गार्सीनिया का पेड़ भारत में आमतौर पर 6,000 फुट की उंचाई पर पश्चिमी घाट के सदाबहार जंगलों में पाया जाता है। यह छोटे या मध्यम आकार का पेड़ है। इसके अण्डाकार पत्ते गहरे हरे रंग के चमकदार होते है। फल भी अंडाकार तथा व्यास में 2 इंच के होते हैं। फल देखने में छोटे कद्दू जैसे लगते हैं। कच्चे फल हरे तथा पकने पर यह पीले या लाल के रंग के होते हैं तथा बीज 6-8 की संख्या में होते हैं।
गार्सीनिया के सूखे फलों को कोकम की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह खट्टे होते हैं। इसमें विटामिन सी होता है जिससे यह स्कर्वी को दूर करने में लाभकारी है। गार्सीनिया, दक्षिण भारतीय भोजन में प्रयोग किया जाने वाला एक मसाला है। कोचीन और मालाबार में करी को स्वादिष्ट बनाने के लिए इमली या नींबू की जगह, इसके सूखे फल प्रयोग किये जाते हैं। इसे चटनी बनाने तथा फिश करी को बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
आजकल गार्सीनिया के पिल्स / एक्सट्रेक्ट को वज़न कम करने के लिए एक सप्लीमेंट के तरह प्रयोग किया जाता है।
- लैटिन नाम गारसिनिया कम्बोजिया Garcinia cambogia, गम्मी गुट्टा (एल) रोब।
- अंग्रेजी नाम: गारसिनिया, गार्सीनिया
- संस्कृत: Vrikshamla, Kankusta
- Other name: Malabar tamarind, hydroxycitric acid (HCA)
प्रमुख घटक
इसमें करीब 30% साइट्रिक एसिड (-)-hydroxy-citric acid पाया जाता है।
औषधी के रूप में
- गार्सीनिया का सेवन वज़न कम करने में लाभकारी है। इसमें पाए जाने वाले हाइड्रोक्सी साइट्रेट (-)-hydroxy-citric acid HCA के कारण ऐसा होता है।
- गार्सीनिया के एक्सट्रेक्ट को 1,500 mg/day की मात्रा में दिया जाता है।
- यह शरीर में लिपिड को कम करता है।
- यह एन्जाइम को प्रभावित कर् शरीर में अधिक ग्लूकोस को फैट और कोलेस्ट्रॉल में बदलने नहीं देता।
- यह भूख लगने को भी कम करता है।
- इसके काढ़े को पेट की समस्याओं और जोड़ों के दर्द, रूमेटीज्म में प्रयोग किया जाता है।
साइड-इफ़ेक्ट
15 क्लिनिकल स्टडीज में लगभग 900 रोगियों पर किये गए अध्ययननों में बहुत हल्के साइड-इफेक्ट्स देखे गए हैं। सबसे अधिक प्रतिकूल प्रतिक्रिया असरों में शमिल हैं, सिरदर्द, चक्कर आना, शुष्क मुँह, और मतली और दस्त।