रद है। यह आँतों की भीतरी दीवारों को ताकत और स्वास्थ्य प्रदान करने में सहयोगी है।

  1. अंजीर 3-4 को दूध में उबालकर रात को सोने से पहले खाएं और दूध पी जाएँ। अथवा
  2. अंजीर को रात में पानी में भिगो दें और सुबह मसल कर खा ले और पानी पी जाएँ।
  3. अथवा अंजीर को शहद के साथ खाएं।

अस्थमा

अंजीर 3-4 को रात में पानी में भिगो दें और सुबह मसल कर खा ले और पानी पी जाएँ।

कमजोरी, कफ,खांसी

अंजीर खाएं।

प्यास अधिक लगना

अंजीर 3-4 खाएं।

खून की कमी

अंजीर का सेवन करें।

आँतों की कमजोरी, पेचिश, दस्त

अंजीर का कुछ घंटे पानी में भिगों लें और फिर इसका काढ़ा बनाकर सेवन करें।

खून के विकार, रक्त पित्त, नकसीर फूटना

अंजीर को शहद के साथ खाएं।

पेशाब के रोग, पेशाब में जलन

अंजीर को रात में पानी में भिगो दें और सुबह मसल कर खा ले और पानी पी जाएँ।

वाजीकरण, बलवर्धन, शक्ति वर्धन

  1. सुबह 2-3 अंजीर खा कर मिश्री मिला दूध पी लें। ऐसा नियमित एक महीने तक करें। अथवा
  2. रात को खजूर और अंजीर को पानी में भिगो लें। सुबह इसे खाली पेट मसल कर सेवन करें और पानी पी लें।

अंजीर की औषधीय मात्रा

सूखी अंजीर को पांच पीस तक की मात्रा में ले सकते हैं।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. अधिक मात्रा में इसे पेट और लीवर के लिए अहितकर माना गया है।
  2. इसके दुष्प्रभाव दूर करने के लिए सिकजबीन अथवा बादाम दिया जाता है।
  3. प्रतिनिधि रूप में मुनक्का प्रयोग किया जाता है।
  4. डायबिटीज में सूखी अंजीर का प्रयोग या तो पूरी तरह से न करें, अथवा बहुत कम मात्रा में और वो भी सावधानी से करें। सूखी अंजीर में शर्करा की काफी मात्रा होती है इसलिए यह ब्लड ग्लूकोज लेवल को बढ़ा सकती है।
  5. अंजीर में पोटैशियम होता है।
  6. यह पचने में भारी है।
  7. खाने से पहले अंजीर को अच्छे से धो लें।
  8. रात में अंजीर भिगोते समय केवल उतना ही पानी डालें जो की अवशोषित हो जाए।
  9. कम मात्रा में खाने पर यह पाचक, हृदय-लीवर और स्प्लीन के लिए हितकर है। परन्तु अधिक मात्रा में खाने गैस, अतिसार आदि उपद्रव हो सकते हैं।
  10. अंजीर को पूरे लाभ लेने के लिए इसे अच्छे से धो लें। अब एक बर्तन में पीने के पानी की इतनी मात्रा लें  जितनी अंजीर सोख ले, और ढक दें। इसे सुबह मसल कर खा लें।

शमी (खेजड़ी) Shami Tree धार्मिक महत्व और औषधीय प्रयोग

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शमी को छोकर, खेजड़ी, जंड, चौंकर, सफ़ेद कीकर, खार, सांगरी, सेमरु, सोमी, सवंदल ताम्बु आदि नामों से भारत भर में जाना जाता है। लैटिन में इसका नाम प्रोसोपिस सिनेरेरिया और प्रोसोपिस स्पाईसीजेरा है।

shami tree

शमी का वृक्ष राजस्थान, गुजरात, सिंध, पंजाब और उत्तर प्रदेश में पाया जाता है। इसकी लकड़ी का प्रयोग यज्ञ-हवन आदि में होता है। देखने में यह बबूल के वृक्ष जैसा होता है। कुछ लोग इसे सफ़ेद कीकर भी कहते हैं। यह देश के सूखे हिस्सों की नमकीन-रेतीली भूमि में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। नए पौधे वृक्ष की जड़ों और बीजों से प्राप्त होते हैं। इसमें पीले-गुलाबी से पुष्प मार्च से मई महीने में आते हैं।

यह प्रायः जंगलों में पाया जाता है और पूजन आदि के लिए मंदिरों के आस-पास भी लगाया जाता है। इस वृक्ष का तना छाल युक्त होता है। यह एक मध्यम आकार का एक कांटेदार वृक्ष है। इसकी उंचाई 5-9 मीटर तक हो सकती है। पत्ते घने और बबूल या इमली के समान दिखाई देते है। यह मटर जाति का वृक्ष है और इसमें फलियाँ लगती हैं जो कुछ जगहों पर खायीं भी जाती है।

शमी को राजस्थान में कल्पवृक्ष कहते हैं। इसके पत्ते, फल, काष्ठ, जड़ें सभी कुछ लाभप्रद है। यह भूमि के अपरदन को रोकता है। इसकी जड़ें भूमि में बहुत अधिक गहरी (3 मीटर से भी अधिक) होती हैं व पानी की बहुत कमी हो जाने पर भी हरी रहती हैं। इसलिए सूखे के समय इसकी पत्तियाँ पशुओं के लिए चारे के काम आती हैं। इसकी फलियों से बनी सब्जी में 14-18 प्रतिशत प्रोटीन होती है। इसकी जड़ें बहुत गहरी होती हैं इसलिए अन्य पौधे जो इसके आस-पास उगते हैं, उनके विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसके अतिरिक्त शमी के पेड़ के नीचे भूमि की उर्वरता भी अधिक होती है।

धार्मिक महत्व

संस्कृत शमी के कई नाम दिए गए है जैसे की अग्निगर्भा, ईशानी, पार्वती, सुपत्रा, मंगल्या, लक्ष्मी, रामपूजिता, हविर्गन्धा आदि। शमी का छोटा वृक्ष शमीर या शमरी कहलाता है तथा बड़ी शमी को सक्तुफला व शिवा कहा गया है। राजस्थान में शमीर को खेजड़ी और शमी को खेजड़ा कहा जाता है। इसकी लकड़ी यज्ञ के लिए बहुत ही उपयुक्त है और इसी कारण इसे अग्निगर्भा कहा गया है। शमी के लिए अग्निगर्भा नाम भागवत पुराण, मनुस्मृति, अभिज्ञान शकुंतलम और रघुवंश आदि में प्रयोग किया गया है। शमी के फल भीतर से भुरभुरे होते हैं अतः यह सक्तुफला कहते हैं। इसकी शाखाएं अल्प होती है और यह अल्पिका कहलाता है। इसके क्षार को हरिताल के साथ लगाने से बाल झड़ जाते हैं इसलिए इसे केशहन्त्री कहते हैं।

शमी एक पूजनीय वृक्ष है। इस पवित्र वृक्ष को माता पार्वती का साक्षात् रूप माना जाता है क्योंकि अग्नि के माध्यम से इसने कुछ काल तक भगवान शिव का तेज वहन किया। अतः यह वृक्ष शिवा, इशानी आदि नामों से जाना जाता है। आयुर्वेद के निघंटुओं में इसे केशों के लिए विनाशकारी, मादकता करने वाला कहा गया है।

भगवान श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले शमी के वृक्ष की पूजा की। शमी ने उन्हें आशीर्वाद दिया की आपकी ही विजय होगी। दशहरा जिसे विजयदशमी भी कहते हैं, के दिन शमी वृक्ष की पूजा की जाती है। इस दिन की जाने वाली इस विशेष पूजा-आराधना से व्यक्ति को कभी भी धन-धान्य का अभाव नहीं होता।

महाभारत में ऐसा वर्णन मिलता है की अग्नि देव, महर्षि भृगु से भयभीत होकर शमी में प्रविष्ट हो गए। देवताओं द्वारा खोजे जाने पर वे शमी के गर्भ में रहते हुए मिले। पांडवों ने वनवास के समय अज्ञातवास शुरू होने से पहले अपने अस्त्र-शस्त्र शमी के वृक्ष पर छिपा दिए थे।

महाकवि कालिदास रचित अभिज्ञान शाकुन्तलम् में ऋषि कण्व जब तीर्थ यात्रा से लौटते हैं ती वे आश्रम में सुनते है, जिस प्रकार शमी अग्नि को धारण किये हुए है उसी प्रकार आपकी कन्या ने प्राणियों के मंगल के लये दुष्यंत का तेज धारण किया है।

ऐसा माना जाता है, शमी वृक्ष की पूजा करने से शनि का प्रकोप और पीड़ा कम होती है। इसके लिए है, शमी के नीचे नियमित रूप से सरसों के तेल जालना चाहिए।

शमी की पत्तों को ग्रन्थों में अग्नि जिह्वा कहा गया है। मांगलिक कार्यों में किये जाने वाले यज्ञों में शमी के पत्तों को यज्ञ में डाला जाता है इसलिए यह मांगल्या है। शमी के पत्ते शुद्ध हैं और पापों को दूर करते हैं। पीपल का वृक्ष पुरुष का प्रतीक है और इसके विवाह लोकधर्म में कदली, तुलसी और शमी से किये जाते हैं। शमी पापों को नष्ट करने वाली व शत्रुओं का विनाश करने वाली है। यह अमंगलों को दूर करने वाली और सिद्धियों को प्राप्त करने वाली है।

सामान्य जानकारी

  • वानस्पतिक नाम: Prosopis cineraria / Druce। Prosopis spicigera
  • कुल (Family): Mimosaceae
  • औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: सभी हिस्से
  • पौधे का प्रकार: वृक्ष / बड़ी झाड़ी

शमी के स्थानीय नाम / Synonyms

  1. संस्कृत: Shami, Tungaa, Keshahantri, Shankuphalaa
  2. हिन्दी: शमी Chhonkar, Sami, Chhikur, Jhand, Khejra,  Banni Mara, Khejri tree, Khejri, Safed Kikar, Sami, Shami, Shame, Jhand, Chikur, Chonkar, Chinkur
  3. अंग्रेजी: Spunge tree, Indian Mesoquite, Shame
  4. असमिया: Kalisam
  5. बंगाली: Sain, Shami
  6. गुजराती: Kheejado, Sami
  7. कन्नड़: Banni, Kabanni
  8. मलयालम: Parampu, Tambu, Vahni
  9. मराठी: Sami, Saunder
  10. उड़िया: Shami
  11. पंजाबी: Jand
  12. तमिल: Vanni, Kalisam
  13. तेलुगु: Jammi

शमी का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  • किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  • सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta  संवहनी पौधे
  • सुपर डिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  • डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  • क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
  • सब क्लास Subclass: रोसीडए Rosidae
  • आर्डर Order: फेबल्स Fabales
  • परिवार Family: Fabaceae ⁄ Leguminosae मटर परिवार
  • जीनस Genus: Prosopis L. – mesquite
  • प्रजाति Species: Prosopis cineraria (L.) Druce – jand

शमी के आयुर्वेदिक गुण और कर्म

शमी के पत्ते स्वाद में कटु, तिक्त, कषाय व गुण में लघु,-रुक्ष है। स्वभाव से पत्ते शीत (फल उष्ण) और कटु विपाक है। यह शीत वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। शीत वीर्य औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।

शमी का फल भारी, पित्तकारक, रूखे माने गए हैं। इनका सेवन मेधा और केशों का नाश करने वाला बताया गया है।

  1. रस (taste on tongue): कटु, तिक्त, कषाय
  2. गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष
  3. वीर्य (Potency): शीत
  4. विपाक (transformed state after digestion): कटु

प्रधान कर्म

  1. पित्तहर: द्रव्य जो पित्तदोष पित्तदोषनिवारक हो। antibilious
  2. कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  3. विरेचन: द्रव्य जो पक्व अथवा अपक्व मल को पतला बनाकर अधोमार्ग से बाहर निकाल दे।
  4. कुष्ठघ्न: द्रव्य जो त्वचा रोगों में लाभप्रद हो।
  5. अर्शोघं: द्रव्य जो अर्श में लाभप्रद हो।
  6. कृमिघ्न: द्रव्य जो कृमि को नष्ट कर दे।

शमी के पत्तों का चूर्ण 3-5 ग्राम की मात्रा में अकेले ही इन रोगों में लाभप्रद है:

  1. अर्श (piles)
  2. अतिसार (diarrhoea)
  3. बालगृह (psychotic syndrome of children)
  4. भ्रम (vertigo)
  5. कृमि (worm infestation)
  6. कास (cough)
  7. कुष्ठ (Leprosy /diseases of skin)
  8. नेत्ररोग (diseases of the eye)
  9. रक्तपित्त (bleeding disorder)
  10. श्वास (Asthma)
  11. विषविकार (disorders due to poison)

शमी की छाल के काढ़े को 50-100 ml की मात्रा में फलों के चूर्ण को 3-6 ग्राम की मात्रा में लेते हैं।

शमी के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Shami Tree in Hindi

शमी के वृक्ष का धार्मिक महत्व तो है ही परन्तु यह एक औषधीय वृक्ष भी है। इसके काढ़े को बुखार में प्रयोग किया जाता है। इसके पत्तों को बाह्य रूप से पेस्ट रूप में लगाया जाता है। इसकी छाल कड़वी, कसैली, और कृमिनाशक होती है। इसे बुखार, त्वचा रोग, प्रमेह, उच्च रक्तचाप, कृमि और वात-पित्त के प्रकोप से होने वाले रोगों में प्रयोग किया जाता है।

दाद-खाज, एक्जीमा

शमी की पत्तियों को गो मूत्र अथवा धि में पीस कर प्रभावित स्थानों पर बाह्य रूप से लेप किया जाता है। ऐसा 3-4 दिन तक लगातार किया जाता है।

पीलिया

वृक्ष की छाल का काढ़ा पीलिया में दिया जाता है।

मवाद वाला फोड़ा

शमी की छाल का चूर्ण अथवा पेस्ट प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ होता है।

प्रमेह रोग

शमी की कोपल को पांच ग्राम की मात्रा में चबा कर खाने के बाद गाय का दूध पीने से लाभ होता है। ऐसा 2-4 दिन तक किया जाता है।

गर्भपात रोकने के लिए

इसके फूलों और चीनी के पेस्ट को गर्भावस्था में खाया जाता है।

सफ़ेद पानी (श्वेत प्रदर / लिकोरिया)

जड़ों की छाल का चूर्ण 1-3 ग्राम की मात्रा में 100 ml बकरी के दूध के अट्टह लिया जाता है।

धातु रोग, धातुपौष्टिक, स्तम्भन बढ़ाने के लिए

शमी की कोपलें 5-10 ग्राम की मात्रा में, बराबर मात्रा में मिश्री के साथ पानी डाल कर पीसकर लेने से लाभ होता है।

पित्त प्रकोप के रोग

शमी की कोपलें 5-10 ग्राम की मात्रा में, खांड के साथ लेकर ऊपर से गाय का दूध पियें।

आँखों के लिए ड्रॉप्स

पत्तों के रस को आँखों में डाला जाता है।

अपच

ताज़ा पत्तों को पीस कर, नींबू के रस के साथ खाया जाता है।

दांतों में दर्द

पत्तों को चबाने से दांत मजबूत होते हैं और दर्द में लाभ होता है।

बिच्छू के काटने पर

छाल का पेस्ट प्रभावित स्थान पर लगाते हैं।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. यह कार्डियक डिप्रेशन करता है।
  2. यह रक्तचाप को कम करता है।
  3. यह श्वशन को तेज करता है।

प्याज Onion जानकारी, लाभ, प्रयोग और सावधानियां

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प्याज को तो सभी जानते हैं। संस्कृत में इसका नाम पलाण्डु, यवनेष्ट, दुर्गन्ध, मुखदूषक आदि हैं। हिंदी में इसे पियाज या प्याज़ और गुजराती में डूंगरी कहते हैं। इंग्लिश में इसे अनियन और लैटिन में एलियम सेपा कहते हैं। प्याज कच्चा और पका कर दोनों ही तरीकों से खाया जाता है। प्याज के बिना तो करी वाली सब्जी बन ही नहीं सकती। कच्चा प्याज सलाद की तरह और भरते में डाला जाता है। इसका रस निकाल कर भी प्रयोग करते हैं।

onion health benefits

प्याज भोजन तो है ही लेकिन यह औषधि भी है। इसमें गंधक, जिसे सल्फर भी कहते हैं, होने से यह पूरे स्वास्थ्य को सही कर सकती है।

सल्फर शरीर के हर टिश्यू में पाया जाता है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। यह शरीर में बैक्टीरिया को बढ़ने को रोकता है और टॉक्सिक पदार्थों से सेल्स की रक्षा करता है। यह बालों, त्वचा, जोड़ों और कनेक्टिव टिश्यू के सही विकास के लिए भी ज़रूरी है। सल्फर जोड़ों के दर्द, नाखूनों के टूटने, और शरीर से नुकसान दायक केमिकल्स को दूर करने में सक्षम है। यह धमनियों को इलास्टिक बनाये रखता है और एंटीऑक्सीडेंट की सिंथेसिस के लिए भी ज़रूरी है। प्याज, लहसुन की ही तरह गंधक का आर्गेनिक स्रोत है। यह प्रोटीन में कम है इसलिए यूरिक एसिड की समस्या में भी लाभप्रद है। प्याज को आंतरिक और बाह्य, दोनों ही तरह से प्रयोग किया जाता है। यह कफनिःसारक व मूत्रल होता है। इसे पुरानी खांसी, वूपिंग कफ, जकड़न आदि में अन्य पदार्थों के साथ प्रयोग किया जाता है।

प्याज ही एक ऐसी सब्जी है जिसे काटने पर आँखों से आंसू आते हैं और आँखों में जलन होती है। ऐसा इसमें पाए जाने वाले कुछ कंपाउंड्स lachrymator compounds के कारण होता है।

सामान्य जानकारी

प्याज का पौधा रसोन/लहसुन की ही भाँती एक 2-3 फुट उंचा क्षुप है। इसके पत्ते लम्बे और अन्दर से पोपले होते हैं। इसके पुष्प सफ़ेद होते हैं। भूमि के अन्दर कन्द होते हैं। सफ़ेद कन्द के दो प्रकार माने गए हैं – छोटा वाला घोड़ पियाज और बड़ा वाला पटनहिया प्याज। पटनहिया प्याज क्षीरपलांडू कहा गया है। सफ़ेद कन्द मधुर और पिच्छिल होता है। लाल कन्द को आयुर्वेद में राजपलांडू कहा गया है। यह सफ़ेद प्याज से अधिक तीक्ष्ण होता है।

  • वानस्पतिक नाम: Allium cepa
  • कुल (Family): प्लांडू कुल / लिलीएसिएई
  • औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: बीज, बल्ब, पौधा जिसे स्प्रिंग अनियन कहते हैं।
  • वितरण: प्याज का उत्पत्ति स्थान एशिया माना जाता है और अब यह पूरे विश्व में उगाई जाती है।
  • प्राप्तिस्थान: समस्त भारत।

प्याज का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  • किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  • सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  • सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  • डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  • क्लास Class: Liliopsida – Monocotyledons एकबीजपत्री
  • सबक्लास Subclass: Liliidae
  • आर्डर Order: Liliales लिलीएल्स
  • परिवार Family:  Liliaceae – लिली परिवार
  • जीनस Genus: Allium L. – एलियम
  • प्रजाति Species: Allium cepa एलियम सेपा

प्याज के संघटक Phytochemicals

प्याज में सिलापिक्रिन, सिलामेरिन, सिलीनाइन, सिनिस्ट्रिन, शक्कर, म्युसिलेज, लवण आदि पाए जाते है। इसके कन्द तथा पौधे दोनों में ही उग्रगंध युक्त व चरपरा तेल तथा गंधक पाया जाता है।

  • Alliins (alkylcysteine sulphoxides):
  • Fructosans (polysaccharides, 10-40%)
  • Saccharose and other sugars
  • Flavonoids quercetin-4′-O-beta-D-glucoside
  • Steroid Saponins

प्याज काटते समय आँख में आंसू क्यों आते हैं?

प्याज में अमीनो एसिड सल्फोक्सिड्स sulfoxides होते हैं जो कि प्याज कोशिकाओं में सल्फ़ेनिक एसिड के रूप में होते हैं। प्याज में लेक्राइमेट्री-फैक्टर सिंथेस एंजाइम भी होते हैं। यह एंजाइम और सल्फ़ेनिक एसिड अलग अलग कोशिका में होते हैं।

जब आप प्याज काटते हैं, तो अन्यथा अलग-अलग एंजाइम और सल्फ़ेनिक एसिड मिल जाते हैं और सिन-प्रोपेनथिऑल एस-ऑक्साइड syn-propanethiol S-oxide का उत्पादन करना शुरू होता है, जो एक वाष्पशील सल्फर कंपाउंड है। यह उड़ती हुई वाष्पशील सल्फर कंपाउंड की गैस आंखों के पानी के साथ प्रतिक्रिया करती है और सल्फ्यूरिक एसिड बनाती है। इस प्रकार सल्फ्यूरिक एसिड ने आँखों में जलन पैदा करने का कारण बनता है। जलन से लेक्राइमल ग्लैंड उत्तेजित होते हैं और आँसूओं का निकलना शुरू हो जाता है।

कच्चे प्याज की पोषकता

कच्चे प्याज में बहुत कम कैलोरी होती है, करीब 40 कैलोरी प्रति 100 ग्राम। इसमें 89 प्रतिशत पानी, 9 प्रतिशत कार्बोहायड्रेट, 1.7 प्रतिशत फाइबर और कुछ मात्रा में प्रोटीन भी होता है। इसके अतिरिक्त इसमें खनिज और विटामिन भी आये जाते है। नीचे 20 ग्राम प्याज की पोषकता दी गई है। ब्रैकेट में प्याज के सेवन से मिलने वाले पोषक पदार्थ को प्रतिदिन ज़रूरी मात्रा के रतिशत रूप में दिया गया है।

  1. कैलोरीज Calories 8
  2. पानी Water 89 %
  3. प्रोटीन Protein 0.2 g
  4. कार्बोहायड्रेट Carbs 1.9 g
  5. चीनी Sugar 0.8 g
  6. फाइबर Fiber 0.3 g

विटामिन्स

  1. विटामिन सी Vitamin C 1.48 mg (2%)
  2. विटामिन डी Vitamin D 0 µg ~
  3. विटामिन ई Vitamin E 0 µg
  4. विटामिन के Vitamin K 0.08 µg
  5. विटामिन बी१ Vitamin B1 (Thiamine) 0.01 mg (1%)
  6. विटामिन बी२ Vitamin B2 (Riboflavin) 0.01 mg
  7. विटामिन बी३ Vitamin B3 (Niacin) 0.02 mg
  8. विटामिन बी५ Vitamin B5 (Panthothenic acid) 0.02 mg (1%)
  9. विटामिन बी६ Vitamin B6 (Pyridoxine) 0.06 mg (5%)
  10. विटामिन बी१२ Vitamin B12 0 µg ~
  11. फोलेट Folate 3.8 µg (1%)
  12. काओलिन Choline 1.22 mg (0%)

खनिज पदार्थ Minerals

  1. कैल्शियम Calcium  4.6 mg 0%
  2. आयरन Iron  0.04 mg 1%
  3. मैग्नीशियम Magnesium 2 mg 1%
  4. फास्फोरस Phosphorus 5.8 mg 1%
  5. पोटेशियम Potassium 29.2 mg 1%
  6. सोडियम Sodium  0.8 mg 0%
  7. जिंक Zinc 0.03 mg 0%
  8. कॉपर Copper 0.01 mg 1%
  9. मैग्नीज Manganese  0.03 mg 1%
  10. सेलेनियम Selenium  0.1 µg 0%

अमीनो अम्ल Amino Acids

  1. ट्रिप्टोफैन Tryptophan 3 mg
  2. थ्रोनिन Threonine 4 mg
  3. आईसोल्यूसीन Isoleucine 3 mg
  4. ल्यूसीन Leucine 5 mg
  5. लाइसिन Lysine 8 mg
  6. मेथियोनीन Methionine 1 mg
  7. सिस्टीन Cysteine 1 mg
  8. टाईरोसिन Tyrosine 3 mg
  9. वेलिन Valine 4 mg
  10. आर्गीनिन Arginine 21 mg
  11. हिस्टीडाइन Histidine 3 mg
  12. एलनिन Alanine 4 mg
  13. एस्पेरेटिक एसिड Aspartic acid 18 mg
  14. ग्लूटामिक एसिड Glutamic acid 52 mg
  15. ग्लाइसीन Glycine 5 mg
  16. प्रोलाइन Proline 2 mg
  17. सेरीन Serine 4 mg

प्याज के आयुर्वेदिक गुण और कर्म

प्याज गुणों में लहसुन के सदृश्य ही गुण वाला है। यह भी गंधक युक्त है। यह पाक और रस में मधुर माना गया है। गुण में उष्ण और बहुत अधिक पित्त को बढ़ाने वाला नहीं है। इसके सेवन से बल और वीर्य की वृद्धि होती है। यह भारी और वात दोष को दूर करने वाला है।

यह कटु-मधुर रस है। कटु रस जीभ पर रखने से मन में घबराहट करता है, जीभ में चुभता है, जलन करते हुए आँख मुंह, नाक से स्राव कराता है जैसे की सोंठ, काली मिर्च, पिप्पली, लाल मिर्च आदि। मधुर रस, धातुओं में वृद्धि करता है। यह बलदायक है तथा रंग, केश, इन्द्रियों, ओजस आदि को बढ़ाता है। यह शरीर को पुष्ट करता है। मधुर रस, गुरु (देर से पचने वाला) है। यह वात शामक है।

  • रस (taste on tongue): मधुर, कटु
  • गुण (Pharmacological Action): गुरु, तीक्ष्ण, स्निग्ध
  • वीर्य (Potency): उष्ण
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर

विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। मधुर विपाक, भारी, मल-मूत्र को साफ़ करने वाला होता है।

प्रधान कर्म

  1. वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  2. दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  3. कफनिःसारक / छेदन: द्रव्य जो श्वासनलिका, फेफड़ों, गले से लगे कफ को बलपूर्वक बाहर निकाल दे।
  4. रक्त स्तंभक: जो चोट के कारण या आसामान्य कारण से होने वाले रक्त स्राव को रोक दे।
  5. विरेचन: द्रव्य जो पक्व अथवा अपक्व मल को पतला बनाकर अधोमार्ग से बाहर निकाल दे।
  6. दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  7. बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  8. शुक्रल: द्रव्य जो शुक्र की वृद्धि करे।
  9. मूत्रल : द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये।
  10. हृदयोत्तेजक: द्रव्य जो हृदय को उत्तेजित करे।
  11. आर्त्तवजनन: मासिक लाने वाला।
  12. त्वग्दोषहर: त्वचा रोगों को दूर करने वाला।
  13. यकृदुत्तेजक: लीवर को उत्तेजित करने वाला।

बाह्यप्रयोग

  1. शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
  2. वेदनास्थापन: दर्द निवारक।

प्याज खाने के स्वास्थ्य लाभ Health Benefits of Onion in Hindi

  1. प्याज़ में घुलनशील फाइबर फ्रुक्टन होता है व यह कब्ज़ दूर करने में मदद करता है। फ्रुक्टन फ्रुक्टोस का पॉलीमर है। प्याज में कार्बोहायड्रेट का भण्डारण इसी रूप में होता है।
  2. यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। डायबिटीज में इसके सेवन से इन्सुलिन उत्पन्न होता है। एक अध्ययन में देखा गया दैनिक 100 ग्राम प्याज का सेवन ब्लड शुगर के लेवल को काफी हद तक नियंत्रित करता है। यह टाइप 1 और 2, दोनों तरह की डायबिटीज में लाभप्रद है।
  3. यह कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता और बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
  4. यह प्रकृति में गर्म है और पित्त वर्धक है।
  5. यह शरीर में कफ को कम करती है।
  6. इसमें विटामिन सी, एंथोसाईनिन, क्वरसेटिन आदि होने से यह अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है।
  7. इसमें फोलेट पाए जाते हैं जो की मेटाबोलिज्म और कोशिकाओं के विकास के लिए ज़रूरी है।
  8. यह हृदय के लिए कई कारणों से लाभप्रद है। इसमें पाया जाने वाला थायोसलफिनेट Thiosulfinates धमिनियों में रक्त के थक्के जमने से रोकता है। इसमें पोटैशियम है जो की ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में लाभप्रद है। यह खून को पतला करती है। यह बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करती है।
  9. इसमें गंधक के कंपाउंड हैं जो की शरीर की बीमारियों से रक्षा करते हैं।
  10. दही के साथ प्याज खाने से दस्त, आंव वाली दस्त, और खूनी दस्त में लाभ होता है।
  11. प्याज को कच्चा खाने से उसमें पाए जाने वाले विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सीडेंट तथा अन्य पोषक पदार्थ नष्ट नहीं होते।
  12. प्याज के सेवन से शरीर में यूरिक एसिड कम होता है। चूहों में किये गए एक्सपेरिमेंट में इस बात की पुष्टि होती है।
  13. प्याज के सेवन से शरीर में हानिप्रद जीवाणु नष्ट होते हैं।
  14. प्याज के नियमित सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती है।
  15. प्याज को चबा कर खाने से मुंह के बैक्टीरिया नष्ट होते हैं और दांतों के रोगों से बचाव होते है। एक रूसी डॉक्टर Russian Doctor, B.P. Tohkin के अनुसार तीन मिनट तक प्याज चबाने से मुंह के सभी बैक्टीरिया नष्ट होते हैं।
  16. खून की कमी को प्याज़ के सेवन से दूर किया जा सकता है।
  17. यह लिपिड को कम करती है।
  18. प्याज में क्वरसेटिन Quercetin bioflavonoid यौगिक पाया जाता है जो की हिस्टामिन का रिलीज़ रोकता है और सूजन को कम करता है।

प्याज दवा की तरह निम्न रोगों में लाभप्रद है

  1. धमनीकाठिन्य Arteriosclerosis
  2. सामान्य जुखाम Common cold
  3. खांसी / ब्रोंकाइटिस Cough/bronchitis
  4. पाचन की कमजोरी Dyspeptic complaints
  5. कफ और बुखार  Fevers and colds
  6. उच्च रक्तचाप Hypertension
  7. मुंह और ग्रसनी का सूजन Inflammation of the mouth and pharynx
  8. भूख में कमी Loss of appetite
  9. संक्रमण की प्रवृत्ति Tendency to infection

प्याज के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of ONION in Hindi

प्याज गंधक युक्त होता है। इसमें स्टार्च, कैल्शियम, लोहा और विटामिन पाए जाते हैं। यह आंतरिक प्रयोग में दीपन, रोचन, मूत्रजनन, शुक्रजनन, बाजिकारक, बलकारक और बाह्य प्रयोग में दर्द निवारक, शोथहर और त्वचा के रोग दूर करने वाली है।  यूनानी मत के अनुसार कन्द तीसरे दर्जे के गरम और पहले दर्जे के खुश्क हैं। बीज दूसरे दर्जे के गर्म और खुश्क हैं। बीजों को मुख्य रूप से वाजीकारक और लेखन माना गया है। प्याज के बीजों को अरबी और फ़ारसी में बज्रुल्ब्स्ल और तुख्मेपियाज कहते हैं।

प्याज को कान रोग, दाद-खुजली, कामशक्ति की कमी, अतिसार, पेट दर्द, वायु के रोगों में प्रयोग किया जाता है।

पीलिया

  • आधा कप सफ़ेद प्याज के रस में पिसी हल्दी और गुड़ मिलाकर पीने से लाभ होता है।
  • प्याज को काट, उसमें काली मिर्च और सेंधा नमक डाल कर भी खाना चाहिए।

अस्थमा, खांसी

प्याज का रस + शहद, मिलाकर चाटना चाहिए।

उलटी

  • प्याज का रस + अदरक का रस, पीने से उल्टियां रुक जाती हैं।
  • थोड़ी- थोड़ी देर पर पर प्याज का एक टीस्पून रस पियें।

पाचन की कमजोरी

प्याज को सिरके के साथ खाएं।

बवासीर

प्याज का रस को 30 ml की मात्रा में मिश्री के साथ लेते हैं।

कान का दर्द, टिनिटस, कान में आवाजें आना

प्याज के रस की कुछ बूंदे कान में टपकाते हैं।

आँख में दर्द, नजला

प्याज का रस + शहद, के साथ मिलाकर आँख में लगाते हैं।

अनिद्रा

रात के भोजन में कच्ची प्याज खाएं।

नपुंसकता, स्वप्नदोष, वीर्य की कमी

प्याज का रस 10 ml + अदरक का रस + शहद 6 ग्राम + घी 4 ग्राम, मिलाकर सेवन करें। ऐसा एक महीने तक करें।

पेट दर्द

प्याज का रस + हींग + काला नमक, का सेवन करें।

मधुमक्खी का काटना

प्रभावित जगह पर प्याज का रस लगायें।

पेट के कीड़े

प्याज का रस एक चम्मच की मात्रा में एक सप्ताह तक सेवन करें।

कॉलरा, हैजा

  1. प्याज का रस + नींबू का रस + पुदीने का रस, मिलाकर पियें।
  2. प्याज 30 ग्राम को सात काली मिर्च के साथ कूट कर, रोगी को दें। इसमें थोड़ी चीनी भी मिला सकते हैं।

गले की खराश, कोल्ड-कफ

प्याज का रस और शहद पियें।

पथरी

प्याज का रस सुबह खाली पेट पियें।

पेशाब की जलन, पेशाब के रोग

प्याज 10 ग्राम को आधा लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान लें। इसे ठंडा करके पी लें।

अजीर्ण

प्याज में नींबू निचौड़ भोजन के साथ खाने से लाभ होता है।

वाजीकरण

  1. सफ़ेद प्याज को काट कर घी में भून लें। इसमें एक चम्मच शहद मिला कर नियमित खाली पेट खाएं।
  2. प्याज का रस और शहद पियें।

पटाखे से जल जाना

प्याज का रस लगाएं।

नकसीर

प्याज का रस नाक में टपकाते हैं।

गठिया का दर्द

प्याज का रस + सरसों का तेल, बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करें।

मोच

प्याज और हल्दी को पीस कर प्रभावित जगह पर बाधें।

सूजन

सरसों के तेल में प्याज के बारीक टुकड़े फ्राई करें। थोड़ी हल्दी डालें और सहता हुआ पुल्टिस बना सूजन पर लगायें।

दाद-खुजली

प्याज का लेप करें।

फोड़े-फुंसी

प्याज को कच्चा या भून कर पुल्टिस बनाकर लगाएं।

वार्ट

कच्चा प्याज रगड़ें।

प्याज की औषधीय मात्रा

  1. सलाद की तरह एक मीडियम साइज़ प्याज को काट कर दिन में एक-दो बार खाना चाहिए।
  2. प्याज के रस को 10-30 ml की मात्रा में पी सकते हैं।
  3. बीजों के चूर्ण को लेने की मात्रा 1 से 3 ग्राम है।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. प्याज़ में फ्रुक्टन होता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन गैस, पेट फूलना और पेट में दर्द कर सकता है।
  2. कुछ लोग फ्रुक्टन fructans are also known FODMAPs (fermentable oligo-, di monosaccharides and polyols) का पाचन करने में सक्षम नहीं होते। उनमें फ्रुक्टन युक्त भोज्य पदार्थ खाने के बाद पाचन समस्या हो सकती है। ऐसा सभी में नहीं होता लेकिन इरीटेबल बोवेल सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के साथ हो सकता है।
  3. प्याज के सेवन से मुंह और पसीने से प्याज की बदबू आ सकती है।
  4. आयुर्वेद के अनुसार अत्यधिक मात्रा में प्याज का सेवन बेचैनी, पेशाब में जलन, पेट-अंत में जलन, आदि कर सकता है।
  5. अधिक मात्रा में इसके सेवन से विरेचन होता है।
  6. यह पित्त प्रकृति के लोगों के लिए अहितकर कहा गया है।
  7. प्याज गर्म स्वभाव वाले लोगों में प्यास पैदा करता है।
  8. गर्भावस्था में प्याज को औषधीय मात्रा या अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। भोजन के रूप में इसे खाने से कोई नुकसान नहीं देखा गया है।
  9. प्याज के हानिप्रद असर को कम करने के शहद, अनार का रस, सिरका और नमक का प्रयोग किया जा सकता है।
  10. प्याज़ की बदबू को कम करने के लिए गुड़ का सेवन करना चाहिए।
  11. प्याज को बहुत अधिक मात्रा में न खाएं।

बनफशा Viola odorata in Hindi

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बनफशा, बनप्शा, बन्फश, फारफीर, ब्लू वायलेट, स्वीट वायलेट आदि वाओला ओडोराटा Viola odorata Flower के नाम है। इसका उत्पत्ति स्थान फारस है और यह मुख्य रूप से यूनानी चिकित्सा पद्यति में दवाई की तरह प्रयोग किया जाता है।

bansafa
By Majercsik László / LaMa (http://zoldvilaginfo.info) [GFDL (http://www.gnu.org/copyleft/fdl.html) or CC BY-SA 3.0 (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0)], via Wikimedia Commons
बनफशा भारत में अनुष्णाशीत पश्चिमी हिमालय में लगभग 5000 फुट की उंचाई पर पाया जाता है। बनफशा के पौधे छः अंगुल तक के होते हैं और पत्ते रोम युक्त और ब्राह्मी की पत्तियों के समान दांतेदार होती हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी होता है और यह खुशबूदार होते हैं।

यूनानी चिकित्सा में पूरे पौधे को दवाई के रूप में प्रयोग करते हैं और बनफसा कहते हैं। इसके सूखे फूल को गुलेबनफ्शा कहा जाता है। यूनानी में इसे पहले दर्जे का ठण्डा और तर माना गया है। यह श्लेष्मनिस्सारक, स्वप्नजनन, और शीतल है। इसे पेट दर्द, गले में दर्द, पित्त की अधिकता, अधिक प्यास में प्रयोग किया जाता है। यह फेफड़ों के रोगों, जुखाम, खांसी, सूखी खांसी, और पेट और लीवर में अधिक गर्मी के रोगों में दवा के तौर पर दिया जाता है।

पुराने दिनों में बनफ्शा को ईरान से आयात किया जाता था, लेकिन अब यह कश्मीर में कांगड़ा और चंबा से एकत्र किया जाता है। यूनानी चिकित्सा में जड़ी बूटी, परिपक्व फूल का दवा के रूप में उपयोग स्वेदजनन/डाइफोरेक्टिक, ज्वरनाशक/एंटीपीरेक्टिक और मूत्रवर्धक की तरह अकेले या अन्य दवाओं के नुस्खे में प्रयोग किया जाता है। इसका फुफ्फुसीय प्रभाव है और आम तौर पर इसे फांट, काढ़े की तरह प्रयोग किया जाता है।

बनफशा से बना गुलकंद, रोग़न बनफशा , खामीरा-ए-बनफ्शा और शरबत-ए-बनफ्शा दवाई की तरह श्वसन पथ, ब्रोंकाइटिस, बुखार, अनिद्रा, जोड़ों के दर्द आदि में दिया जाता है। यूनानी चिकित्सकों ने सूजन दूर करने के गुण से बनफ्शा से बने काढ़े को फुफ्फुस, यकृत की बीमारियों में दिया जाता है।

सामान्य जानकारी

  1. वानस्पतिक नाम: वाओला ओडोराटा
  2. कुल (Family): वायोलेसीए
  3. औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पूरा पौधा
  4. पौधे का प्रकार: हर्ब
  5. वितरण: अनुष्णाशीत पश्चिमी हिमालय में
  6. पर्यावास: लगभग 5000 फुट की उंचाई पर, कश्मीर, काँगड़ा, और चम्बा में।

बनफशा के स्थानीय नाम / Synonyms

  1. हिन्दी: Banapsa, Banafsha, Vanapsha
  2. अंग्रेजी: Sweet Violet, Wood violet, Common violet, Garden violet
  3. तमिल: Vayilethe
  4. उर्दू: Banafshaa, Banafsaj, Kakosh, Fareer

बनफशा का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  1. किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  2. सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  3. सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  4. डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  5. क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
  6. सबक्लास Subclass: डिल्लेनीडाए Dilleniidae
  7. आर्डर Order: विओलेल्स Violales
  8. परिवार Family: विओलेसिएइ Violaceae – वायलेट फॅमिली
  9. जीनस Genus: वाइला Viola L.– वायलेट
  10. प्रजाति Species: Viola odorata L. – स्वीट वायलेट

बनफशा के संघटक Phytochemicals

फूलों में वायलिन नामक एक उलटी लाने वाला पदार्थ है जो पौधे के सभी भागों में मौजूद होता है। यह पदार्थ कड़वा और तीव्र होता है। इसके अतिरिक्त इसमें एक अस्थिर तेल, रटिन (2%), साइनाइन (5.3%), एक बेरंग क्रोमोजेन, एक ग्लाइकोसाइड मिथाइल सैलिसिलेट और चीनी पाया जाता है। वाष्पशील तेल में अल्फा- और बैटेरोन होते हैं। रूट स्टॉक में सैपोनिन (0.1-2.5%) होता है।

बनफशा के आयुर्वेदिक गुण और कर्म

बनफ्शा का पंचांग (पाँचों अंग) स्वाद में कटु, तिक्त गुण में हल्का, तर है। स्वभाव से यह ठण्डा और कटु विपाक है। यह वातपित्त शामक और शोथहर है। यह जन्तुनाशक, पीड़ा शामक और शोथ दूर करने वाला है।

  • रस (taste on tongue): कटु, तिक्त
  • गुण (Pharmacological Action): लघु, स्निग्ध,
  • वीर्य (Potency): आयुर्वेद में उष्ण / यूनानी में पहले दर्जे का ठण्डा
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु

प्रधान कर्म

  1. कफनिःसारक / छेदन: द्रव्य जो श्वासनलिका, फेफड़ों, गले से लगे कफ को बलपूर्वक बाहर निकाल दे।
  2. मूत्रल: द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये। diuretics
  3. शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे। antihydropic
  4. श्लेष्महर: द्रव्य जो चिपचिपे पदार्थ, कफ को दूर करे।
  5. शीतल: स्तंभक, ठंडा, सुखप्रद है, और प्यास, मूर्छा, पसीना आदि को दूर करता है।
  6. बल्य: द्रव्य जो बल दे।

बनफशा इन रोगों में लाभप्रद है:

  1. दमा Asthma
  2. ब्रोंकाइटिस Bronchitis
  3. सर्दी Colds
  4. खांसी Cough
  5. डिप्रेशन Depression
  6. फ्लू के लक्षण Flu symptoms
  7. नींद (अनिद्रा) insomnia
  8. फेफड़े की समस्याएं Lung problems
  9. रजोनिवृत्ति के लक्षण Menopausal symptoms
  10. घबराहट Nervousness
  11. पाचन समस्याओं Digestion problems
  12. मूत्र समस्याएं Urinary problems आदि।

बनफशा के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Viola odorata in Hindi

बनफशा पौधे के पत्ते, फूल समेत पूरे पौधे को दवा की तरह प्रयोग किया जाता है। इसके केवल सूखे फूल को गुले बनफशा कहते हैं। यूनानी चिकित्सा में इसका बहुत प्रयोग किया जाता है। बनफशा की अनेक प्रजातियाँ है जैसे की वायोला सिनेरेआ और वायोला सर्पेंस। इनमें से नीले और जामुनी रंग के फूलों वनस्पति उत्तम मानी जाती है।

गुलेबनफशा में वमनकारी अल्कालॉयड, तेल, रंजक द्रव्य, वायोलेक्वरसेटिन आदि पाए जाते हैं।

आमतौर पर बनफशा को जुखाम, नज़ला, कफ, खाँसी, जकड़न, श्वसन तंत्र की सूजन, भरी हुई नाक, ब्रोंकाइटिस, ऐंठन, मस्तिष्क, हिस्टीरिया, कलाई के गठिया, तंत्रिका तनाव, हिस्टीरिया, शारीरिक और मानसिक थकावट, रजोनिवृत्ति के लक्षण, अवसाद और चिड़चिड़ापन coryza, cough, congestion, and inflammation of the respiratory tract, spasmodic cough, neuralgia, hysteria, rheumatism of wrist आदि में दिया जाता है। यह श्लेष्म को पतला करता है जिससे वह आसानी से निकल सकता है। यह बच्चों और गर्भवती माताओं के लिए सुरक्षित है।

इसके फूलों का मदर टिंक्चर डिस्पिनिया, खांसी, सूखी खांसी, गले में खराश, ग्रीवा ग्रंथियों की सूजन के उपचार के लिए होम्योपैथी में दिया जाता है।

बनफशा शरीर में जलन, आँखों की जलन, पेशाब की जलन आदि में शीतल गुणों के कारण लाभप्रद हैं। इसे पेट दर्द, पेट और आंतों की सूजन, अनुचित आहार के कारण पाचन समस्याएं, गैस, जलन,पित्ताशय की बीमारियों, और भूख न लगना आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है।

इसके पत्तों का पेस्ट दर्द और सूजन पर बाह्य रूप से लगाया जाता है। इसे त्वचा विकारों के में और त्वचा साफ़ करने के लिए भी पेस्ट की तरह लगाते हैं।

बनफशा की औषधीय मात्रा

गुले बनफशा को लेने की आंतरिक मात्रा 5-6 ग्राम है।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. बनफशा का कोई ज्ञात साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
  2. वैसे तो इसे बच्चों और गर्भवती माताओं के लिए इसे सुरक्षित कहा गया है, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना इसे गर्भावस्था में प्रयोग न करें।
  3. बनफशा का किसी दवा के साथ इंटरेक्शन ज्ञात नहीं है।

छुहारा के लाभ और औषधीय प्रयोग | Dry Dates benefits and medicinal usage in Hindi

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खजूर और छुहारा, दोनों ही पाम जाति के एक ही पेड़ से प्राप्त होते हैं। खजूर के पेड़ रेगिस्तानी इलाकों में पाए जाते हैं। यह बहुत लम्बे होते है। इनका एक ही तना होता है जिस पर बढ़ कर पत्तियां निकलती हैं। खजूर के पेड़ में डालियाँ नहीं होती। पत्ते करीब हाथ भर लम्बे होते हैं। पत्तों की नोक कंटीली होती है। पेड़ पर फल गुच्छों में लगते है। कच्चे फल हरे, पीले और पकने पर लाल होते हैं। खजूर का फल करीब ढाई से सात सेंटीमीटर लम्बा होता है। यह रंग में लाल कुछ कालापन लिए होते हैं इसके बीज लम्बे-पतले और भूरे से होते हैं।

Chhuhara

खजूर के सूखे रूप को छुहारा कहते हैं। खजूर केवल सर्दियों में उपलब्ध होते हैं जबकि छुहारा पूरे साल उपलब्ध होता है। छुहारा, का लैटिन नाम Phoenix dactylifera है। इसे इंग्लिश में डेट पाम Date Palm कहा जाता है। यह इरान, फारस, काबुल, आदि में काफी मात्रा में पाया जाता है।

खजूर जहाँ मुलायम होते हैं वहीँ छुहारे कड़े होते हैं। छुहारे को एक मेवे dry fruit की तरह प्रयोग किया जाता है। खजूर के सूख जाने पर इसमें पानी कम हो जाता है और सिलवटें आ जाती है। इसके अंदर गुठली या बीज होता है। छुहारे में खजूर से ज्यादा कैलोरीज होती हैं और इसलिए दूध में उबाल के इन्हें खाने से वजन बढ़ता है। 100 ग्राम छुहारे में करीब 3 ग्राम प्रोटीन, 1/2 ग्राम फैट, 80 ग्राम कार्बोहायड्रेट, और 5 ग्राम फाइबर होता है। इसमें 81 mg कैल्शियम और 8 mg लोहा पाया जाता है।

छुहारा स्वाद में मीठा और पचने में भारी होता है। यह तृप्तिदायक, शक्तिवर्धक, वीर्यवर्धक, और हृदय के लिए हितकारी है। इसके सेवन से शरीर को ताकत मिलती है और कामशक्ति aphrodisiac बढ़ती है। छुहारा डाल कर पकाया हुआ दूध वाजीकारक, शक्तिवर्धक, और ओजवर्धक है। यह प्रमेह, स्वप्नदोष, धातुक्षीणता और कमजोरी को दूर करने वाला है। सर्दियों में छुहारा खाने से शरीर में गर्मी आती है और सर्दी-खांसी से आराम मिलता है।

छुहारा शरीर में खून की मात्रा बढ़ाता है और अनीमिया दूर करता है। यह वज़न को बढ़ाने में सहायक है।यह त्वचा को चिकना, चमकदार, और साफ़ करता है। यह पिचके हुए गालों को भरता है और बालों को लम्बा करता है। छुहारे के सेवन से प्रजनन अंगों को ताकत मिलती है और संतानोत्पत्ति के आसार बढ़ते हैं। यह एक ड्राई फ्रूट है और इसके सेवन के बहुत से लाभ हैं

छुहारे खाने के लाभ Health Benefits of Eating Dry Dates

छुहारे शीतल, स्निग्ध, रूचिकारक, भारी, ग्राही, यौनशक्तिवर्धक, और बलदायक होता हैं। छुहारे का सेवन।रक्तपित्त, वायु विकार, उलटी, कफ, खांसी, अस्थमा, बुखार के बाद की कमजोरी, अतिसार, भूख, प्यास, बेहोशी, कमजोरी, आदि को दूर करता है। छुहारे खाने के बहुत से लाभ हैं। उनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं।

  1. छुहारा बहुत पौष्टिक होता है। इसमें आयरन, कैल्यिशम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, मैंगनीज, तांबा आदि पोषक पदार्थ पाए जाते हैं।
  2. इसके सेवन से कब्ज़ दूर होती है।
  3. यह शरीर को ताकत देता है।
  4. यह पाचन को सही करता है।
  5. यह शुक्राणु और डिम्ब को बढ़ाता है।
  6. यह मांसपेशियों के दर्द, शिथिलता, आदि को दूर करता है।
  7. बुखार के बाद आई शारीरिक कमजोरी में यह लाभप्रद है।
  8. यह यौन शक्ति को बढ़ाता है।
  9. यह शरीर को हृष्ट-पुष्ट करता है।
  10. यह मूत्रल है और पेशाब रोगों में लाभ करता है।
  11. इसके सेवन से फेफड़ों को ताकत मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  12. इसे खाने से मासिक धर्म खुल कर आता है और कमर दर्द में लाभ होता है।
  13. यह प्रजनन अंगों को ताकत देता है.

छुहारे के औषधीय प्रयोग

छुहारे एक पौष्टिक भोजन है जिसे हम दवाई या घरेलू उपचार की तरह बहुत से रोगों में प्रयोग कर सकते हैं। यह कब्ज़नाशक है और आँतों से गंदगी दूर करता है। इसके ज्यादातर लाभ इसमें पाए जाने वाले खनिज, विटामिन और फाइबर के कारण होते हैं। यह पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को सही करने के लिए अत्यंत उपयोगी है।

वज़न बढ़ाने के लिए

दुबले-पतले व्यक्ति इसके सेवन से अपना वज़न बढ़ा सकते हैं इसके लिए चार-पांच छुहारे, एक गिलास दूध में चुहारों को उबाल ठण्डा कर लें। छुहारे चबा-चबा कर खा लें और दूध पी लें। ऐसा दिन में एक या दो बार करें। इसे सुबह और रात में सोने से पहले ले सकते हैं। तीन-चार माह तक इस प्रकार करने से शरीर पुष्ट और गठीला होता है।

घाव

छुहारे की गुठली को पत्थर पर घिस कर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है।

पलकों पर गुहेरी

छुहारे की गुठली को पत्थर पर घिस कर लगाने से गुहेरी ठीक हो जाती है।

कब्ज

सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर बाद में गर्म पानी पीने से कब्ज दूर होती है।

अच्छी सेहत

दूध में छुहारा उबालकर इसका सेवन करें।

शीघ्रपतन

दो सप्ताह तक, सुबह उठ कर खाली पेट दो छुहारे खाएं। तीसरे-चौथे सप्ताह, से तीन-चार छुहारे खाएं। रात में सोते समय तीन छुहारे दूध में उबाल कर खाएं और दूध पी लें।

ऐसा तीन मास तक करें।

याददाश्त, पुरुषों में धारण शक्ति -पुरुषत्व बढ़ाना, शुक्राणुओं की संख्या में बढ़ोतरी के लिए, ताकत, स्फूर्ति, ओज बढ़ाना

आधा लीटर गाय के दूध में चार छुहारा डालें और पकाएं। जब दूध आधा रह जाए तो छुहारे की गुठली हटा लें और दूध में मिश्री मिला दें। दूध पी लें और छुहारे चबा कर खा लें।

कफ-सर्दी, जुखाम, अस्थमा

सुबह-शाम, दो छुहारे चबा कर खाएं।

छुहारे, बहुत ही पौष्टिक हैं। यह शरीर के सभी अंगों को ताकत देते हैं। इनका सेवन दिमाग को पोषण देता है और याददाश्त हो बढ़ाता है। छुहारे फेफड़ों को ताकत देते हैं जिससे अस्थमा, खांसी आदि में लाभ होता है। कम मात्रा में छुहारे आँतों को साफ़ करते हैं और आँतों में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं। यह शरीर में एसिडिटी को कम करते हैं। लेकिन, क्योंकि छुहारे पौष्टिक हैं इसलिए इनका बहुत अधिक मात्रा में सेवन नहीं किया जाना चाहिए। जहाँ ये कम मात्रा में शरीर के लिए लाभप्रद हैं, अधिकता में किया गया सेवन छाती और गले के लिए हानिप्रद हो सकता है।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. यह पचने में भारी है और इसके पाचन में समय लगता है।
  2. यदि पाचन शक्ति कमज़ोर है तो इसके सेवन से शरीर को अधिक लाभ नहीं हो पायेगा।
  3. सर्दियों के मौसम में इसका सेवन अधिक अनुकूल है।
  4. एक बार में चार छुहारे से ज्यादा का सेवन नहीं करना चाहिए।
  5. इसे सूखा खाने की अपेक्षा दूध में पका कर खाना चाहिए।
  6. अधिक मात्रा में इसका सेवन ग्राही (जो द्रव्य दीपन और पाचन दोनों काम करे और अपने गुणों से जलीयांश को सुखा दे) है।
  7. यह वज़न को बढ़ाता है इस्क्लिये यदि वज़न पहले से ही बढ़ा है तो इसका सेवन न करें।
  8. यह मीठा होता है इसलिए यदि रक्तशर्करा का स्तर अधिक है तो इसका सेवन न करें।

वायोपैच Viopatch Detail and Uses in Hindi

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वायोपैच एक ट्रांसडर्मल पैच है जो की सूजन, दर्द वाले शरीर के हिस्से पर लगाया जाता है। यह बैंडएड band-aid की तरह से प्रभवित स्किन एरिया पर लगा देते है और 12 घंटे तक दर्द से आराम होता है। एक बार लगा देने पर यह करीब 12 घंटे की अवधि में नियंत्रित दर पर दवा रिलीज कर स्थानीय मस्कुलोस्केलेटल दर्द और सूजन से राहत प्रदान करता है।

दर्द और सूजन के लिए अन्य क्रीम / ऑइंटमेंट को बार-बार लगाने की ज़रूरत होती है और वे हट भी जाते है। वायो पैच के साथ ऐसा नहीं होता। वायोपैच ऑनलाइन स्टोर, अमेज़ॅन, स्नैप डील और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Viopatch is a transdermal patch to get relief from musculoskeletal pain and inflammation. It works by sustained drug release into the applied area over a period of 12 hours after application.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

निर्माता:

  1. Unexo Life Sciences Pvt. Ltd.
  2. Toll Free: 1800 270 2900
  3. Phone: +91 11 65167696, 27492272
  4. Mobile: +91 9212228401, 9212461784
  5. Email: info@unexopharma.com
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन उपलब्ध है।
  • पैच का साइज़: 50 सेमी वर्ग पैच
  • मुख्य उपयोग: दर्द पर लगाना
  • मुख्य गुण: दर्द निवारक
  • मूल्य MRP: Viopatch Pain Relief Patch – 12 patches @ INR 400.00.

वायोपैच के घटक Ingredients of Viopatch

वायोपैच में पांच शक्तिशाली दर्दनाशक दवाओं और सूजन दूर करने वाली दवाओं की एक कोटिंग होती है जो न केवल दर्द से राहत प्रदान करती है बल्कि सूजन को कम करती है और जॉइंट की गतिशीलता को बढ़ाती है

  1. गंधपुरा तेल Methyl Salicylate (Gandhpura Oil – Gaultheria fragrantissima)
  2. मेंथोल Menthol (Mentha Piperata)
  3. कपूर Camphor (Kapoor – Cinnamomum camphora)
  4. यूकेलिप्टस तेल Eucalyptus Oil (Nilgiri Oil – Eucalyptus globulus)
  5. लौंग का तेल Clove Oil (Laung Oil – Syzygium aromaticum)

मिथाइल सैलिसिलेट एक नॉन-स्टेरॉयडियल एंटी-इन्फ्लैमेट्री ड्रग (एनएसएआईडी) है जो हाइड्रोलाइनिस से सेलिसिसिल एसिड बनाता है। यह प्रोस्टाग्लैंडीन की बायोसिंथेथेसिस पर एक निषेधात्मक प्रभाव डालता है। इसका काउंटर-इर्रिटेंट असर है।

मेन्थॉल नॉन-स्टेरॉयडियल एंटी-इन्फ्लैमेट्री ड्रग की त्वचा में प्रवेश बढ़ाने के लिए कार्य करता है। यह एक काउंटर-इर्रिटेंट भी है और परिधीय रक्त वाहिकाओं में परिसंचरण में सुधार लाता है, जिससे सूजन और सूजन कम हो जाती है।

कैम्फर (सिनामोम कैम्फ़ोरा) आसानी से त्वचा के माध्यम से अवशोषित होता है और मेन्थॉल की तरह ठंडक देता है, और एक माइल्ड संवेदनाहारी और एंटीबायोटिक पदार्थ के रूप में कार्य करता है।

नीलगिरी का तेल रयमेटीड संधिशोथ, मांसपेशियों में दर्द और सूजन, खराब रक्त परिसंचरण आदि के पुराने मामलों में दीर्घकालिक राहत के लिए उपयोगी है। इसका एक स्थानीय संवेदनाहारी प्रभाव होता है और अस्थायी रूप से दर्द और सूजन को राहत देता है।

क्लव आयल (साइज़ीगियम एरेमेटिकम) या लौंग का तेल, प्रभावित स्थान पर लगाने से हिस्सा सुन्न हो जाता है और दर्द दूर होता है। लौंग के तेल का दांतों के दर्द में भी इसी कारण से प्रयोग किया जाता है। यह लिडोकेन Lidocaine के लिए एक प्राकृतिक विकल्प के रूप में निर्धारित किया गया है।

वायोपैच के लाभ/फ़ायदे Benefits of Viopatch

  1. यह दर्द निवारक है।
  2. इसे लगाना आसान है और यह ग्रीस और स्पॉट्स नहीं छोड़ता।
  3. यह मस्कुलोस्केलेटल दर्द और सूजन से राहत प्रदान करता है।
  4. यह रक्त परिसंचरण में सुधार करता है।

वायोपैच के चिकित्सीय उपयोग Uses of Viopatch

  1. मस्कुलर पेन All kinds of muscular pains
  2. स्पोंडीलोसिस Cervical spondylosis
  3. पीठ का दर्द back pains
  4. गर्दन में दर्द Common neck pains
  5. मांसपेशियों में दर्द Muscles pain
  6. टेनिस एल्बो Pain and stiffness due to tennis elbow
  7. मोच Sprains or stiffness due to long sedentary hours

वायोपैच कैसे प्रयोग करे?

  1. त्वचा को साफ करें।
  2. एक पैच लें, एडहेसिव पर लगे कवर को हटा लें और प्रभावित जगह पर लगा लें।
  3. एक पैच को 12 घंटे लगाएं और इसके बाद हटा दें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
  2. कुछ लोगों को पैच लगाने पर जलन कर सकता है।
  3. इसे बाह्य रूप से लगाते हैं।
  4. एक पैच केवल एक बार ही प्रयोग करने के लिए है।
  5. एक बार में इसका असर 12 घंटे रहता है।
  6. यह आपकी कंडीशन के लिए फायदा कर भी सकता है और नहीं भी।

यूकेलिप्टस ऑयल –नीलगिरी तेल Eucalyptus Oil

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नीलगिरी तेल को यूकेलिप्टस ऑयल Nilgiri tel के नाम से भी जानते हैं। यह एक प्राकृतिक तेल है। इस एसेंशियल आयल को यूकेलिप्टस ट्री जिसका लैटिन नाम, यूकेलिप्टस ग्लोब्यूलस Eucalyptus globulus है, के पत्तों से आसवन प्रक्रिया | हाइड्रोडिस्टिलेशन, के द्वारा निकाला जाता है। यह तेल बाह्य रूप से प्रयोग किया जाता है।

नीलगिरी तेल में रोगाणुरोधी, जीवाणुरोधी और कवक विरोधी गुण पाए जाते हैं। नीलगिरी तेल को सर्दी-खांसी-नजला-जुखाम आदि में एक डेंगेंस्टेंट के रूप में इस्तेमाल करते है। इस तेल को हथेली पर लेकर दर्द-सूजन वाले हिस्से की मालिश करने से गर्माहट आती है, खून का दौरा ठीक होता है और दर्द से राहत मिलती है। इसे मोच और ऐंठन sprain and cramp पर भी लगाया जाता है। इसका उपयोग 1 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों वयस्कों और पर किया जा सकता है।

नीलगिरी का तेल जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों में दर्द और सूजन, खराब रक्त परिसंचरण आदि क्रोनिक मामलों में दीर्घकालिक राहत के लिए उपयोगी है। इसे लगाने से संवेदनाहारी प्रभाव होता है और यह अस्थायी रूप से दर्द और सूजन से राहत देता है।

Eucalyptus Oil is obtained from the leaves of tree Eucalyptus globulus Labill. (Myrtaceae). It has antiseptic and expectorant properties due to principal component eucalyptol. The undiluted oil is toxic if taken internally. Essential oils should not be applied to the skin unless they are diluted with a carrier vegetable oil.

यूकेलिप्टस / सफेदा Eucalyptus Tree

यूकेलिप्टस या नीलगिरी या सफेदा, ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया में पाया जाने वाला एक ऊँचा-पतला  पेड़ है। अब यह पेड़ भारत, उत्तरी और दक्षिणी अफ्रीका और दक्षिणी यूरोप में भी पाया जाता है। इसकी पत्तियां लंबी और नुकीली होती हैं जिनकी सतह पर गांठ पाई जाती है जिसमें तेल होता है। यही तेल आसवन के द्वारा निकाला जाता है।

यूकेलिप्टस वृक्ष की जड़ें जमीन में बहुत अधिक गहराई तब चली जाती हैं और जमीन से बहुत अधिक पानी सोखती हैं। एक पेड़ एक दिन में करीब 100 लीटर पानी सोख सकता है और इसलिए इसे दलदली जगहों पर लगाया जाता है। लेकिन जानकारी न होने से बहुत से लोग इसे कम भूजल वाले स्थानों पर भी लगा देते हैं। यूकेलिप्टस के बहुत से पेड़ एक जगह पर लगा दिए जाने पर यह जमीन से सारे पोषक पदार्थ और पानी को खींच लेता है। परिणामतः जमीन की उर्वरता नष्ट हो जाती है और यह बंजर होने लगती है। इस पेड़ की जड़ के समीप पांच वर्ग मीटर के दायरे में घास तक नहीं उगती है।

यूकेलिप्टस के लिए दलदली इलाके और बहुत अधिक बारिश और जलभराव वाले क्षेत्र उपयुक्त हैं न कि कम बारिश और शुष्क इलाके। कम भूजल वाले इलाकों में इस पेड़ का रोपण जगह को बंजर कर सकता है।

  • स्पीशीज (परिवार) Species (Family): Eucalyptus globulus Labill. (Myrtaceae)
  • पर्याय Synonym(s): E. maidenii subsp. globulus (Labill.) Kirkp., Fevertree, Gum Tree, Tasmanian Bluegum
  • प्रयुक्त हिस्सा: पत्ते Leaf

वाष्पशील तेल Volatile oils : 0.5-3.5%

यूकेलिप्टोल (सिनीओल) 70-85% Eucalyptol (cineole) 70–85%।

मोनोटर्पेस (जैसे ए-पिनिन, बी-पिनन, डी-लिमोनेन, पसीमेने, ए-फेलैंडियान, कैफेन, जी-टेरपिनीन) और सेस्क्युटर्पेंस एल्डिहाइड और केटोन्स (जैसे कैवोन, पिनोकारवोन)

नीलगिरी तेल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Eucalyptus Oil

  1. यह दर्द निवारक है।
  2. यह मोच-खिंचाव, जोड़ों के दर्द, नजला आदि में राहत प्रदान करता है।
  3. जोड़ों के दर्द, जकड़न, सूजन, गठिया, आदि में भी यह दर्दनिवारक और सूजन दूर करने के गुण के कारण लाभकारी है। मालिश करने से जोड़ों में गर्माहट आती है और रक्तप्रवाह ठीक होता है।
  4. गर्दन के दर्द, पीठ के दर्द, मांसपेशियों के दर्द आदि में भी यह सूजन को दूर करने में और दर्द निवारक गुण के कारण लाभकारी है। यह जब हलकी मालिश के साथ लगते हैं तो दर्द वाले हिस्से में आराम मिलता है।
  5. मोच, मांसपेशियों के दर्द, खिचाव, समेत यह सभी इसी तरह की समस्याओं तथा वात रोगों में बाहर से प्रयोग की जा सकने वाला अच्छा तेल है।
  6. जुखाम-कफ आदि में इसे इनहेल करने से नाक खुलती है, कंजेशन में राहत होती है और मालिश करने से खून का दौरा ठीक होता है।
  7. यह एंटीफंगल है।
  8. यह एंटीसेप्टिक है।
  9. यह एंटीमाइक्रोबियल है।

नीलगिरी तेल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Eucalyptus Oil

  1. जोड़ों का दर्द Joint Pain
  2. घुटनों का दर्द Knee Pain
  3. आर्थराइटिस, गठिया Arthritis
  4. पीठ दर्द Backache
  5. मांसपेशियों का दर्द Muscle Pain
  6. गर्दन और कंधे का दर्द Neck & Shoulder Pain
  7. मोच Sprain
  8. ऐठन cramp
  9. फंगल इन्फेक्शन पर लगाने के लिए
  10. नाक जाम होना
  11. सर्दी-फ्लू
  12. साइनस

इसे माउथवाश, दर्द निवारक बाम-मलहम, साबुन, अरोमाथेरेपी, दाद-मुहांसे की क्रीम में इसके एंटीमाइक्रोबियल। एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल और दर्द-सूजन निवारक गुण के कारण डाला जाता है।

नीलगिरी तेल कैसे प्रयोग करे?

For catarrh by inhalation

बहुत नाक में बहुत म्यूकस बनने, जुखाम आदि में इसकी कुछ बूँदों को रुमाल अपर छिडकें और सूंघें। या पानी में डाले और भाप बनाएं। इसे भाप को इन्हेल करने से नाक खुल जायेगी और सांस आराम से आएगी।

For sprains and cramps

मोच, क्रंप पर इसे लगाने के लिए, हथेली पर कुछ बूंदे किसी और वनस्पतिक तेल में मिला लें और प्रभावित जगह पर मालिश करें।

संभावित दुष्प्रभाव साइड-इफेक्ट्स Side effects

  1. सभी दवाइयों की तरह, यूकलिप्टुस तेल के भी कुछ साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि ये हर किसी को प्रभावित नहीं करते हैं।
  2. इसके संभावित दुष्प्रभाव हैं:
  3. त्वचा प्रतिक्रियाएं जैसे खुजली, चकत्ते या एक्जिमा
  4. इनहेल करने से हे फीवर जैसे लक्षण या अस्थमा आदि।
  5. एलर्जी के लक्षण आदि।

सावधनियाँ/ / कब प्रयोग न करें Cautions /Contraindications

  1. नील गिरी का तेल केवल लगाने के लिए है।
  2. इस तेल का कभी भी सेवन नहीं करें।
  3. एसेंशियल आयल को कभी सीधे त्वचा पर न लगाएं। इन्हें किसी अन्य प्राकृतिक तेल में मिल कर प्रयोग करें।
  4. एक साल से छोटे बच्चों पर इसका प्रयोग नहीं करें।
  5. अगर इससे एलर्जी है तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  6. इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के प्रयोग न करें।
  7. अगर लक्षणों में आराम न हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  8. इस तेल को बच्चों की नज़र और पहुँच से दूर रखें।
  9. बच्चे उत्सुकतावश इसे मुख में डाल सकते हैं।
  10. बहुत छोटे बच्चों पर इसका प्रयोग न करें।

गलती से थोड़ी सी मात्रा में इसका सेवन खतरनाक है। इससे गंभीर लक्षण पैदा हो सकते हैं जैसे की गले और मुँह में जलन, बीमार होना,  मांसपेशियों की कमजोरी, चक्कर आना, पुतली का सिकुड़ जाना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, घुटन, भ्रम और दौरे पड़ना burning in the throat and mouth, sickness, muscle weakness, dizziness, pinpoint pupils, rapid heartbeat, suffocation, delirium and convulsions। यदि गलती से तेल निगल लिया गया है तो एक डॉक्टर को तुरंत दिखाएँ।

मुग़ल ए आज़म Mughal-e-Azam Plus Capsule Detail and Uses in Hindi

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मुग़ल ए आज़म Mughal-E-Azam Plus एक हर्बल फार्मूला है। यह पुरुषों के लिए है और प्रीमेच्योर एजाकुलेशन premature ejaculation जिसे शीघ्रपतन या शीघ्र स्खलन भी कहते हैं, में उपयोगी है। यह मुख्य रूप से वाजीकारक, पौष्टिक, और बलवर्धक दवाई है। इससे धातु की कमी दूर होती है और शरीर हृष्ट पुष्ट बनता है।

Note: यह बहुत ही महँगी दवा है और इसमें प्रयुक्त चीजें सिर्फ टॉनिक हैं, इससे आप की समस्या ठीक भी होसकती है लेकिन कोई 100% गारंटी नहीं है, यह कोई जादो नही है, बहुत सोच समझ कर अपनी क्षमता के हिसाब से ही खर्च करें।

मुग़ल ए आज़म दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Mughal-e-Azam Plus Capsule is an herbal formula from Hashmi. It helps to improve sexual performance in males. Mughal-E-Azam Plus helps to delay ejaculation and promote a very satisfying and pleasurable sexual life.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • निर्माता: हाशमी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्ब और शिलाजीत युक्त दवा
  • मुख्य उपयोग: पुरुषों के लिए टॉनिक
  • मुख्य गुण: एंटीऑक्सीडेंट, रसायन, टॉनिक
  • दवा का अनुपान: गर्म जल अथवा गर्म दूध
  • दवा को लेने का समय: दिन में दो बार, प्रातः और सायं

मुग़ल ए आज़म के आयुर्वेदिक गुण

  1. शुक्रवर्धक, बलवर्धक, वीर्यवर्धक
  2. बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  3. शुक्रल: द्रव्य जो शुक्र की वृद्धि करे।

मुगले आज़म कैप्सूल के घटक Ingredients of Mughal-e-Azam Plus Capsule

  1. अश्वगंधा Withania Somnifera 100 mg
  2. कौंच Mucuna Pruriens 100 mg
  3. शतावर Asparagus Racemosus 100 mg
  4. सोंठ Zingiber Officinale 25 mg
  5. अमरबेल Cuscuta reflexa 25 mg
  6. अकरकरा Anacyclus Pyrethrum 20 mg
  7. काली मूसली Curculigo Orchiodes 20 mg
  8. खुरासानी अजवायन Hyoscyamus niger 20 mg
  9. शिलाजीत Black Bitumen 20 mg
  10. जायफल Myristical Fargrans 20 mg
  11. मुलेठी Glycyrrhiza glabra 20 mg
  12. सालब मिश्री Orchis Latifolia 10 mg
  13. भृंगराज Eclipta alba 10 mg
  14. कलौंजी Nigella Sativa 5 mg
  15. केशर Crocus Sativa 5 mg

जानिए मुख्य जड़ी-बूटियों को

अश्वगंधा को असगंध, विथानिया, विंटर चेरी आदि नामों से जाना जाता है। इसकी जड़ को सुखा, पाउडर बना आयुर्वेद में वात-कफ शामक, बलवर्धक रसायन की तरह प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक दवा है। यह शरीर को बल देती है। असगंध तिक्त-कषाय, गुण में लघु, और मधुर विपाक है। यह एक उष्ण वीर्य औषधि है। यह वात-कफ शामक, अवसादक, मूत्रल, और रसायन है जो की स्पर्म काउंट को बढ़ाती है।

  1. अश्वगंधा जड़ी बूटी पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है।
  2. यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है।
  3. यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी दवा है।
  4. यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है।
  5. यह शुक्र धातु की कमी, उच्च रक्तचाप, मूर्छा भ्रम, अनिद्रा, श्वास रोगों, को दूर करने वाली उत्तम वाजीकारक औषधि है।

मुसली को हर्बल वियाग्रा के रूप में जाना जाता है। यह पुरुष प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त करती है। मुसली की जड़ों को पुरुषों की यौन कमजोरी दूर करने के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह पुरुषों में यौन कमजोरी के लिए एक पोषक टॉनिक के रूप में कार्य करती है।

जायफल या जातीफल एक प्रसिद्ध मसाला है। यह मिरिस्टिका फ्रेगरेंस वृक्ष के फल में पाए जाने वाले बीज की सुखाई हुई गिरी है। जायफल और जावित्री दोनों एक ही बीज से प्राप्त होते हैं। जायफल की बाहरी खोल outer covering या एरिल को जावित्री Mace कहते है और इसे भी मसाले की तरह प्रयोग किया जाता है। भारत में जायफल के वृक्ष तमिलनाडु में और कुछ संख्या में केरल, आंध्र प्रदेश, निलगिरी की पहाड़ियों में पाए जाते है।

जायफल को बाजिकारक aphrodisiac दवाओं और तेल को तिलाओं में डाला जाता है। यह पुरुषों की इनफर्टिलिटी, नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculationकी दवाओं में भी डाला जाता है। यह इरेक्शन को बढ़ाता है लेकिन स्खलन को रोकता है। यह शुक्र धातु को बढ़ाता है। यह बार-बार मूत्र आने की शिकायत को दूर करता है तथा वात-कफ को कम करता है।

शिलाजीत पहाड़ों से प्राप्त, सफेद-भूरा मोटा, चिपचिपा राल जैसा पदार्थ है (संस्कृत शिलाजतु) जिसमे सूजन कम करने, दर्द दूर करने, अवसाद दूर करने, टॉनिक के, और एंटी-ऐजिंग गुण होते हैं। इसमें कम से कम 85 खनिजों पाए जाते है। शिलाजीत एक टॉनिक है जो पुरुषों में यौन विकारों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शिलाजीत रस में अम्लीय और कसैला, कटु विपाक और समशीतोष्ण (न अधिक गर्म न अधिक ठंडा) है।

ऐसा माना जाता है, संसार में रस-धातु विकृति से उत्पन्न होने वाला कोई भी रोग इसके सेवन से दूर हो जाता है। शिलाजीत शरीर को निरोगी और मज़बूत करता है।

  1. शिलाजीत पुरुषों के प्रमेह की अत्यंत उत्तम दवा है।
  2. शिलाजीत वाजीकारक है और इसके सेवन से शरीर में बल-ताकत की वृद्धि होती है।
  3. शिलाजीत पुराने रोगों, मेदवृद्धि, प्रमेह, मधुमेह, गठिया, कमर दर्द, कम्पवात, जोड़ो का दर्द, सूजन, सर्दी, खांसी, धातु रोग, रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी आदि सभी में लाभप्रद है।
  4. शिलाजीत शरीर में ताकत को बढाता है तथा थकान और कमजोरी को दूर करता है।
  5. शिलाजीत यौन शक्ति की कमी को दूर करता है।
  6. शिलाजीत भूख को बढाता है।
  7. शिलाजीत पुरुषों में नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculation, कम शुक्राणु low sperm count, स्तंभन erectile dysfunction में उपयोगी है।
  8. शिलाजीत शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।
  9. शिलाजीत के सेवन के दौरान, आहार में दूध की प्रधानता रहनी चाहिए।

मुगले आज़म कैप्सूल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Mughal-e-Azam Plus Capsule

  1. यह इरेक्शन को मजबूत करती है।
  2. यह शीघ्रपतन में फायदेमंद है।
  3. यह शक्तिवर्धक, जोश वर्धक, और वाजीकारक औषधि है। इसके सेवन से प्रजनन अंगों को ताकत मिलती है और यौन दुर्बलता दूर होती है।

टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के वृषण और एड्रेनल ग्लैंड से स्रावित होने वाला एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। यह प्रमुख पुरुष हॉर्मोन है जो की एनाबोलिक स्टीरॉएड है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों में उनके प्रजनन अंगों के सही से काम करने और पुरुष लक्षणों जैसे की मूंछ-दाढ़ी, आवाज़ का भारीपन, ताकत आदि के लिए जिम्मेदार है। यदि टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है तो यौन प्रदर्शन पर सीधे असर पड़ता है, जैसे की इंद्री में शिथिलता, कामेच्छा की कमी, चिडचिडापन, आदि। मूसली, अश्वगंधा और केवांच के सेवन से शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को सुधारने में मदद होती है।

शरीर में यदि कमजोरी है तो सेक्स परफॉरमेंस भी कमजोर होगा। इस कैप्सूल में मूसली, अश्वगंधा, कौंच, आदि जैसे द्रव्य जाते हैं जो प्रजनन अंगों को पुष्ट करते हैं और वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार करते हैं। शुक्राणुओं के संख्या में इसके सेवन से वृद्धि संभव है।

मुगले आज़म कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Mughal-e-Azam Plus Capsule

  1. शीघ्रपतन Premature Ejaculation
  2. बल और ताकत की कमी low strength-stamina
  3. मांसपेशियों में कमजोरी muscles weakness
  4. थकावट, स्टैमिना कम होना fatigue
  5. शरीर पर चर्बी की कमी, बहुत पतला होना emaciation
  6. सेक्सुअल टॉनिक sexual tonic
  7. शुक्र कीटों को बढ़ाना increasing Sperm Count
  8. वाजीकरण improving Sexual Desire
  9. लिबिडो कम होना कामेच्छा की कमी Low Libido
  10. यौन दुर्बलता Male Sexual Weakness
  11. स्वप्नदोष Nocturnal Emission (Night Fall)
  12. स्तम्भन दोष Erectile Dysfunction

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Mughal-e-Azam Plus Capsule

  1. 1 कैप्सूल, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  2. इसे दूध के साथ लें।
  3. इसे भोजन करने के बाद लें।
  4. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. इसे प्रयोग करने के 3-4 महीने बाद रिजल्ट मिलते हैं।
  2. अगर आप को कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है तो दवा में प्रयुक्त जड़ी-बूटियाँ का उस रोग और उसकी दवाओं पर असर ज़रूर चेक करें।
  3. इसके सेवन से वज़न बढ़ सकता है।
  4. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  5. इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  6. यह दवा आपके लिए प्रभावी हो भी सकती है और नहीं भी।
  7. दवा के साथ-साथ भोजन और व्यायाम पर भी ध्यान दें।
  8. पानी ज्यादा मात्रा में पियें।
  9. पाचन ठीक करें।
  10. दवा के सेवन के दौरान दूध, घी, मक्खन, केला, खजूर आदि वीर्यवर्धक आहारों का सेवन अवश्य करें।
  11. जंक फ़ूड न खाएं।
  12. तले, भुने, खट्टे, मसालेदार भोजन न खाएं।
  13. एक्सरसाइज करें।
  14. तनाव कम करें।
  15. कब्ज़ में त्रिफला, इसबगोल आदि का सेवन कर सकते हैं। मुनक्का और किशमिश का सेवन भी कब्ज़ में लाभप्रद है।

औरतों में ठन्डेपन की समस्या का आयुर्वेदिक उपचार

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औरतों में ठन्डेपन की समस्या को इंग्लिश में फ्रिजिडिटी कहते हैं। जिन स्त्रियों का सेक्स के लिए मन नहीं करता, जो सेक्स के लिए उत्तेजित नहीं हो पाती और सेक्स के दौरान पति का साथ नहीं देती उन्हें फ्रिजिड कहा जाता है। क्योंकि ऐसी औरतें सेक्स को एन्जॉय नहीं करती इसलिए उनमें चरम या ओर्गास्म भी नहीं होता। कई बार वे सेक्स केवल पति के कहने पर अपने शरीर को इस्तेमाल होने देती है और कई बार मना ही कर देती है। सेक्स एक जरूरत है जिसके पूरा नहीं होने पर एक दूसरे के लिए असंतोष और गुस्सा बढ़ता है। कई बार नौबत तलाक तक की आ जाती है। पति में कोई समस्या न होते हुए भी वह सेक्स नहीं कर सकता। यह एक ऐसी समस्या है जिससे पति और पत्नी दोनों को ही मानसिक समस्या होने लगती है। पति सेक्स के लिए परेशान रहता है जबकि पत्नी सेक्स नहीं करने के लिए परेशान रहती है।

औरतों में ठन्डेपन की समस्या का कारण मनोवैज्ञानिक या शारीरिक हो सकता है। मानसिक कारणों में चिंता, डर, अवसाद, तनाव, बलात्कार, यौन दुर्व्यवहार, या पति पत्नी के बीच एक दूसरे के प्रति दुर्भावना हो सकती है। पत्नी का पति को नहीं पसंद करना भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। शारीरिक कारक मासिक धर्म चक्र, गर्भावस्था, बच्चे को दूध पिलाना, प्रसवोत्तर अवधि, रजोनिवृत्ति, श्रोणि क्षेत्र की चोट या गर्भनिरोधक गोलियां / हार्मोन हो सकते हैं।

यह ज़रूरी है कि यदि किसी पत्नी में सचमुच यह समस्या है तो वह इसे दूर करने की इच्छा रखे। तभी यह इस समस्या का निवारण कर सकती है। यदि वह सब कुछ जानते बूझते ऐसा कर रही है, तो इस समस्या का निवारण नहीं किया जा सकता।

बिस्तर पर औरतों में ठन्डेपन की समस्या – फ्रिजिडिटी क्या है?

ठंडापन अक्सर महिलाओं में कम कामेच्छा (सेक्स ड्राइव) के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह का फीमेल सेक्सुअल डिसफंक्शन है।

फ्रिजिडिटी होने के कौन से कारण हैं? पत्नी का सेक्स के लिए मन क्यों नहीं करता?

ठंडापन या महिलाओं में कामेच्छा में कमी के कई कारण हो सकते हैं। यह समस्या मानसिक या शारीरिक कारण से हो सकती है। इस समस्या से पीड़ित महिला सहवास की इच्छुक नहीं रहती। सेक्स के दौरान भी वह कोई उत्तेजना नहीं दिखाती और मानसिक रूप से तैयार होने से योनि का सूखापन होता है जिससे सेक्स पति और पत्नी दोनी के लिए दर्दनाक हो सकता है। यदि पति सेक्स करे भी तो यह एक रूटीन का काम हो जाता है जिसमें कोई आनंद नहीं रहता।

ठंडेपन के भावनात्मक कारण

  • एक दूसरे से व्यवहार की समस्याएं, अनसुलझी भावनात्मक समस्या, लड़ाई-झगड़े
  • कम आत्मसम्मान या आत्मविश्वास की कमी
  • गर्भावस्था या यौन संचारित रोगों का डर
  • तनाव, चिंता, अवसाद
  • धार्मिक, व्यक्तिगत कारणों से अंतरंगता बाधाएं
  • नशे की लत
  • पति का पत्नी से बुरा व्यवहार
  • पति की हिंसक प्रवृति
  • पति को पसंद नहीं करना
  • पति पत्नी में स्वभाव का अंतर
  • पति से भावनात्मक दूरी
  • पिछला दर्दनाक यौन अनुभव जैसे बलात्कार, व्यभिचार, या यौन उत्पीड़न
  • रिश्ते में शर्म, अपराध, अवसाद, चिंता, या ऊब जैसी भावनाएं
  • ससुराल पक्ष से अनबन
  • सेक्स से घृणा महसूस होना, इसे गन्दा समझना

ठंडेपन के शारीरिक कारण

  • अन्य रोग के लिए ली जाने वाली दवाओं का प्रभाव
  • थकावट या थकान
  • पर्याप्त संभोग का अभाव
  • पुरुष का यौन प्रदर्शन अच्छा नहीं होना
  • योनि का सूखापन
  • रजोनिवृत्ति या हार्मोनल असंतुलन से संबंधित परिवर्तन
  • शराब या मादक द्रव्यों के सेवन के प्रभाव
  • संक्रमण या स्त्री रोग संबंधी समस्याएं
  • संभोग के दौरान दर्द या परेशानी (डिस्पेर्यूनिया)
  • सर्जरी या आघात के कारण नसों को नुकसान

औरतों में ठंडेपन के लिए घरेलू उपचार

Home Remedies for Frigidity

औरतों का ठंडापन, कामुक ठंडापन, औरत में सेक्स इच्छा की कमी, लो लिबिडो, frigidity आदि का अर्थ है किसी महिला में कम कामेच्छा या सेक्स ड्राइव की कमी। शरीरिक सम्बन्ध, वैवाहिक जीवन के लिए ज़रूरी है। पत्नी की सेक्स में रुचि न होने के कारण कई पुरुष घर के बाहर इसे पाने की कोशिश करते हैं या तलाक तक के बारे में सोच लेते हैं। इसलिए यह ज़रूरी है कि यदि किसी महिला में सेक्स में रूचि नहीं है तो वह इसे समझे और इसे दूर करने के उपाय करे। ज़रूरी हो तो डॉक्टर से भी सलाह ली जा सकती है। नीचे कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं, जो रसायन है और पूरे स्वास्थ्य को बेहतर करने में सहायक है। ये उपाय दिमाग और प्रजनन अंगों पर काम करते हैं और सेक्सुअल डिसफंक्शन को दूर करने में मदद करते है।

औरत को उत्तेजित करने के लिए शतावरी और विदारी का प्रयोग

शतावरी Asparagus racemosus पौधे की जड़ को आयुर्वेद में स्त्री रोगों को लिए प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। यह एक एंटीऑक्सिडेंट और जीवाणुरोधी है, तथा प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करती है। यह खून की कमी से बचने में मदद करती है।

शतावर को माहवारी पूर्व सिंड्रोम (PMS), गर्भाशय से रक्तस्राव और नई मां में दूध उत्पादन शुरू करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त शतावर को अपच, कब्ज, पेट में ऐंठन, और पेट के अल्सर, दर्द, चिंता, कैंसर, दस्त, ब्रोंकाइटिस, क्षय रोग, मनोविकार, और मधुमेह के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यह एक aphrodisiac के रूप में यौन इच्छा को बढ़ाने के लिए भी प्रयोग की जाती है। इसका शरीर में स्त्री हॉर्मोन एस्ट्रोजन जैसा असर होता है।

विदारी एक पौधे Pueraria tuberosa का कंद है। यह वातहर, पित्तहर, हृदय, पौष्टिक, शुक्रल, बल्य, कंठ के लिए उत्तम, वर्ण्य, रसायन और वाजीकारक है। इसके सेवन से रक्तपित्त, शुक्र क्षय, रक्त दोष, जलन, कफ, शूल, मूत्रकृच्छ, विसर्प और विषमज्वर आदि दूर होते हैं।

विदारी रस में मधुर और मधुर विपाक है। यह गुण में गुरु और स्निग्ध है। वीर्य में यह शीत है और शरीर को बल देने वाली रसायनी औषध है।

1- शतावरी एक भाग और विदारी कन्द का पाउडर आधा भाग को मिला कर रख लें।

इसे एक कप गर्म दूध के साथ रात को सोने से पहले लें। इससे स्वास्थ्य अच्छा होगा और यौनेच्छा बढ़ेगी।

2- शतावरी पाउडर एक भाग, विदारी कन्द पाउडर का पाउडर एक भाग, जायफल पाउडर ⅛ part और टगर आधा भाग मिला कर रख लें।

इस पाउडर को 1 टी स्पून की मात्रा में गर्म दूध के साथ सुबह और शाम लें। ऐसा 1 महीने तक करें।

मालिश erotic massage

आप बाला तेल, शतावरी घी, एरंडर तेल या ब्राह्मी घी के साथ जघन की हड्डी को धीरे से मालिश कर सकते हैं।

चमेली की गंध कामुक प्रेरणा पैदा करती है। जैस्मीन तेल के कुछ बूंदों को बादाम के तेल के साथ मिलाकर शरीर पर मालिश करने पर स्त्री ठंडेपन में मदद होती है।

सूखे मेवे का प्रयोग

नाश्ते में 10 बादाम खाएं। बादाम रात भर पानी में भिगोएँ, और अगली सुबह खाने से पहले छील लें।

नाश्ते के बाद, 1 चम्मच शहद के साथ 3 अंजीर खाएं। एक घंटे बाद, एक ग्लास लस्सी पियें।

औरत को गरम करने के लिए भोजन में शामिल करें कुछ खाद्य पदार्थ

भोजन में लहसुन और प्याज शामिल करें।

लहसुन वाले दूध में भी कामोत्तेजक गुण हैं। 1 कप दूध, ¼ कप पानी, और 1 लहसुन की कली को मिलाएं और उबालें जब तक 1 कप बचे। इसे सोने से पहले नियमित पियें।

1 चम्मच प्याज का रस 1/4 चम्मच ताजा अदरक का रस दिन में दो बार मिला कर लें।

कब्ज़, पेट साफ़ नहीं होना

जब पेट नहीं होता तो लिबिडो कम हो जाता है। पेट में गैस बनती है, दर्द होता है। पाचन की विकृति आ जाती है। कब्ज़ और ठंडापन अक्सर एक साथ देखा जाता है। इसलिए पहले पेट की समस्या दूर करनी चाहिए। पेट साफ़ करने के लिए त्रिफला 1 टीस्पून की मात्रा में रात को सोते समय गर्म पानी के साथ लेना चाहिए। यदि सूखा त्रिफला पाउडर लेने में दिक्कत है तो इसे थोड़े से पानी में भिगो लें और 10 मिनट उबाल कर, पीने लायक तापमान पर ठंडा होने पर पी लें।

ध्यान, प्राणायाम, और व्यायाम

तनाव और मनोवैज्ञानिक समस्याओं से लिबिडो पर सीधे असर होता है। एंग्जायटी, अवसाद, स्ट्रेस आदि के लिए योगाभ्यास और ध्यान से लाभ होता है।

सेक्स का आनंद महिला में सेक्स अंगों से ज्यादा दिमाग से जुड़ा है। मस्तिष्क को औरत के सेक्स में रुचो और चरम में पहुँचने में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। उसके यौन प्रतिक्रिया चक्र के अधिकांश हिस्से उसके दिमाग में उत्पन्न होते है। दिमाग के केमिकल डोपामाइन, नोरेपिनफ्रिन, और सेरोटोनिन स्त्रियों में सेक्स में विशेष भूमिका निभाते हैं। ये रसायन न्यूरोट्रांसमीटर हैं और तंत्रिका तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों के बीच सिग्नल भेजने के लिए जिम्मेदार हैं। डोपामाइन, और नोरेपेनेफ्रिन यौन उत्तेजना में शामिल हैं। हालांकि, सेरोटोनिन यौन अवरोधन में योगदान देता है और सेक्स ड्राइव को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि अगर ये रसायन संतुलन बिगड़ जाता है तो महिला में सेक्स के लिए रुचि कम हो सकती है। अगर डोपामिन और नॉरपिनफ्रिन का स्तर बहुत कम है और / या सेरोटोनिन का स्तर बहुत अधिक है – एक महिला को कम यौन इच्छा हो सकती है। जो महिलायें एंटी डिप्रेसेंट दवाएं लेती है उनमें सेरोटोनिन के लेवल बढ़ जाता है और सेक्स की इच्छा कम हो जाती है।

मानसिक समस्या के लिए योग और ध्यान से अच्छा कुछ नही है।

निम्न योगाभ्यास करने से लो लिबिडो की समस्या में विशेष लाभ होता है:

  • उष्ट्रासन
  • कुक्कुटासन
  • नटराजासन
  • वज्रासन

योग के हर सत्र के बाद करने से मस्तिष्क में जीएबीए GABA levels के स्तर में वृद्धि होती है। गामा-एमिनोब्यूटेरिक एसिड या जीएबीए, एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के माध्यम से रासायनिक संदेश भेजता है, और मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच संचार को विनियमित करने में शामिल है। गाबा के सामान्य से कम स्तरों में मस्तिष्क में एक प्रकार का पागलपन, अवसाद, चिंता, और नींद संबंधी विकार देखे जाते है।

ध्यान

  • अनुलोम विलोम प्रणायाम
  • कपालभाति प्रणायाम
  • नाड़ीशोधन प्रणायाम
  • योग मुद्रा

मानसिक स्वास्थ्य ठीक करने में त्रिफला, त्रिकटु, जटामांसी, शतावर, ब्राह्मी, द्राक्षा, पेठे, आंवले, हींग और ब्राह्मी का सेवन भी लाभप्रद है। चिंता करना, काम, क्रोध, बहुत अधिक मेहनत करना, खाना नहीं खाना, तीखा, गर्म, भारी भोजन आदि को नहीं करने की सलाह दी जाती है। रात में बहुत देर तक नहीं जागने की भी सलाह दी जाती है। घी, दूध, फल और अन्य पौष्टिक पदार्थ खाने चाहिए। मानसिक रोगों में मेद्य रसायनों का प्रयोग किया जाना चाहिए। शंखपुष्पि के पौधे से निकाला ताजा रस भी अच्छा मेद्य रसायन है और मानसिक विकारों में प्रमुखता से प्रयोग होता है।

आहार, जीवन शैली और अन्य सुझाव

  • धूम्रपान, शराब, चाय, कॉफी और पैकेज या संसाधित भोजन से नहीं खाएं।
  • पॉलिश चावल का उपयोग नहीं करें।
  • सलाद, ताजे फल, ड्राई फ्रूट्स मूड अच्छा कर्ण एवाले भोजन का उपयोग बढ़ाएं।
  • पानी अधिक मात्रा में पिएं।
  • जिस चीज में रूचि हो वे करें और खुश रहें।
  • पेट की समस्या, कब्ज़ का इलाज़ करें।
  • अन्य यौन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें, न कि सिर्फ संभोग करें।
  • आराम करें और अच्छी तरह से खाएं।
  • कैगल व्यायाम करें।
  • जन्म नियंत्रण जो आप और आपके साथी दोनों के लिए काम करता है का उपयोग करें।
  • योनि के सूखेपन में योनि स्नेहक का प्रयोग करें।
  • संभोग के लिए विभिन्न स्थितियों का प्रयास करें।
  • सेक्स में जल्दबाजी नहीं करें। अधिक समय लें। सुनिश्चित करें कि आप संभोग से पहले उत्तेजित हैं।
  • सेक्स से पहले रिलेक्स करें।
  • सेक्स से पहले मूत्राशय को खाली करें।

यदि आप,

  • सेक्स के साथ एक समस्या से परेशान हैं
  • अपने रिश्ते के बारे में चिंतित हैं
  • यौन संबंध के साथ दर्द या अन्य लक्षण हैं

तो डॉक्टर से संपर्क करें। यदि यौन इच्छा की कमी आपके रिश्ते में एक समस्या बन गई है, तो कारणों और विशिष्ट लक्षणों के आधार उपचार विकल्प देखें। यदि समस्या भावनात्मक है, तो पति से बात करें, ज़रूरत हो तो मनोवैज्ञानिक से मिलें। कम कामेच्छा, शारीरिक समस्या के कारण भी संभव है। अगर संदेह है, स्त्री रोग विशेषज्ञ की राय लें।

Frigidity is a persistent or recurrent deficiency or absence of sexual fantasies and desire for sexual activity causing marked distress or interpersonal difficulty. It is the most common form of female sexual dysfunction, related to sexual arousal, orgasm, pain and desire that interfere with normal sexual function.

Causes

The causes of Frigidity involve a multitude of psychosocial and biologic factors and can be attributed to a complex interplay of these factors.

Imbalance of neurotransmitters, or chemicals in the brain, could be the root cause of persistent and recurrent low sexual desire. Sexaul pleasure requires the complex interaction of multiple neurotransmitters and hormones, both centrally and peripherally.

Psychosocial

Personal and job stress, life-stage stressors, body image self-consciousness, low or fragile self-regulation or self-esteem, depressed mood and anxiety

Self-focused attention, including worries about pleasing her partner, fear of partner rejection, fear of pregnancy and STI, unease related to the inability to reach orgasm

Sexual abuse and emotional neglect in childhood or traumatic experiences during puberty

Biological

Chronic illnesses or existing medical conditions, such as diabetes, depression and cancer

Side effects from certain medications, such as anti-depressants, psychiatrics medications and beta blockers

Fluctuations in hormone levels related to pregnancy and menopause

Painful intercourse due vaginal/pelvic floor conditions, such as vestibulitis, vulvodynia or endometriosis and bladder conditions, such as interstitial cystitis or urinary incontinence

 Treatment

General issues related to improved well-being, such as diet, exercise, stopping possible alcohol and chemical substance abuse, and sleep should be addressed in all women. In addition, there are common treatment options for including psychotherapy and pharmacotherapy.

निर्गुन्डी क्वाथ Patanjali Nirgundi Kwath Detail and Uses in Hindi

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निर्गुण्डी क्वाथ, निर्गुण्डी का काढ़ा बनाने के लिए मिलने वाला दरदरा पाउडर है। निर्गुन्डी क्वाथ का प्रयोग वात रोगों जैसे की आर्थराइटिस, रह्युमेटिज्म, मांसपेशियों क़ी सूजन, आदि में किया जाता है।

निरगुंडी – विटेक्स नेगुंडो, आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक प्रतिष्ठित दवा है। निरगुंडी, सिंधुका, सिंधुवरा, सुवाहा, सुगंधिका निला, नील निरुगुंडी , श्वेत निरगुंडी और सिंधुबार के रूप में संस्कृत में, बंगाली में निशिंद, हिंदी में सांभालु, उड़िया में बेगुनिया, अरबी में असलाक और फरसी में फ़ानजान ख़िस्त के रूप में जाना जाता है।

निरगुंडी को मांसपेशी शिथिलता, दर्द, खाँसी, अस्थमा, नेत्र रोग, सूजन, ग्रंथियों और संधिशोथ सूजन, आंत्र कीड़े, बुखार, अल्सर, त्वचा रोग, तंत्रिका संबंधी विकार और कुष्ठ रोग में दवा रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

निरगुंडी काढ़ा, शरीर में वात और कफ को कम करता है लेकिन अधिकता में इसका सेवन पित्तवर्धक है। इसके पत्ते स्वभाव से गर्म हैं, लेकिन फल, फूल और बीज शीतल हैं। दवा की तरह निर्गुन्डी के पत्ते और जड़ इस्तेमाल होते हैं। निर्गुन्डी को फांट, काढ़े, रस और तेल की तरह से इस्तेमाल किया जाता है।

निर्गुन्डी प्लाज्मा, रक्त, मांसपेशी, नर्व, मज्जा और प्रजनन अंगों पर असर दिखाती है। यह परिसंचरण और पाचन अंगों पर प्रभाव डालती है। इसमें दर्द निवारक, कृमिघ्न, सूजन कम करने के, टॉनिक, बुखार कम करने के, कफ ढीला करने के और एंटीसेप्टिक गुण हैं।

यह पेल्विव क्षेत्र में खून बढ़ाती है इसलिए इसे प्रेगनेंसी में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

DIVYA NIRGUNDI KWATH is an herbal ayurvedic medicine from Patanjali Ayurved and Divya Pharmacy. Divya Nirgundi Kwath is good muscle relaxant, pain relieving. It is useful in Arthritis & Rheumatism. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: Patanjali Nirgundi Kwath
  • निर्माता: पतंजलि दिव्य फार्मेसी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: निर्गुन्डी का इस्तेमाल आर्थराइटिस, पेशी के दर्द, मोच, सिर में दर्द, पेट के कीड़े, घाव, यौन रोग, बुखार, पाइल्स आदि में लाभप्रद है।
  • मुख्य गुण: दर्द, सूजन और वात कम करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करना
  • मूल्य MRP: Patanjali Nirgundi Kwath  100 gm @ Rs. 15.00

निर्गुन्डी क्वाथ के घटक Ingredients of Patanjali Nirgundi Kwath

निर्गुन्डी क्वाथ में निर्गुन्डी पौधे के सुखाए हुए हिस्से हैं।

आयुर्वेदिक गुण और कर्म

स्वाद में कटु, तिक्त, गुण में लघु और रुक्ष है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है। यह उष्ण वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। उष्ण वीर्य औषधि वात, और कफ दोषों का शमन करती है। यह शरीर में प्यास, पसीना, जलन, आदि करती हैं। इनके सेवन से भोजन जल्दी पचता (आशुपाकिता) है।

  • रस (taste on tongue): कटु/तीखा, तिक्त/कड़वा
  • गुण (Pharmacological Action): लघु/हल्का, रुक्ष/सुखाने वाला, 
  • वीर्य (Potency):उष्ण / गर्मी बढ़ाने वाला
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु/तीखा

विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। कटु विपाक, द्रव्य आमतौर पर वातवर्धक, मल-मूत्र को बांधने वाले होते हैं। यह शुक्रनाशक माने जाते हैं। और शरीर में गर्मी या पित्त को बढ़ाते है।

प्रधान कर्म 

  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • छेदन: द्रव्य जो श्वास नलिका, फुफ्फुस, कंठ से लगे मलको बलपूर्वक निकाल दे।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • पित्तकर: द्रव्य जो पित्त को बढ़ाये।
  • रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।
  • वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  • वाताघ्न: द्रव्य जो वात को कम करे।
  • शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे। antihydropic
  • श्लेष्महर: द्रव्य जो चिपचिपे पदार्थ, कफ को दूर करे।

निर्गुन्डी क्वाथ के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Nirgundi Kwath

  • निर्गुन्डी के पत्ते स्वाभाव से गर्म होते हैं और शरीर में गर्मी लाते हैं। यह खून के दौरे को सुधारते है।
  • निर्गुन्डी काढ़ा मांसपेशियों के दर्द, सूजन को कम करता है। इस गुण से यह गठिया, ओस्टोआर्थराइटिस, स्प्रेन, दर्द और मोच में लाभदायक अहि।
  • निर्गुन्डी के काढ़े को नाड़ी स्वेदन के लिए इस्तेमाल करते हैं। नाड़ी स्वेदन में प्रभावित जगह पर निर्गुन्डी के काढ़े की भाप दी जाती है और फिर ददशमूल तेल या महानारायण तेल से मालिश की जाती है।
  • निर्गुन्डी को गुग्गुलु, सलाई गुग्गुल, हल्दी, सोंठ, अजवाइन आदि के साथ रूमेटिज्म में आंतरिक रूप से लेने में आराम होता है।

निर्गुन्डी क्वाथ के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Nirgundi Kwath

  • आम वात गठिया Rheumatoid Arthritis(Amavata)
  • ओस्टोआर्थराइटिस Osteoarthritis
  • गर्दन और कंधे का दर्द Neck & Shoulder Pain
  • घुटनों का दर्द Knee Pain
  • जोड़ों का दर्द Joint Pain
  • जोड़ों के डिसऑर्डर Joint Disorder
  • पीठ में दर्द Low Back Pain
  • मांसपेशियों का दर्द Muscle Pain
  • मोच Sprain
  • वात रोग Vata Vyadhi
  • सपोंडिलोसिस Spondylosis
  • साइटिका Sciatica

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Patanjali Nirgundi Kwath

  • 1 चम्मच या 5 ग्राम, काढ़े का पाउडर लें।
  • इसे 200 मिलीलीटर पानी में उबाल लें।
  • जब पानी की 50 मिलीलीटर बचे, स्टोव बंद करें।
  • इसे छान लें।
  • इसे नाश्ते और रात के भोजन करने से पहले लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

निर्गुन्डी क्वाथ सावधनियाँ Cautions

  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • यदि बच्चे के इए तरी कर रहीं हैं तो इसे लेने मे सावधानी रखे। विटेक्स प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन को बढ़ावा देता है। इसे गर्भनिरोधक के रूप में भी जाना जाता है।यह इसे ओव्यूलेशन से पहले नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह ओवल्यूलेशन में देरी करता है या रोक सकता है।
  • सिज़ोफ्रेनिया वाले लोग या जहां डोपामिन का स्तर प्रभावित होता है, स्वास्थ्य पेशेवरों की देखरेख में विटेक्स का उपयोग करना चाहिए।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

निर्गुन्डी क्वाथ साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • अधिक मात्रा में लेने से कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • यह लिबिडो को कम कर सकता है।
  • जानवरों और मानव अध्ययनों पर प्रायोगिक आंकड़ों ने बताया है कि विटेक्स हार्मोन संबंधी गतिविधियों के phytocomponents और हार्मोनल दवाओं के औषधीय प्रभावों को प्रभावित कर सकते हैं।
  • यह ओरल गर्भ निरोधकों या महिला हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।

निर्गुन्डी क्वाथ कब प्रयोग न करें Contraindications

  • एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉएड या स्तन, गर्भाशय, और सैस्टर के कैंसर के रूप में हार्मोनल रोगों वाले लोग विटेक्स को नहीं लेना चाहिए।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • छोटी मात्रा में इससे दूध उत्पादन में वृद्धि हो सकती है और उच्च खुराक यह कम कर सकती है।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।

निर्गुन्डी तेल Nirgundi Oil Detail and Uses in Hindi

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निर्गुण्डी तेल, एक क्लासिकल आयुर्वेदिक औषधीय तेल है। इसे घाव, अल्सर, फोड़े, फुंसी, सुनाई नहीं देने, एनल फिशर (गुदा/एनल कैनाल के आसपास के हिस्से में दरारें), जोड़ों में दर्द, टाइट फोरस्किन समेत बहुत से रोगों में इस्तेमाल किया जाता है।

इस दवा में लांगली है। इसलिए इसे गर्भावस्था में और बच्चों पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इसे डॉक्टर की देख रेख में सावधानी से इतेमाल करना चाहिए। तेल के इतेस्माल के बाद हाथ अच्छे से धो लेना भी ज़रूरी है।

क्योंकि यह एक क्लासिकल दवाई है और आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित है इसे बहुत सी आयुर्वेदिक फार्मेसी जैसे कि बैद्यानाथ्, कामधेनु आदि बना रही हैं।  यद्यपि इसे नस्य के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, आप ऐसा केवल डॉक्टर के निर्देश पर ही करें। इसके लिए लेबल पर चेक करन भी ज़रूरी है कि तेल आंतरिक इस्तेमाल के लिए है भी या नहीं।

इसका बेस तेल तिल का तेल है। तिल का तेल, भारी, संकोचक और स्वाभाव से गर्म है। मालिश करने के लिए यह बहुत ही लाभकारी है।  तिल के तेल को मालिश के तेल बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह शरीर में वात को कम करता है। इससे मालिश करने से गर्मी आती है। यह दर्द और जोड़ों की जकड़न को दूर करता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Nirgundi Taila is classical Ayurvedic medicated oil used topically on cysts, abscesses and non-healing wounds. Use this medicine used under medical supervision.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and how to use in Hindi language.

  • दवा का नाम: निरगुंडी तेल Nirgundi Tel, Nirgundi Oil, Shefali Oil, Langali Taila, Nirgundi Tel
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक हर्बल तेल
  • मुख्य उपयोग: घाव, फोड़े, त्वचा रोग, बहरापन
  • मुख्य गुण: एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटी-इन्फ्लॉमरेटरी

निर्गुन्डी तेल के घटक Ingredients of Nirgundi Taila

  • निर्गुन्डी के पत्तों का जूस Nirgundi svarasa (Lf.) 3.072 l
  • तिल का तेल Taila (Tila) (Ol.) 768 g
  • लांगली Langali (Rz.) 96 g

निर्गुन्डी

गठिया, जोड़ों की सूजन, सूजन के लिए निर्गुण्डी (विटेक्स नीगुंडो लिन, परिवार वर्बेनासेई) के पत्तों का उपयोग आयुर्वेद में किया जाता है । इसमें एंटीटॉक्सिक, एंटीसेप्टिक, और एनाल्जेसिक एक्शन है। यह महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों में से एक है जिसे वात रोगों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है । पत्तियों में इरिडोइड ग्लाइकोसाइड, आइसोमेरिक फ्लैनोऑन्स और फ्लेवोनोइड होते हैं, इसके अलावा कैस्टटीन और ग्लूकोसाइड, ल्यूटोलिन-7-ग्लूकोसैड और अल्फा-डी-ग्लूकोसाइड टेट्राहाइड्रोक्सी मॉोनोमेथॉक्स फ्लावेन भी पाए जाते हैं।

तिल का तेल

तिल का तेल सबसे लोकप्रिय मालिश तेल में से एक है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधीय तेल बनाने के लिए आधार तेल के रूप में किया जाता है। यह भारी,और शक्ति में गर्म है. इसमें 8 आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं जो मस्तिष्क के लिए अच्छे होते हैं और प्राचीन समय से सिर की मालिश के लिए इस्तेमाल करते हैं।

लांगली

लांगली – ग्लोरिओसा सुपरबा लेंन (परिवार: Liliaceae) को सूजन, गठिया, रुमेटी गठिया, सूजाक, बुखार और प्रसव पीड़ा को बढ़ावा देने में इस्तेमाल किया जाता है. ग्लोरियोसा सुपरबा को कोलिचिसन होते हैं, जहरीले प्रभाव पड़ते हैं, विशेष रूप से कार्डियॉओऑक्सिसिटी। इसमें एक और जहरीला क्षारोही, महिमाइन भी शामिल है। लांगली का प्रयोग आयुर्वेद में detoxification प्रक्रिया के बाद किया जाता है। इसमें 24 घंटे के लिए गोमुत्र में जड़ों और बीज के भिगोने और फिर गर्म पानी से धोना शामिल है. शोधन प्रक्रिया के बाद कोलेचिइन्स का स्तर काफी कम हो जाता है क्योंकि कोलेसिसीन प्रकृति में ध्रुवीय है और इसलिए गोमोत्र और पानी में घुलनशील है।

लांगली जड़ रेचक, गर्म, हल्का और तीक्ष्ण है। यह कुष्ठ रोग, बवासीर, शूल, फोड़े में उपयोगी होता है और आंतों की कीड़ों को निकालने में मदद करता है। यह दर्दनाक मांसपेशियों और जोड़ों पर बाह्य रूप से लागू किया जाता है।

निर्गुन्डी तेल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Nirgundi Taila

  • यह एक आयुर्वेदिक तेल है।
  • यह एंटीसेप्टिक है।
  • यह नाड़ीव्रण, दूषित फोड़े, फुंसी, न ठीक होने वाले घाव, गुप्तांगों में फोड़ों आदि में लाभदायक है।
  • इस तेल के नस्य से गण्डमाला में लाभ होता है।
  • इसे कान में कुछ बूँद की मात्रा में डालने से ear इन्फेक्शन, कान से डिस्चार्ज आदि में फायदा होता है।

निर्गुन्डी तेल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Nirgundi Taila

  • फोड़ा (सूजन क्षेत्र मवाद से भरा हुआ है) Abscess (swollen area filled with pus)
  • गुदा में दरार Anal fissure
  • कार्बुन्कल (त्वचा पर मवाद से भरा कई फोड़े) Carbuncle (Multiple boils filled with pus on skin)
  • गंभीर अल्सर Chronic ulcers
  • यौन रोगों के कारण गुप्तांगों में होने वाले घावों के लिए ड्रेसिंग Dressing for venereal sores
  • गाण्डमाला (सरविक लिम्फैडेनाइटिस) Gandamala (Cervical lymphadenitis)
  • गंग्रीन घाव Gangrenous wounds
  • घावों का हीलिंग Healing of wounds
  • बहरापन Hearing loss
  • न्यूरोलॉजिकल समस्याओं और सिर की चोट के कारण सुनने की हानि Loss of hearing due to neurological problems and head injury
  • वात व्याधि के कारण दर्द Pain due to Vata Vyadhi
  • जोड़ों में दर्द Pain in joints
  • दर्दनाक मांसपेशियों Painful muscles
  • फाइमोसिस Phimosis
  • जोड़ों में दर्द Rheumatic joint pain
  • कटिस्नायुशूल Sciatica
  • चर्म रोग Skin diseases
  • अल्सर Ulcers

निर्गुन्डी तेल के प्रयोग की विधि

  • यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  • ज़रूरत के अनुसार तेल हथेली पर लें, दोनों हथेली पर मलें और हल्की मालिश करें।
  • फिमोसिस में इसे फॉरस्किन पर लगाकर 10 मिनट मालिश करनी चाहिए।
  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  • डॉक्टर की सलाह के बिना इस दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
  • इसे नस्य के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ऐसा केवल डॉक्टर के बिर्देश के अनुसार करना चाहिए।
  • बच्चों पर इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • गर्भवती महिला इसका प्रयोग नहीं करें।

निर्गुन्डी तेल के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इस तेल को डॉक्टर की देख-रेख में प्रयोग करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

निर्गुन्डी तेल को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान प्रयोग न करें।
  • इसे बच्चों पर प्रयोग नहीं करें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।

उपलब्धता

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

  • बैद्यनाथ Baidyanath Nirgundi Tail
  • कामधेनु Kamdhenu Nirgundi Taila
  • अल्वा Alva’s Nirgundi Taila
  • निसर्ग Nisarg Nirgundi Tailaतथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

पारिजात क्वाथ Patanjali Parijaat Kwath Detail and Uses in Hindi

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पारिजात क्वाथ, पारिजात का काढ़ा बनाने के लिए मिलने वाला दरदरा पाउडर है। पारिजात क्वाथ का प्रयोग वात रोगों जैसे की आर्थराइटिस, रह्युमेटिज्म, मांसपेशियों क़ी सूजन, आदि, बुखार, खांसी जुखाम, मलेरिया, शरीर में सूजन में किया जाता है।

पारिजात की पत्तियों को गठिया, कटिस्नायुशूल, मस्कुलोस्केलेटल और जोड़ों के विकार दर्द और सूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके सेवन से कफ-खांसी में भी आराम होता है। विषम जावर, बार बार आने वाले बुखार, मलेरिया आदि में यह विशेष रूप से लाभ दायक है। यह बुखार के आने का क्रम तोड़ता है। इसके सेवन से बुखार में आने वाली उलटी से भी राहत मिलती है। डायबिटीज में इसके काढ़े को 40 दिन तक लेने की सलाह दी जाती है।

पारिजात झाड़ी या छोटा पेड़ है। इसके पत्तों पर नरम सफेद रोयें होते हैं। पारिजात के छोटे-सफ़ेद सुगन्धित पुष्प रात में खिलते हैं और सुबह गिर जाते हैं। इसके फूलों की हल्की और भीनी से गंध के कारण इसे नाइट जैस्मीन भी कहते हैं। यह भारत में बहुत प्राचीन समय से प्रयोग होता आया है। इसका वर्णन महाभारत, पुराण और विष्णु पुराण जैसे कई पौराणिक ग्रंथों में भी दिया गया है। आयुर्वेद में रोगों के उपचार के लिए इसके पत्ते, पुष्प इस्तेमाल किये जाते हैं।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Parijaat Kwath is Herbal Ayurvedic decoction. It is indicated in treatment of fever, arthritis, headache, and Vata roga. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: पारिजात क्वाथ Parijaat Kwath
  • निर्माता: पतंजलि दिव्य फार्मेसी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: वात रोग, बुखार
  • मुख्य गुण: सूजन कम करना, बुखार कम करना,
  • दोष इफ़ेक्ट: वात कम करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें
  • मूल्य MRP: Patanjali Parijaat Kwath  100 gm @ Rs. 15.00

पारिजात क्वाथ के घटक Ingredients of Parijaat Kwath

  • पारिजात का सूखा पाउडर
  • पारिजात क्वाथ के लाभ/फ़ायदे Benefits of Parijaat Kwath
  • यह पुराने बुखार और सिरदर्द में उपयोगी है।
  • यह, बुखार में ठंड लगना और अत्यधिक प्यास में राहत देता है।
  • बार बार आने वाले बुखार में यह अत्यधिक प्रभावी है।
  • बुखार में उलटी आती ही, ती इसका सेवन करके देखें।
  • यह खांसी और ठंड से राहत प्रदान करने के लिए भी किया जाता है।

पारिजात के आयुर्वेदिक गुण और कर्म

पारिजात को हरसिंगार, शेफालिका,शिवुली, हरसिंगार, पारिजात, आदि नामों से जानते हैं। यह एक औषधीय वनस्पति हैं और बुखार, कफ, मधुमेह, और आर्थराइटिस तथा अन्य वात रोगों में लाभप्रद है।

पारिजात स्वाद में तिक्त है। तिक्त रस, वह है जिसे जीभ पर रखने से कष्ट होता है, अच्छा नहीं लगता, कड़वा स्वाद आता है, दूसरे पदार्थ का स्वाद नहीं पता लगता, जैसे की नीम, कुटकी। यह स्वयं तो अरुचिकर है परन्तु ज्वर आदि के कारण उत्पन्न अरुचि को दूर करता है। यह कृमि, तृष्णा, विष, कुष्ठ, मूर्छा, ज्वर, उत्क्लेश / जी मिचलाना, जलन, समेत पित्तज-कफज रोगों का नाश करता है। यह क्लेद/सड़न, मेद, वसा, चर्बी, मल, मूत्र को सुखाता है। यह पाक में लघु, बुद्धिवर्धक, शीतवीर्य, रूक्ष, दूध को शुद्ध करने वाला और गले के विकारों का शोधक है। तिक्त रस के अधिक सेवन से धातुक्षय और वातविकार होते हैं।

यह उष्ण वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत।

उष्ण वीर्य औषधि वात, और कफ दोषों का शमन करती है। यह शरीर में प्यास, पसीना, जलन, आदि करती हैं। इनके सेवन से भोजन जल्दी पचता (आशुपाकिता) है।

  • रस (taste on tongue): तिक्त/कड़वा
  • गुण (Pharmacological Action): लघु/हल्का, रुक्ष/सुखाने वाला
  • वीर्य (Potency): उष्ण / गर्मी बढ़ाने वाला
  • विपाक (transformed state after digestion):कटु/तीखा

प्रधान कर्म

  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे। antihydropic
  • श्लेष्महर: द्रव्य जो चिपचिपे पदार्थ, कफ को दूर करे।
  • रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।
  • विषहर : द्रव्य जो विष के प्रभाव को दूर करे।

पारिजात क्वाथ के चिकित्सीय उपयोग Uses of Parijaat Kwath

  • आर्थराइटिस
  • गठिया
  • जोड़ों का दर्द
  • जोड़ों में सूजन
  • डायबिटीज
  • डायबिटीज से फोड़े
  • पुराना बुखार
  • पेशाब रोग
  • बार बार आने वाला बुखार
  • बुखार में उलटी
  • विषम ज्वर
  • शरीर में सूजन
  • साइटिका
  • सिरदर्द

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Parijaat Kwath

  • 1 चम्मच या 5 ग्राम, काढ़े का पाउडर लें।
  • इसे 200 मिलीलीटर पानी में उबाल लें।
  • जब पानी की 50 मिलीलीटर बचे, स्टोव बंद करें।
  • इसे छान लें।
  • इसे नाश्ते और रात के भोजन करने से पहले लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

पारिजात क्वाथ के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • यह पित्त को बढ़ाता है।

पारिजात क्वाथ के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

पारिजात क्वाथ को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • इस जड़ी बूटी का कोई ज्ञात चेतावनी या मतभेद नहीं है।

ओबिटापा जूस Obitapa Juice Detail and Uses in Hindi

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ओबिटापा जूस, बेसिक आयुर्वेद की हर्बल वेजीटेरियन दवाई है जिसे वज़न कम करने के लिए बनाया गया है। इसमें विजयसार, अनानास, नींबू, खीरे, काली मिर्च, आदि हैं।

मोटापे के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि बहुत भोजन करना, वसायुक्त भोजन अधिक खाना, मेटाबोलिस्म का कम हो जाना, और अनियमित खाने की आदत आदि। यदि एक दिन में ली गई कैलोरी, खर्च नहीं होती तो अत्यधिक कैलोरी वसा में परिवर्तित हो जाती है और बाद में उपयोग के लिए संग्रहीत होती है। ओबिटापा फैट कटर रस, मूल रूप से वजन घटाने के लिए बना है। यह पूरी तरह हर्बल औषधीय है जो प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और अवयवों से बना है। यह उत्पाद वजन कम करने में मदद करता है स्वाभाविक रूप से यह मुख्यतः पाचन तंत्र पर काम करता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Obitapa Juice (Basic Ayurveda) is Herbal Juice. It is indicated in obesity. Basic Ayurveda Obitapa Fat Cutter Ras is basically made for weight loss.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: ओबिटापा जूस Basic Ayurveda Obitapa Fat Cutter Ras
  • निर्माता: Basic Ayurveda
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: वज़न कम करना
  • मुख्य गुण: एंटी ओबेसिटी
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें
  • मूल्य MRP: 500 ml की एक बोतल की कीमत ₹200 है।

ओबिटापा जूस के घटक Ingredients of Obitapa Juice

  • प्रत्येक 10 ml में
  • विजय सार स्टेम वुड 100 mg
  • अनानास जूस 600 mg
  • नींबू रस 100 mg
  • अपामार्ग 60 mg
  • खीरा जूस 100 mg
  • कालीमिर्च 40 mg

सिट्रिक एसिड (पीएच स्टेबलाइज़र 0।1 % से कम), सोडियम बेन्जोएट, Potassium sorbate as preservative

पोटेशियम सोर्बेट

पोटेशियम सोर्बेट एक रासायनिक योजक है। इसे खाद्य पदार्थों, पेय पदार्थों और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में एक संरक्षक के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह सोर्बिक एसिड और पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड के कृत्रिम रूप से निर्मित एक गंधहीन और बेस्वाद नमक है।

पोटेशियम सोरबेट, मोल्ड, खमीर और कवक के विकास को रोक, खाद्य पदार्थों के शैल्फ जीवन को बढ़ाता है। यह फ़्रांस में 1850 के दशक में खोजा गया था। पिछले पचास वर्षों से इसकी सुरक्षा और परिरक्षक के रूप में उपयोग किया गया है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के रूप में आम तौर पर सुरक्षित जब उचित उपयोग यह मान्यता देते हैं। मनुष्य के लिए अधिकतम स्वीकार्य दैनिक सेवन की मात्रा प्रति दिन 25 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम (मिलीग्राम प्रति किलो) शरीर का वजन है। 70 किलो के वयस्क के लिए, प्रतिदिन 1,750 मिलीग्राम लिया जा सकता है।

  • कुछ लोगों को खाद्य पदार्थों में पोटेशियम सोर्बेट पर एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है ये एलर्जी दुर्लभ हैं।
  • अपने खाद्य भोजन के संघटक लेबल को सावधानी से पढ़ें। इसमें क्या है, इसके बारे में सावधान रहें। भले ही पोटेशियम सोरबेट और अन्य एडिटिव्स को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कम से कम प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाएं।
  • यदि आपको लगता है कि आपको पोटेशियम सोर्बेट से एलर्जी है, तो देखें कि क्या एलर्जी की प्रतिक्रियाएं दूर हो जाती हैं जब आप उपभोग को बंद कर देते हैं।

ओबिटापा जूस के लाभ/फ़ायदे Benefits of Obitapa Juice

  • यह वजन कम करने में मदद करता है।
  • यह प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।
  • यह एंटीऑक्सिडेंट है।
  • यह त्वचा को हाइड्रेट करता है।
  • यह वजन घटाने में मदद करता है।
  • इसमें विजय सार है जो शुगर लेवल कम करता है।

ओबिटापा जूस के चिकित्सीय उपयोग Uses of Obitapa Juice

  • पेट वसा कम करें Reduce belly fat
  • अतिरिक्त वसा कम करें Reduce extra fat
  • मोटापा में उपयोगी Useful in obesity
  • प्रतिरक्षा बढ़ाने Boost immunity
  • पाचन में सुधार Improve digestion
  • त्वचा स्वास्थ्य Rejuvenates skin
  • रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित करें Control blood sugar level

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Obitapa Juice

  • इसे 30 ml से 60 ml की मात्रा में दिन में एक या दो बार लें।
  • इसे पानी के साथ मिला कर भी ले सकते हैं।
  • इसे भोजन करने के पहले लें।

ओबिटापा जूस के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह शुगर कम कर सकता है।

ओबिटापा जूस के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

ओबिटापा जूस को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था के दौरान न लें।
  • डॉक्टर से परामर्श के बिना कोई आयुर्वेदिक दवाइयां नहीं लें।

गुलाब जल Rose Water Uses, Benefits, Side Effects, Warnings in Hindi

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गुलाब जल, का इस्तेमाल चेहरे की देखभाल के लिए किया जाता है। इसे त्वचा टोनर या फेस पैक में मिलाकर इस्तेमाल करते हैं। इसमें रूई भिगोकर चेहरे की सफाई की जाती है। बेसन या मुल्तानी मिट्टी में मिलकर इसका पेस्ट बनाया जाता है जिसे चेहरे पर लगाने से चेहरे की सफाई होती है। मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर इसे लगाने से चेहरे से अतिरिक्त तेल, सेबम हटता है जबकि ग्लिसरीन में मिलाकर लगाने से त्वचा का ड्राईनेस दूर होता है। चेहरे पर दाग धब्बे हैं तो गुलाब जल को नींबू के रस में मिलाकर लगा सकते हैं। गुलाब जल की कुछ बूंदे दिन में 2-3 बार आँखों में डाली जाती हैं. इससे आँखे साफ़ होती हैं और आराम मिलता है। गुलाब जल के अनेकों प्रयोग हैं।

gulabjal

एंटीसेप्टिक, एंटीइन्फ्लेमटरी और कूलिंग गुणों होने के कारण इसे आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है।

गुलाब जल या रोज़ वाटर होता क्या है?

  • गुलाब जल, गुलाब की पंखुड़ियों के भाप के साथ आसवन कराने से मिलता है। It is the hydrosol portion of the distillate of rose petals, a by-product of the production of rose oil for use in perfume.
  • यह गुलाब की पंखुड़ियों की तरह सुगन्धित होता है। गुलाब जल हजारों सालों से इस्तेमाल होता आया है। इसे सौंदर्य उत्पादों, खाद्य और पेय उत्पादों में उपयोग किया जाता है। गुलाब जल में 10 से 50 प्रतिशत के बीच गुलाब का तेल होता है।
  • रोज़ वाटर बनाने के लिए गुलाब की पंखुड़ियों और पानी को समान मात्रा में मिलाकर गर्म करते हैं। इससे जो भाप बनती है उसे इकठ्ठा कर लिया जाता है। यह भाप ठंडे होने पर रोज़ वाटर या गुलाब जल कहलाती है।

क्या गुलाब जल पीने के लिए सुरक्षित है?

हाँ, पर प्रोडक्ट के लेबल पर देख लें।

गुलाब जल में एंटीऑक्सिडेंट, एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी एजिंग, एंटीसेप्टिक और लेक्सेटिव गुण हैं। इसे पीने से अपसेट पट पेट और कब्ज जैसी पाचन समस्याओं से राहत मिलती है।

गुलाब जल के क्या लाभ हैं?

What are the Health Benefits of Rose Water?

  • गुलाब जल में ताजगी देने, सूजन कम करने, ठंडक देने और त्वचा की लाली को कम करने के गुण हैं।
  • इसे मुँहासों, चमड़ी सूजन और एक्जिमा आदि में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह रोमछिद्रों में जमा हुए तेल और गंदगी को दूर करने में सहायक है।
  • रोज वाटर में एंटीसेप्टिक और जीवाणुरोधी गुण हैं जो घावों को तेजी से ठीक करने में मदद कर सकते हैं। इन गुणों के कारण इसे चोट और जलन के संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है।

गुलाबजल का त्वचा के लिए फायदे

  • गुलाब जल हजारों सालों के लिए एक सौंदर्य उत्पाद के रूप में उपयोग किया गया है, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि यह आपके रंग को बेहतर बना सकता है और त्वचा की लाली को कम कर सकता है।
  • त्वचा की जलन को कम करने में मदद करता है।
  • गुलाब जल की खासीयत है कि इस का प्रयोग हर प्रकार की स्किन यहां तक कि सेंसेटिव स्किन पर भी किया जा सकता है
  • जीवाणुरोधी गुण मुँहासे को कम करने में मदद कर सकते हैं जबकि सूजन कम करने के गुण त्वचा की लाली और पफिनेस को कम कर सकते हैं
  • त्वचा शरीर में सबसे बड़ा अंग है और यूवी विकिरण, रसायनों और अन्य भौतिक प्रदूषक के खिलाफ एक बाधा के रूप में कार्य करता है। गुलाब जल में एंटीऑक्सिडेंट के रूप में त्वचा को हो सकने वाले नुकसान के खिलाफ कोशिकाओं की रक्षा करता है।
  • गुलाब जल में एंटीइन्फ्लेमटरी गुण हैं। यह सूजन, जलन, और रैश आदि पर लगाने पर ठंडक और आराम देता है।
  • गुलाब जल को बिना साइड इफेक्ट के इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • गुलाब जल में कई शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो कि कोशिकाओं को नुकसान से बचा सकते हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि इन एंटीऑक्सिडेंट्स में संभावित लिपिड पेरोक्साइडेशन को कम करने के प्रभाव हैं। परिणामस्वरूप यह शक्तिशाली सेल सुरक्षा प्रदान करता है।
  • यह त्वचा को ठंडक देने और लालिमा को कम करने में मदद कर सकता है, साथ ही लाइनों और झुर्रियों की उपस्थिति को कम करके, एक एंटी एजिंग उत्पाद के रूप में कार्य करता है।
  • गुलाब के पानी में एंटीसेप्टिक और जीवाणुरोधी गुण होते हैं। यह घावों को तेज़ी से ठीक करने में मदद करता है। इसे जलने, कटने और खुरचने पर लगा सकते हैं,

गुलाब जल आँखों के लिए फायदेमंद

गुलाब जल में शक्तिशाली एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो संक्रमण को रोक और इलाज कर सकते हैं। इसके कारण, गुलाब के पानी को अक्सर विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक और औषधीय उपचारों में शामिल किया जाता है।

गुलाबजल डालने से आंखें स्वस्थ रहती है। एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि जब गुलाब का पानी आंखों में इस्तेमाल किया गया था नेत्रश्लेष्मलाशोथ के मामलों का इलाज करने के लिए, इसकी एंटीसेप्टिक और एनाल्जेसिक गुणों ने नेत्र रोग के उपचार में मदद की। गु

  • लाब जल को ऑय ड्राप की तरह आंख की समस्याओं में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • ऑख में गुलाब जल का प्रयोग करने से ऑख की तकलीफ दूर होकर स्वच्छ व साफ होती है। गुलाब जल ऑखों को शीतलता प्रदान करता है। गुलाब जल का प्रयोग निम्न में मदद कर सकता है :
  • आँख आना conjunctivitis
  • कंज़ेक्टिव एक्सरेसिज़िस या सूखी आँख conjunctival xerosis or dry eye
  • तीव्र डाइक्रोसाइटिसिटिस acute dacryocystitis
  • अपक्षयी स्थितियां degenerative conditions, such as pterygium or pinguecula
  • मोतियाबिंद cataracts

गुलाब जल की कुछ बूंदे नियमित आँखों में डाली जा सकती हैं।

गुलाबजल के अन्य उपयोग

श्वसन

  • इसके ठंडक देने और एंटीइन्फ्लेमटरी गुण के कारण गुलाब जल को गले में खराश के इलाज के लिए लिया जा सकता है।
  • इसके अलावा, एक अध्ययन से पता चला है कि यह गले में मांसपेशियों को रिलैक्स कर सकता है।
  • इसके एंटीसेप्टिक गुणों के कारण यह संक्रमण को रोकने और उपचार करने के लिए यह उपयोगी साबित हुआ। है। हालांकि इसकी प्रभावशीलता को साबित करने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता है, इसके समर्थन के लिए ठोस वास्तविक साक्ष्य हैं और इसका प्रयास करने में बहुत कम जोखिम है।

दिमाग

गुलाब जल वाष्पों का साँस लेना पारंपरिक रूप से किसी व्यक्ति के मनोदशा को सुधारने के लिए इस्तेमाल जाता है। तरल भी मौखिक रूप से लिया जा सकता है। अनुसंधान ने दिखाया है कि गुलाब जल में एंटीडिप्रेंसेंट और एंटी-एंग्जायटी गुण हैं।

यह कई मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का इलाज करने के लिए उपयोग किया गया है जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • डिप्रेशन
  • तनाव
  • एंग्जायटी

अन्य चिकित्सा मामलों में, गुलाब का पानी डिमेंशिया और अल्जाइमर रोग जैसी स्थितियों के उपचार में लाभकारी माना जाता है।

सिर दर्द से राहत

यह सिर दर्द और माइग्रेन के इलाज में भी मदद कर सकता है। सिरदर्द को राहत देने में मदद करने के लिए रोज़ वाटर और रोज एसेंशियल आयल का इस्तेमाल आम तौर पर अरोमाथेरेपी में किया जाता है। एक अध्ययन में पाया गया कि गुलाब के पानी का वाष्प सिरदर्द को कम कर सकता है।

पाचन

  • गुलाब जल का पाचन तंत्र पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। यह पेट की सूजन और अपसेट पेट सहित सामान्य शिकायतों के लक्षणों में मदद करता है।
  • गुलाब जल विरेचक के रूप में भी काम करता है। यह मल में पानी की मात्रा और शौचालय जाने की आवृत्ति दोनों में वृद्धि कर सकता है, जिससे यह कब्ज के लिए अच्छा इलाज हो सकता है।

गुलाब जल कैसे इस्तेमाल करें?  गुलाब जल का उपयोग कैसे करे?

आप आसानी से मार्केट से या ऑनलाइन गुलाब जल खरीद सकते हैं। आप इसे त्वचा पर सीधे लगा सकते हैं, या नारियल तेल जैसे प्राकृतिक तेलों या मॉइस्चराइजर्स के साथ मिक्स कर सकते हैं।

फेस पैक में

इसे फेस फैक में मिलाकर भी चेहरे पर लगा सकते हैं।

टोनर

गुलाबजल एक नैसर्गिक टोनर है। इसे चेहरे की सफाई या टोनर के रूप में रूई पर लगाकर प्रयोग करें। ठन्डे गुलाब जल को एक नरम कॉटन बॉल में अब्सोर्ब करें और त्वचा पर लगायें।

त्वचा की देखभाल

  • 1 चम्मच नींबू का रस 1 बड़ा चम्मच पानी के साथ मिलाएं। इससे त्वचा साफ़ करें और इसे 30 मिनट तक रहने दें। इससे त्वचा साफ़ होगी और चमाक आएगी।
  • चेहरे को साफ़ करने के बाद रोज़ वाटर से चेहरा रिंज करें।
  • रोज़ वाटर स्प्रे बोतल में डालें और चेहरे पर स्प्रे करें।
  • कच्चे दूध का फेस मास्क बनाने के लिये 3/2 चम्मच बेसन के साथ कच्चा दूध मिलाएं। उसमें कुछ बूँद शहद और गुलाब जल की डालें। इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिक्स कर के चेहरे पर 10 मिनट तक लगाए रखें और फिर हल्के गरम पानी से धो लें।

ग्लिसरीन और गुलाब जल

ग्लिसरीन में रोज़ वाटर मिलाकर ड्राई, थिक और खुजली वाली त्वचा पर लगाएं। इसे ड्राईनेस दूर होगी।

होठों की देखभाल

शहद के कुछ बूंदों के साथ गुलाब जल की बूंद मिलाकर इसे अपने होंठ पर लागू करें। दिन में यह तीन या चार बार करें।

आंतरिक प्रयोग

आंतरिक प्रयोग के लिए उपयुक्त रोज़ वाटर को आप चाय बनाने के लिए उपयोग कर सकते हैं। यह आंतरिक रूप से शरीर को हाइड्रेशन, त्वचा लाभ देती है और पाचन की दिक्कतों का इलाज करता है।

गुलाब जल को लेने में क्या सावधानियां ज़रूरी हैं? गुलाब जल के नुकसान क्या हैं?

  • गुलाब जल सुरक्षित माना जाता है।
  • इसका उपयोग करने के लिए कोई भी ज्ञात जोखिम नहीं है।
  • इसका एकमात्र अपवाद है, अगर आपको इस के अंदर पाए जाने वाले किसी भी पदार्थ के एलर्जी हो।
  • बाहरी इस्तेमाल में किसी सावधानी की ज़रुरत नहीं है।

उपलब्धता

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

गुलाब जल निम्न कम्पनियों द्वारा निर्मित है:

  • Patanjali Divya Gulab Jal 120 ml @ Rs. 30.00
  • Dabur Gulabari Rose Water, 250ml @ Rs. 68.00
  • Dabur Gulabari Premium Rose Water (Skin Toner) – 120 ml @ Rs. 45.00
  • Khadi Rose Water – Herbal Skin Toner & Natural Cleanser Gulab Jal – 210 ml @ Rs. 150.00
  • VLCC Rose Water Toner तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

पतंजलि गिलोय आंवला रस Giloy Amla Juice Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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गिलोय आंवला रस Giloy Amla Juice in Hindi पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित है। इसे आंवले के रस और गिलोय के तने के रस से बनाया गया है।

यह एक हेल्थ सप्लीमेंट की तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे किसी रोग में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए, बुखार, क्रोनिक बीमारियों आदि में ले सकते हैं। इसे ऐसे भी स्वास्थ्य को ठीक रखने और रोगों को नहीं होने देने के लिए दैनिक पी सकते हैं।

इसमें गिलोय और आंवले का रस है और दोनों ही आयुर्वेद की रसायन औषधियां है। रसायन औषधियों को लेने का शरीर पर आमतौर पर कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं देखा जाता।

गिलोय (टिनोस्पोरा कोर्डिफोलिया) आयुर्वेद की बहुत ही मानी हुई औषध है। इसे गुडूची, गुर्च, मधु]पर्णी, टिनोस्पोरा, तंत्रिका, गुडिच आदि नामों से जाना जाता है। यह एक बेल है जो सहारे पर कुंडली मार कर आगे बढती जाती है। इसे इसके गुणों के कारण ही अमृता कहा गया है। यह जीवनीय है और शक्ति की वृद्धि करती है। इसे जीवन्तिका भी कहा जाता है।

दवा के रूप में गिलोय के अंगुली भर की मोटाई के तने का प्रयोग किया जाता है। जो गिलोय नीम के पेड़ पर चढ़ कर बढती है उसे और भी अधिक उत्तम माना जाता है। इसे सुखा कर या ताज़ा ही प्रयोग किया जा सकता है। ताज़ा गिलोय को चबा कर लिया जा सकता है, कूंच कर रात भर पानी में भिगो कर सुबह लिया जा सकता है अथवा इसका काढ़ा बना कर ले सकते है। गिलोय वात-पित्त और कफ का संतुलन करने वाली दवाई है। यह रक्त से दूषित पदार्थो को नष्ट करती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। यह एक बहुत ही अच्छी ज्वरघ्न है और वायरस-बैक्टीरिया जनित बुखारों में अत्यंत लाभप्रद है। गिलोय के तने का काढ़ा दिन में तीन बार नियमित रूप से तीन से पांच दिन या आवश्कता हो तो उससे अधिक दिन पर लेने से ज्वर नष्ट होता है। किसी भी प्रकार के बुखार में लीवर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में गिलोय का सवेन लीवर की रक्षा करता है। यदि रक्त विकार हो, पुराना बुखार हो, यकृत की कमजोरी हो, प्रमेह हो, तो इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए

आयुर्वेद के अनुसार आंवला का सेवन करने से शरीर का कायाकल्प हो जाता है और शरीर की धातुएं पुष्ट हो जाती हैं। यह रसायन कहा जाता है और विटामिन सी का बहुत अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही, इसमें खनिज, पॉलीफेनोल, लोहा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर भी शामिल हैं। यह शरीर में जलन, सनसनी, और पित्त संबंधी पाचन संबंधी समस्याएं में फायदेमंद है। यह शरीर में गर्मी को कम करता है और नकसीर फूटना, ब्लीडिंग डिसऑर्डर और पेट के अल्सर में फायदा करता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Giloy Amla Juice (Patanjali) is Herbal Ayurvedic medicine containing Amla Juice and Giloy stem extract as active ingredients. It is indicated in treatment of chronic fever, viral infections, cancer, diabetes, inflammation, immunomodulatory and psychiatric conditions, osteoporosis, arthritis, blood disorders, jaundice, anxiety, respiratory problems, musculo-skeletal disorders etc. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: दिव्य पतंजलि गिलोय आंवला रस Giloy Amla Juice
  • निर्माता: Patanjali Divya Pharmacy
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल हेल्थ सप्लीमेंट
  • मुख्य उपयोग: बुखार, इम्युनिटी बढ़ाना, लीवर फंक्शन ठीक करना, रोगों से बचाव
  • मुख्य गुण: एंटीऑक्सीडेंट, सूजन दूर करना, एंटीबैक्टीरियल
  • दोष इफ़ेक्ट: वात-पित्त-कफ का संतुलन करना
  • मूल्य MRP: 1 Bottle of 500 ml @ Rs. 90.00

गिलोय आंवला रस के घटक Ingredients of Giloy Amla Juice

प्रत्येक 10 मिलीलीटर में Each 10 ml contains

  • गिलोय के तने का जूस Giloy stem juice (Tinospora cordifolia) 5.9 ml
  • आंवला के फल का जूस Amla Fruit juice (Emblicao fficinalis) 4.0 ml
  • पोटैशियम सोर्बेट Potassium Sorbate (Food Grade)
  • सोडियम बेन्जोएट Sodium Benzoate (Food Grade)

सोडियम बेंजोएट क्या है?

सोडियम बेंजोएट का रासायनिक सूत्र NaC7H5O2 है । इसे E211 से दिखाते हैं और यह एक व्यापक रूप से इस्तेमाल खाद्य परिरक्षक है। यह बेंज़ोइक एसिड का सोडियम नमक है। यह benzoic एसिड के साथ सोडियम हाइड्रॉक्साइड प्रतिक्रिया द्वारा उत्पादित किया जा सकता है । सोडियम बेंजोएट, भोज्य पदार्थ में कवक नही पैदा होने देता। यह कवक से आक्रमण से खाद्य पदार्थों की रक्षा करता है। कवक या फंगस के कारण भोजन खराब हो जाता है।

सोडियम बेंजोएट के सामान्य रूप से रिपोर्ट किए गए साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं, संक्रमण, श्वसन पथ की बीमारी, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की बीमारी, लसीका तंत्र के विकार, हेमटोलोगिक रोग, पोषण विकार और उल्टी।

अपने चिकित्सक से सोडियम बेंजोएट के बारे में बात करें, खासकर यदि आप बहुत से खाद्य पदार्थों और पेय का उपभोग करते हैं जिसमें सोडियम बेंजोएट डाला गया है।

गिलोय आंवला रस के लाभ/फ़ायदे Benefits of Giloy Amla Juice

गिलोय-आंवला जूस, में गिलोय के तने का जूस और आंवले का रस है. इसे दैनिक पीने से दोनों के हो लाभ शरीर क मिलते हैं. नीचे गिलोय और आंवले के रस के लाभ दिए गए है:

गिलोय रस के फायदे Health Benefits of Giloy/Tinospora Juice in Hindi

  • इसमें एंटी-एजिंग गुण होते हैं जो कि डार्क स्पॉट, लाइनों और झुर्रियों को कम करने में मदद करते हैं ।
  • गिलोय किसी भी कारण से होने वाले बुखार में लाभप्रद है। यह पुराने बुखार में विशेष रूप से फायदा करती है।
  • यह बार आने वाले आवर्तक बुखार में बहुत लाभप्रद है। यह डेंगू, स्वाइन फ्लू और मलेरिया जैसी कई खतरनाक स्थितियों के लक्षणों को कम करने में मददगार है।
  • गिलोय में खून को साफ़ करने के गुण है। साथ ही यह लीवर के सही से काम करने में सहयोगी है। इसलिए यह हर प्रकार की त्वचा रोगों में लाभप्रद है। यह एक्ने, पिम्पल, एक्जिमा आदि में फायदा करती है।
  • यह इंसुलिन के उत्पादन में मदद करती है और ग्लूकोज को जलाने की क्षमता बढ़ाती है। यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करती है।
  • यह गाउट, गठिया, संधिशोथ के प्रबंधन में सहायक है।
  • यह गैस्ट्रो-आंत्र विकार जैसे अपच, एसिड अपच, गैस्ट्रिटिस आदि के लिए काफी प्रभावी है।
  • यह छाती की जकड़न, सांस की कमी, खाँसी, घरघराहट, आदि में लाभप्रद है।
  • यह पाचन में सुधार लाने और आंत्र संबंधी रोगों का इलाज करने में बहुत फायदेमंद है । आंवले के साथ इसका सेवन कब्ज से राहत देता है।
  • यह मानसिक तनाव को कम करने और चिंता को कम करने में मदद करती है।
  • यह मूत्र रोगों में लाभप्रद है। इसे सभी प्रकार के मूत्र संक्रमणों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • यह यकृत, गुर्दा और हृदय की रक्षा करने वाली लता है।
  • यह लीवर की रक्षा करने वाली और लीवर रोगों में लाभप्रद औषध है। यह इनफ़ेक्टिव हेपेटाइटिस, स्पलेनोमेगाली में और सिफलिस आदि में लाभप्रद है ।
  • यह विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करती है।
  • यह शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाती है। यह शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में सहायता करती है । यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है और और शरीर को फ्री रेडिकल डैमेज से बचाती है।
  • यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने, रक्त को शुद्ध करने, बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
  • यह स्मृति को बढ़ाती है।
  • यह हड्डियों, फेफड़े, आंतों, रक्त विकारों, आंतरायिक बुखार और यकृत के रोगों के संक्रामक रोगों को ठीक करने में मदद करती है।
  • यह हाइपोग्लाइकेमिक है और मधुमेह (विशेषकर टाइप 2 डायबिटीज़) का इलाज करने में मदद करती है। गिलोय का रस ब्लड शुगर के उच्च स्तर को कम करने में मदद करती है।
  • सूजन को कम करने के गुण के कारण इसे श्वसन समस्याओं जैसे कफ, सर्दी, टॉन्सिल, रुमेटी गठिया, गठिया आदि में इस्तेमाल करते हैं।

आंवला रस के फायदे Health Benefits of Amla/ Indian Gooseberry Juice in Hindi

  • इसमें नमकीन के अलावा सभी स्वाद है। यह मुख्य रूप से खट्टा, कड़वा, कसैला है। यह सभी दोष को शांत करता है, लेकिन मुख्यतः पित्त और वात कम करता है।
  • इसमें रेचक गुण हैं और कब्ज में राहत देता है।
  • इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट की उच्च मात्रा होती है।
  • इसके एंटीऑक्सीडेंट का उच्च स्तर कैंसरजन्य कोशिकाओं के विकास को रोकता है।
  • इसमें आवश्यक पोषक तत्व और विटामिन सी हैं जो पूरे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहयोगी है।
  • इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट्स हैं, जिससे यह त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। यह कोलेजन उत्पादन उत्तेजक द्वारा त्वचा दृढ़ता पुनर्स्थापित करता है।
  • इससे पीने से शरीर में ठंडक आती है।
  • पित्त को शांत करने और ठंडा करने के गुणों कारण अम्लता में राहत देता है।
  • यह एंटीऑक्सिडेंट है।
  • यह ओज बढ़ा देता है।
  • यह गैस्ट्रिटिस, अपच, अम्लता, पेप्टिक अल्सर, सामान्य दुर्बलता, कब्ज, हाइपरकोलेस्ट्रोलाइमिया, बुखार, हेपेटाइटिस, रक्तस्राव, त्वचा की समस्याएं, मूत्र संबंधी समस्याओं, सिरदर्द, आंत्र समस्याओं, छाती में संक्रमण और अस्थमा में लाभप्रद है।
  • यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को साफ रखने के द्वारा स्वस्थ आंत्र आंदोलन को सहायता करता है।
  • यह चयापचय को बढ़ाता है, और मोटापे में लाभप्रद है।
  • यह तंत्रिका स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और संज्ञानात्मक कार्य में सुधार, एकाग्रता और स्मृति में वृद्धि करता है। यह डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों को रोकने में मदद करता है।
  • यह नेत्र स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह आंख की दृष्टि में सुधार करता है। आंवला में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट आंखों के रेटिना को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं, मोतियाबिंद के जोखिम को कम करते हैं।
  • यह पाचन तंत्र में सुधार लाने में मदद करता है और संपूर्ण अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
  • यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाता है।
  • यह बालों और चमड़ी के स्वास्थ्य को बेहतर कर सकत है।
  • यह यूरिक एसिड को कम करने में मदद करता है।
  • यह रक्त में सीरम कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी मदद करता है।
  • यह लोहे के अवशोषण में माद करता है।
  • यह शरीर की सप्तधातु में वृद्धि करता है।
  • यह शरीर में गर्मी को कम करता है।
  • यह शरीर से विषाक्त पदार्थों और हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
  • यह श्वसन संबंधी विकारों, सर्दी, खाँसी, फ्लू और गले के संक्रमण को कम करने में लाभप्रद है।
  • यह सिर के दर्द, नींद नहीं आना, स्ट्रेस, और अन्य मानसिक समस्याओं में लाभप्रद है।
  • यह स्ट्रेस को कम करता है।
  • यह हड्डियों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है।
  • यह हृदय के लिए अच्छा है। यह हृदय को रक्त प्रवाह की रुकावट को रोकता है, खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है, कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है।

गिलोय आंवला रस के चिकित्सीय उपयोग Uses of Giloy Amla Juice

  • आर्थराइटिस arthritis
  • इम्युनिटी की कमी Lack of immunity
  • इम्युनोमोडायलेटरी और मनश्चिकित्सीय स्थितियों Immunomodilatory and psychiatric conditions
  • एनीमिया खून की कमी Anemia loss of blood
  • एसिडिटी acidity
  • ऑस्टियोपोरोसिस Osteoporosis
  • कंडू, खुजली, त्वचा समस्याएं Kundu, Itching, Skin Problems
  • कम भूख लगना Less hungry
  • कामला, लीवर के रोग, लीवर फंक्शन ठीक नहीं होना Kamala, liver disease, liver function is not cured
  • कैंसर Cancer
  • खालित्य (गंजापन) Alopecia (baldness)
  • गठिया Arthritis
  • गाउट Gout
  • चिंता anxiety
  • डायबिटीज Diabetes
  • तिमिर Timir
  • त्वचा रोग skin disease
  • नेत्र सम्बंधित सभी रोग Eye related diseases
  • पलित (असमय सफ़ेद होना) Wretched (uneven white)
  • पीलिया jaundice
  • पुराना बुखार Old fever
  • बालों का गिरना Hair fall
  • बुखार fever
  • यौन दुर्बलता Sexual debilitation
  • रक्त विकार blood disorder
  • रक्तस्राव Bleeding
  • लीवर के रोग Lever disease
  • वायरल संक्रमण Viral infection
  • विटामिन सी की कमी Vitamin C deficiency
  • विषमज्वर dengue, chikungunya, viral fever
  • श्वसन समस्या Respiratory problem
  • सूजन वाले रोग inflammatory diseases
  • स्वास्थ्य को सही बनाए रखना Maintaining health right

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Giloy Amla Juice

  • इसे खाली पेट लें।
  • इसे लेने की मात्रा 15-30 ml है।
  • इसे पानी के साथ मिलाकर दिन में २-३ बार ले सकते हैं।
  • स्वादिष्टता बढ़ाने के लिए थोड़ा नींबू का रस और शहद मिला सकते हैं।

गिलोय आंवला रस के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • गिलोय लेने का कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं हैं क्योंकि यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित हर्बल है।
  • कुछ मामलों में – गिलोय और आंवले का उपयोग निम्न रक्त शर्करा के स्तर का कारण हो सकता है। इसलिए यदि आप मधुमेह और दीर्घकालिक आधार पर गिलोय और आंवले का उपभोग कर रहे हैं, तो नियमित रूप से आपके रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें।

गिलोय आंवला रस के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

गिलोय आंवला रस को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

पतंजलि आंवला स्वरस Amla Juice Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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पतंजलि आंवला स्वरस Amla Juice in Hindi पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित है। इसमें आंवले का जूस या रस है। यह एक हेल्थ सप्लीमेंट की तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे किसी रोग में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए, बुखार, क्रोनिक बीमारियों आदि में ले सकते हैं। इसे ऐसे भी स्वास्थ्य को ठीक रखने और रोगों को नहीं होने देने के लिए दैनिक पी सकते हैं। यह आंवले का रस है और आंवला आयुर्वेद की रसायन औषधि है। रसायन औषधियों को लेने का शरीर पर आमतौर पर कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं देखा जाता।

आयुर्वेद के अनुसार आंवला का सेवन करने से शरीर का कायाकल्प हो जाता है और शरीर की धातुएं पुष्ट हो जाती हैं। यह रसायन कहा जाता है और विटामिन सी का बहुत अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही, इसमें खनिज, पॉलीफेनोल, लोहा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर भी शामिल हैं। यह शरीर में जलन, सनसनी, और पित्त संबंधी पाचन संबंधी समस्याएं में फायदेमंद है। यह शरीर में गर्मी को कम करता है और नकसीर फूटना, ब्लीडिंग डिसऑर्डर और पेट के अल्सर में फायदा करता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Amla Juice (Patanjali) is Herbal Ayurvedic medicine containing Amla Juice. It is indicated in immunodeficiency, hyperacidity, eye, skin diseases and delays ageing. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: पतंजलि आंवला स्वरस Amla Juice
  • निर्माता: Patanjali Divya Pharmacy
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: टॉनिक
  • मुख्य गुण: सप्त धातु पोषक, टॉनिक, कुलिंग
  • दोष इफ़ेक्ट: वात और पित्त को कम करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करें
  • मूल्य MRP: 1 bottle 500 ml @ Rs 55.00

पतंजलि आंवला स्वरस के घटक Ingredients of Amla Juice

Each 5 ml contains Amla Swaras (Emblica officinalis) India Gooseberry juice 5 ml.

पतंजलि आंवला स्वरस के लाभ/फ़ायदे   Health Benefits of Amla/ Indian Gooseberry Juice in Hindi

  • इसमें नमकीन के अलावा सभी स्वाद है। यह मुख्य रूप से खट्टा, कड़वा, कसैला है। यह सभी दोष को शांत करता है, लेकिन मुख्यतः पित्त और वात कम करता है।
  • इसमें रेचक गुण हैं और कब्ज में राहत देता है।
  • इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट की उच्च मात्रा होती है।
  • इसके एंटीऑक्सीडेंट का उच्च स्तर कैंसरजन्य कोशिकाओं के विकास को रोकता है।
  • इसमें आवश्यक पोषक तत्व और विटामिन सी हैं जो पूरे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहयोगी है।
  • इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट्स हैं, जिससे यह त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। यह कोलेजन उत्पादन उत्तेजक द्वारा त्वचा दृढ़ता पुनर्स्थापित करता है।
  • इससे पीने से शरीर में ठंडक आती है।
  • पित्त को शांत करने और ठंडा करने के गुणों कारण अम्लता में राहत देता है।
  • यह एंटीऑक्सिडेंट है।
  • यह ओज बढ़ा देता है।
  • यह गैस्ट्रिटिस, अपच, अम्लता, पेप्टिक अल्सर, सामान्य दुर्बलता, कब्ज, हाइपरकोलेस्ट्रोलाइमिया, बुखार, हेपेटाइटिस, रक्तस्राव, त्वचा की समस्याएं, मूत्र संबंधी समस्याओं, सिरदर्द, आंत्र समस्याओं, छाती में संक्रमण और अस्थमा में लाभप्रद है।
  • यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को साफ रखने के द्वारा स्वस्थ आंत्र आंदोलन को सहायता करता है।
  • यह चयापचय को बढ़ाता है, और मोटापे में लाभप्रद है।
  • यह तंत्रिका स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और संज्ञानात्मक कार्य में सुधार, एकाग्रता और स्मृति में वृद्धि करता है। यह डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों को रोकने में मदद करता है।
  • यह नेत्र स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह आंख की दृष्टि में सुधार करता है। आंवला में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट आंखों के रेटिना को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं, मोतियाबिंद के जोखिम को कम करते हैं।
  • यह पाचन तंत्र में सुधार लाने में मदद करता है और संपूर्ण अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
  • यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाता है।
  • यह बालों और चमड़ी के स्वास्थ्य को बेहतर कर सकता है।
  • यह यूरिक एसिड को कम करने में मदद करता है।
  • यह रक्त में सीरम कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी मदद करता है।
  • यह लोहे के अवशोषण में माद करता है।
  • यह शरीर की सप्तधातु में वृद्धि करता है।
  • यह शरीर में गर्मी को कम करता है।
  • यह शरीर से विषाक्त पदार्थों और हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
  • यह श्वसन संबंधी विकारों, सर्दी, खाँसी, फ्लू और गले के संक्रमण को कम करने में लाभप्रद है।
  • यह सिर के दर्द, नींद नहीं आना, स्ट्रेस, और अन्य मानसिक समस्याओं में लाभप्रद है।
  • यह स्ट्रेस को कम करता है।
  • यह हड्डियों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है।
  • यह हृदय के लिए अच्छा है। यह हृदय को रक्त प्रवाह की रुकावट को रोकता है, खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है, कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
  • यह अवशोषक, मूत्रवर्धक, रक्त शोधक और रसायन है।
  • यह कब्ज़, मधुमेह, जलन, पीलिया, अम्लता, विटिलिगो, रक्तपित्त,  बवासीर, कब्ज, अपच, बेस्वाद लगना, श्वसन और खांसी संबंधित समस्याओं में लाभप्रद है।
  • यह दृष्टि में सुधार करता है।
  • यह कुष्ठ रोग नियंत्रण करता है।
  • यह बुखार में लाभप्रद है।

पतंजलि आंवला स्वरस के चिकित्सीय उपयोग Uses of Amla Juice

  • इम्युनिटी की कमी Lack of immunity
  • इम्युनोमोडायलेटरी और मनश्चिकित्सीय स्थितियों Immunomodilatory and psychiatric conditions
  • एनीमिया खून की कमी Anemia loss of blood
  • एसिडिटी acidity
  • ऑस्टियोपोरोसिस Osteoporosis
  • कंडू, खुजली, त्वचा समस्याएं Kundu, Itching, Skin Problems
  • कम भूख लगना Less hungry
  • खालित्य (गंजापन) Alopecia (baldness)
  • गठिया Arthritis
  • गाउट Gout
  • चिंता anxiety
  • डायबिटीज Diabetes
  • तिमिर Timir
  • त्वचा रोग skin disease
  • नेत्र सम्बंधित सभी रोग Eye related diseases
  • पलित (असमय सफ़ेद होना) Wretched (uneven white)
  • पुराना बुखार Old fever
  • बालों का गिरना Hair fall
  • बुखार fever
  • यौन दुर्बलता Sexual debilitation
  • रक्त विकार blood disorder
  • रक्तस्राव Bleeding
  • लीवर के रोग Lever disease
  • वायरल संक्रमण Viral infection
  • विटामिन सी की कमी Vitamin C deficiency
  • विषमज्वर dengue, chikungunya, viral fever
  • श्वसन समस्या Respiratory problem
  • सूजन वाले रोग inflammatory diseases
  • स्वास्थ्य को सही बनाए रखना Maintaining health right

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Amla Juice

  • इसे लेने की मात्रा 15-20 ml है।
  • इसे पानी के साथ मिलाकर दिन में 2 बार ले सकते हैं।

पतंजलि आंवला स्वरस के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसे लेने का कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं हैं क्योंकि यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित हर्बल है।
  • कुछ मामलों में, आंवले का उपयोग निम्न रक्त शर्करा के स्तर का कारण हो सकता है। इसलिए यदि आप मधुमेह और दीर्घकालिक आधार पर आंवले का उपभोग कर रहे हैं, तो नियमित रूप से आपके रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें।

पतंजलि आंवला स्वरस के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

पतंजलि आंवला स्वरस को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

आंवला कैंडी और आंवला चटपटा कैंडी Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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आंवला कैंडी Amla Candy in Hindi पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित है। इसमें आंवला है। यह एक हेल्थ सप्लीमेंट की तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए, अपच आदि में ले सकते हैं। इसमें आंवला है जोकि आयुर्वेद की रसायन औषधि है। रसायन औषधियों को लेने का शरीर पर आमतौर पर कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं देखा जाता।

आयुर्वेद के अनुसार आंवले का सेवन करने से शरीर का कायाकल्प हो जाता है और शरीर की धातुएं पुष्ट हो जाती हैं। यह रसायन कहा जाता है और विटामिन सी का बहुत अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही, इसमें खनिज, पॉलीफेनोल, लोहा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर भी शामिल हैं। यह शरीर में जलन, सनसनी, और पित्त संबंधी पाचन संबंधी समस्याएं में फायदेमंद है। यह शरीर में गर्मी को कम करता है और नकसीर फूटना, ब्लीडिंग डिसऑर्डर और पेट के अल्सर में फायदा करता है।

आमला कैंडी और आमला चटपटा कैंडी, दो अलग प्रोडक्ट हैं। दोनों के कम्पोज़िशन में बहुत अंतर है। आमला कैंडी में आमला और चीनी है जबकि आमला चटपटा में आंवले। चीनी के साथ साथ नामक, नौसादर और मसाले हैं। आमला कैंडी का टेस्ट मीठा और कुछ कसैला है जबकि आमला चटपटा, चटपटा या स्पाइसी है।

इस हेल्थ सप्लीमेंट के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Amla Candy and Ama Chatpta (Patanjali) are Herbal Ayurvedic product prepared from Amla. It is indicated in treatment of general weakness and indigestion. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: आंवला कैंडी Amla Candy, Amla Chatpata Candy
  • निर्माता: Patanjali Divya Pharmacy
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: health supplement

मूल्य MRP:

  • DIVYA AMLA CANDY 500 gram @ Rs 140
  • DIVYA AMLA CHATPATA CANDY 500 gram @ Rs 145

आंवला कैंडी के घटक Ingredients of Amla Candy

In Each 10 grams of Amla Candy:

  • आंवला Amla Fruit Green (Emblica officinalis Gaertn.) 5.5 gram
  • चीनी Sugar 2.5 gram
  • ग्लूकोस Glucose 2.0 gram

In 100 grams of Amla Chatpata Candy:

  • आंवला Amla Fruit Green (Emblica officinalis Gaertn.) 65.00 g
  • चीनी Sugar 15.598 g
  • काला नमक Black Salt 4.166 g
  • अमचूर Dry Mango Power 3.125 g
  • सेंधा नमक Sendha Namak 2.5 g
  • पिप्पली Choti Pippali 1.664 g
  • काली मिर्च Kali Mirch 1.664 g
  • नौसादर Nausatar 1.041 g
  • काली जीरी Kali Jeri 0.832 g
  • जीरा Cumin Powder 0.832 g
  • लौंग Clove Powder 0.832 g
  • सोंठ Ginger Powder 0.416 g
  • नींबू सत् Niboo Satt 0.416 g
  • पुदीना Mint Powder 0.416 g
  • दालचीनी Dalchini Powder 0.416 g
  • जावित्री Javitri 0.416 g
  • दालचीनी Dalchini 0.312 g
  • अजवाइन Carom Powder 0.312 g
  • हींग Hing Powder 0.250 g
  • जायफल Jaayphal 0.250 g

आंवला कैंडी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Amla Candy

  • इसमें रेचक गुण हैं और कब्ज में राहत देता है।
  • इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट की उच्च मात्रा होती है।
  • इसमें आवश्यक पोषक तत्व और विटामिन सी हैं जो पूरे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहयोगी है।
  • इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट्स हैं, जिससे यह त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। यह कोलेजन उत्पादन उत्तेजक द्वारा त्वचा दृढ़ता पुनर्स्थापित करता है।
  • इससे पीने से शरीर में ठंडक आती है।
  • पित्त को शांत करने और ठंडा करने के गुणों कारण अम्लता में राहत देता है।
  • यह एंटीऑक्सिडेंट है।
  • यह ओज बढ़ा देता है।
  • आंवला गैस्ट्रिटिस, अपच, अम्लता, पेप्टिक अल्सर, सामान्य दुर्बलता, कब्ज, हाइपरकोलेस्ट्रोलाइमिया, बुखार, हेपेटाइटिस, रक्तस्राव, त्वचा की समस्याएं, मूत्र संबंधी समस्याओं, सिरदर्द, आंत्र समस्याओं, छाती में संक्रमण और अस्थमा में लाभप्रद है।
  • यह पाचन तंत्र में सुधार लाने में मदद करता है और संपूर्ण अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
  • यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाता है।
  • यह बालों और चमड़ी के स्वास्थ्य को बेहतर कर सकता है।
  • यह यूरिक एसिड को कम करने में मदद करता है।
  • यह रक्त में सीरम कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी मदद करता है।
  • यह लोहे के अवशोषण में माद करता है।
  • यह शरीर में गर्मी को कम करता है।
  • यह शरीर से विषाक्त पदार्थों और हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
  • यह श्वसन संबंधी विकारों, सर्दी, खाँसी, फ्लू और गले के संक्रमण को कम करने में लाभप्रद है।

आंवला कैंडी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Amla Candy

  • इसे खाने से आपको आंवले के लाभ मिलते हैं। आप इसे हेल्थ सप्लीमेंट की तरह से खा सकते हैं। इसको खाने से कमजोरी दूर होती है। अमला कैंडी को खाने से शरीर में ठंडक आती है और रक्त पित्त की समस्या में लाभ हो सकता है।
  • आमला कैंडी चटपटा में मसाले हैं, जैसे की पिप्पली, काली मिर्च, हींग आदि। इसमें सेंधा नमक और काला नमक भी है। इसलिए यह अपच, पाचन की कमजोरी में अधिक फायदेमंद है।

इम्युनिटी की कमी Lack of immunity

  • रक्तस्राव Bleeding
  • श्वसन समस्या Respiratory problem
  • कमजोरी
  • अपच, पाचन की कमजोरी

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Amla Candy

इसे लेने की मात्रा 5 ग्राम से 10 ग्राम है। इसे लेने का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है और इसे बच्चे भी खा सकते हैं। इसे आप दिन में कभी भी खा सकते हैं।

आंवला कैंडी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।

आंवला कैंडी को कब प्रयोग न करें Contraindications

आमला कैंडी में चीनी है इसलिए डायबिटीज में इसे नहीं खाएं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • जार खोलने के बाद 6 महीने के अंदर सेवन कर लें।

कुटकी Picrorhiza kurroa के बारे में जानकारी, उपयोग, फायदे और नुकसान

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कटुका अथवा कुटकी (पिकोरहाइज़ा कुर्रा रॉयल अन बेंथ) एक बारहमासी जड़ी बूटी है जो समशीतोष्ण जलवायु परिस्थितियों वाले अल्पाइन क्षेत्रों में पायी जाती है।

आयुर्वेद में इस औषधीय पौधे का नाम कुटका इसके अत्यंत कड़वे स्वाद के कारण है। लैटिन भाषा में इसे Picrorhiza kurroa  कहते है। Picorrhiza शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है। ग्रीक में, पिक्क्रो शब्द का अर्थ कड़वा होता है और रज्जा का मतलब जड़ है, इसलिए इस पौधे का नाम है कड़वी जड़।

पौधों के कंद को कड़वे टॉनिक की तरह यकृत विकार में प्राचीन समय से उपयोग किया जाता है। आयुर्वेदिक ग्रन्थों जैसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता और अन्य पुस्तकों में इसके उपचार में उपयोग के बारे में उल्लेख किया गया है। इसका प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में मूल रूप सेपीलिया और जिगर विकारों में होता है। कटूकी को वैज्ञानिक अध्ययनॉन के द्वारा पीलिया और संबंधित रोगों के उपचारों के लाभप्रद माना गया है। यह लीवर की रक्षा करता है और बिलीरुबिन उत्सर्जन में सुधार करता है।

कुटकी, स्वाद में बहत कड़वी है और इसे डायबिटीज, ज्वर, त्वचा विकार, लीवर रोग में अन्य द्रव्यों के साथ मिलाकर दवाओं को बनाने में प्रयोग किया जाता है।

कुटकी की सामान्य जानकारी

पिकारहाइज़ा कुर्रा रॉयल एक्स बेंथ की कंद और जड़ों को दवा की तरह इस्तेमाल करते हैं। यह पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पौधा 3000 से 5000 मीटर के बीच हिमालय में फैलता है। यह उत्तरी-पश्चिमी हिमालय, कश्मीर से सिक्किम के हिमालय में देखा जाता है। यह चट्टानी दरारों, और पहाड़ों पर और उसमें विभिन्न कार्बनिक तत्वों से समृद्ध मिट्टी में बढ़ता है। कटूकी हिमालय क्षेत्र में गढ़वाल से

कटुकी Scrophulariaceae परिवार के अंतर्गत आता है। यह बारहमासी जड़ी है। इसका पौधा एक लंबे झाड़ी है। यह 2.5 से 12 सेंटीमीटर लंबा है और 0.3 से 1 सेमी मोटे होता है। इसके फूल नीले रंग के साथ सफेद होते हैं। फूल आने की अवधि जून से अगस्त तक है।

  • वानस्पतिक नाम: Picrorhiza kurroa Royle ex Benth।
  • कुल (Family): Scrophulariaceae
  • औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: कन्द Rhizome with roots
  • पौधे का प्रकार: हर्ब
  • वितरण: अल्पाइन क्षेत्र, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, भारत, भूटान और हिमालय के क्षेत्रों में
  • पर्यावास: ठंडी जगह

कुटकी के स्थानीय नाम / Synonyms

  • संस्कृत: तिक्त, तिक्त रोहिणी, कटुरोहिणी, कवी, सुतिक्तक, कटुका, रोहिणी
  • हिन्दी: कुटकी
  • अंग्रेजी: Katuka, Picrorhiza, Hellebore
  • असमिया: Katki, Kutki
  • गुजराती: Kadu, Katu
  • कन्नड़: Katuka rohini, katuka rohini
  • मलयालम: Kaduk rohini, Katuka rohini
  • मराठी: Kutki, Kalikutki
  • उड़िया: Katuki
  • पंजाबी: Karru, kaur
  • तमिल: Katuka rohini, Katuku rohini, Kadugurohini
  • तेलुगु: Karukarohini
  • उर्दू: Kutki

कुटकी का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  • किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  • सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  • सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  • डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  • क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
  • सबक्लास Subclass: एस्टेरिडए Asteridae
  • आर्डर Order: Scrophulariales
  • परिवार Family: Scrophulariaceae – Figwort family
  • जीनस Genus: Picrorhiza
  • प्रजाति Species: kurroa

कुटकी के संघटक Phytochemicals

कुटकी में कई महत्वपूर्ण फाइटोकेमिकल्स होते हैं। इरिडोइड ग्लाइकोसाइड्स Glucosides: picrorhizin and kutkins (mixture of kutkoside and picroside)।

कुटकी के लाभ/फायदे

लीवर की दवा

  • कुटकी लीवर की रक्षा करने वाली औषधि है। इसे लीवर रोगों जैसे जौंडिस, लीवर सिरोसिस, स्प्लीन / तिल्ली के डिसफंक्शन, वायरल रोगों और सूजन में प्रयोग किया जाता है। जलोदर की समस्या में इसका काढ़ा पीने से लाभ होता है।
  • पीलिया में कुटकी के पाउडर को लिया जाता है। कड़वेपन को कम करने के लिए इसे गुड़ के साथ लिया जा सकता है।

पाचन तन्त्र की समस्या में फायदेमंद

कुटकी पेट सम्बन्धी रोगों में लाभप्रद है। इसे निम्न समस्याओं में प्रयोग कर सकते हैं:

  • भूख कम लगना
  • गैस की समस्या
  • कब्ज़
  • पाइल्स

कुटकी में विरचन के गुण होने से इसे पेट साफ़ करने के लिए और कब्ज़ की समस्या इस्तेमाल किया जाता है। इससे गैस भी कम होती है और पाचन में सहयोग होता है। कब्ज़ में कुटकी के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर लिया जाता है। यह पाचन में सुधार, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के चयापचय में मदद करता है।

इसे चयापचय की प्रक्रिया में सुधार किया जाता है। इससे विभिन्न समस्याओं जैसे कि मोटापा, धीमा चयापचय और यूरिया, क्रिएटिनिन, मधुमेह, गर्मी और अतिगलग्रंथिता के उच्च स्तर की तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

बुखार में उपयोगी

कुटकी में बुखार कम करने के गुण है। इसे बार बार होने वाले बुखार की चिकित्सा में लिया जाता है। इसमें एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल, लीवर प्रोटेक्टिव, एंटी पाईरेटिक और सूजन कम करने के गुण है जो बुखार होने के मूल कारणों पर असर करते हैं जिससे बुखार दूर होता है।

चमड़ी रोग दूर करना

चमड़ी के रोगों में कुटकी का सेवा करने से शरीर से टोक्सिंस दूर होते हैं और त्वचा के रोग ठीक होते हैं।

डायबिटीज में ब्लड शुगर कम करना

इस कड़वी जड़ी बूटी को शुगर की समस्या में भी लिया जाता है। इसमें रक्त शर्करा का स्तर, सीरम लिपिड पेरोक्साइड और रक्त यूरिया नाइट्रोजन को कम करने के लिए गुण हैं।

कुटकी के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Kutkiin Hindi

कटुका कूलिंग, विरेचक, कार्मिनेटिव, पाचन कराने वाला, लीवर रक्षक, एंटी-वायरल, ज्वरनाशक,immunomodulating, एंटीऑक्सीडेंट scavenging, ऐंठन दूर करने वाला और सूजन कम करने वाला है। बड़ी खुराक में लेने से यह एक रेचक की तरह कार्य करता है।

  • कटुका पीलिया, जिगर और प्लीहा रोगों में उपयोगी है।
  • इसे भूख नहीं लगना, पेट फूलना, कब्ज और बवासीर भी प्रयोग किया जाता है।
  • यह आंतरायिक बुखार की स्थिति और त्वचा रोग में लाभप्रद है।
  • यह कफ-पित्त का इलाज करने, मूत्र रोग (प्रहमा), कुष्ठ रोग में प्रयुक्त होता है।
  • इसे शीतलन एजेंट के रूप में, शरीर से अत्यधिक गर्मी को दूर करने में मदद करता है।

कुटकी की औषधीय मात्रा

वयस्कों के लिए कटुका पाउडर की खुराक एक से तीन ग्राम होती है और

  • बच्चों के लिए 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम।
  • इसे पानी के साथ दो बार प्रतिदिन लेना चाहिए।
  • इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए।
  • इसे खाली पेट उपभोग करना ठीक नहीं है। ऐसा करना मतली और उल्टी का कारण हो सकता है।
  • इसका स्वाद अत्यधिक कड़वा होता है।

कुटकी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • कटूका लेना बंद कर दें, यदि पीलिया की तीव्रता तीन से पांच दिनों के भीतर कमी नहीं होती है या लक्षण बिगड़ जाते हैं।
  • क्रोनिक और गंभीर रूप से पीलिया में रोगियों को यह दवा चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत उपभोग करना चाहिए।
  • पीलिया जिसमें शरीर में जलन जैसे शरीर की खुजली, रक्तस्राव,एनीमिया, एडिमा, वजन घटाना आदि हों उसमें से सही तरीके से लेना चाहिए और इसे केवल जांच और चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत इलाज किया जाना चाहिए।
  • इसे लेते समय गरम, मसालेदार, तीखे, खट्टा, फैटी और भारी भोजन नहीं लेना चाहिए।
  • इसे लेते समय नरम, अर्द्ध-ठोस या तरल लेने के लिए सलाह दी जाती है जब तक सामान्य पाचन शक्ति
  • बहाल नहीं हो जाती और रक्त बिलीरूबिन स्तर सामान्य नहीं हो जाता है।

कुटकी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • आयुर्वेद में इसका कोई विशेष साइड या विषाक्त प्रभाव नहीं बताया गया है। कटुका की सिफारिश की गई खुराक में इसके लेक्सेटिव गुण के कारण दस्त में इसका सेवन नहीं करें।
  • नैदानिक अध्ययनों में से किसी ने भी कोई नेगेटिव प्रभाव नहीं दिखाया है।
  • कटुका में रेचक गुण है। बड़ी मात्रा में सावधानी इसे सावधानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • दस्त होने पर, बच्चों में और गर्भवती महिलाओं में खुराक को घटाना चाहिए।
  • अगर दवा लेनें पर दस्त पेट दर्द के साथ हों तो, दवा के मात्रा कम करें।
  • इसका कड़वा स्वाद मतली और उल्टी को प्रेरित कर सकता है।
  • संवेदनशील व्यक्तियों को इसे शहद या मीठी सिरप के साथ मिश्रित रूप से लेना चाहिए।

कुटकी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था के दौरान बिना सलाह के न लें।
  • यदि किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
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